न्यूयॉर्कः स्मार्टफोन और दूसरे गैजेट्स के अधिक इस्तेमाल से टीनेजर्स में मेंटल हेल्थ से जुड़े खतरों का जोखिम बढ़ जाता है. इससे अटेंशन, बिहेवियर और सेल्फ रेगुलेशन पर इफेक्ट पड़ता है. क्या कहते हैं एक्सपर्ट- अमेरिका के उत्तरी कैरोलिना में डरहम के ड्यूक विश्वविद्यालय के इस शोध की प्रमुख लेखक मेडेलीन जॉर्ज ने कहा कि टीनेजर्स में टेकनीक का इस्तेमाल अधिक करने से उनके बिहेवियर में समस्याएं आती है और वे किसी चीज पर फोकस नहीं कर पाते. इसके साथ ही इनमें हाइपरएक्टिविटी डिस्ऑर्डर के लक्षण भी दिखने लगते हैं. रिसर्च में इन चीजों पर रहा फोकस- यह शोध 'चाइल्ड डेवलपमेंट' नामक पत्रिका में प्रकाशित हुआ है. इसमें किशोरों की मेंटल हेल्थ से जुड़े लक्षणों को देखा गया है. इसमें उनके हर दिन सोशल मीडिया, इंटरनेट के इस्तेमाल के समय को शामिल किया गया है. कैसे की गई रिसर्च- इस शोध में 151 किशोरों के हर रोज के डिजिटल प्रौद्योगिकी में स्मार्टफोन के उपयोग का सर्वे किया गया है. उनका सर्वे दिन में तीन बार किया गया. यह सिलसिला महीने भर तक चला. इसके 18 महीने बाद उनके मेंटल हेल्थज के लक्षणों का मूल्यांकन किया गया. इसमें 11 साल से 15 साल के बीच के किशोरों ने भाग लिया. किशोरों ने औसतन करीब 2.3 घंटे एक दिन डिजिटल प्रौद्योगिकी पर खर्च किए. रिसर्च के नतीजे- शोधकर्ताओं ने पाया कि उन दिनों में जब किशोरों ने अपने उपकरणों का इस्तेमाल सामान्य से ज्यादा किया और उन्होंने अपने साथियों से औसतन ज्यादा इस्तेमाल किया तो उनमें व्यवहार संबंधी समस्याएं जैसे झूठ बोलना, लड़ाई और दूसरी व्यवहारिक समस्याएं दिखीं. शोध में यह भी पाया गया कि वे किशोर, जिन्होंने ऑनलाइन समय बिताया, उनमें 18 महीने बाद व्यवहारिक समस्याएं और सेल्फ रेगुलेशन की दिक्कतें देखी गईं. स्मार्टफोन के फायदे- हालांकि, शोधकर्ताओं ने पाया कि प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल कुछ सकारात्मक नतीजों से भी जुड़ा है. जिन दिनों में किशोरों ने प्रौद्योगिकी का ज्यादा इस्तेमाल किया, उस दौरान उनमें डिप्रेशन और चिंता के लक्षण कम दिखाई दिए.