Fast Food Side Effects: आजकल इंसान की लाइफस्टाइल काफी बदल गई है, लोग खाना-बनाने की जगह बाहर से फास्ट-फूड खाने पर ज्यादा निर्भर हो रहे हैं. लेकिन क्या आपको लगता है कि कभी-कभार फ्रेंच फ्राइज, चिप्स या बाजार से खरीदा गया मीठा ड्रिंक कोई नुकसान नहीं करेगा?. अगर आपको भी लगता है कि इससे कुछ नहीं होगा, तो सावधान हो जाइए. ताजा लैंसेट रिपोर्ट इसको लेकर कुछ और ही बताती है. नई सीरीज में सामने आया है कि अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड शरीर के लगभग हर बड़े अंग पर नुकसान पहुंचाते हैं और कई लंबे समय की बीमारियों तथा समय से पहले मौत का कारण बन सकते हैं. दुनिया भर में बड़े पैमाने पर खाए जाने वाले ये पैकेज्ड फूड अब इतनी गंभीर हेल्थ प्रॉब्लम पैदा कर रहे हैं कि एक्सपर्ट तुरंत कड़े नियम, लेबलिंग और पॉलिसी बदलाव की मांग कर रहे हैं.

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एक-दो बाइट कम नुकसानदायक लग सकती है, लेकिन रिसर्च कहता है कि यही शुरुआत आगे चलकर शरीर को गहराई तक प्रभावित करती है. द लैंसेट में प्रकाशित तीन बड़े पेपर्स की इस सीरीज को UPFs पर अब तक की सबसे व्यापक समीक्षा माना जा रहा है, और यह स्पष्ट करती है कि ये फूड हर प्रमुख अंग को नुकसान पहुंचा सकते हैं. चलिए आपको बताते हैं कि इससे क्या-क्या खतरा है.

कैंसर सहित कई बीमारियों से जुड़ा UPF

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UPFs आज हर जगह मौजूद हैं. BMJ की एक स्टडी के अनुसार, अमेरिका में लोगों की रोज की खपत में आधे से भी ज्यादा कैलोरी अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड से आती है. सुबह के सीरियल से लेकर बर्गर, चिप्स, पैकेज्ड स्नैक्स, सॉफ्ट ड्रिंक्स, फ्रोजन मील, बिस्किट, केक मिक्स, इंस्टेंट नूडल्स, नगेट्स, सॉसेज. इनकी लिस्ट खत्म ही नहीं होती. दुनियाभर के 43 एक्सपर्ट ने रिसर्च करके जो निष्कर्ष निकाला, वह डराने वाला है. इनमे से 92 स्टडीज ने पाया कि UPFs क्रॉनिक बीमारियों का जोखिम बढ़ाते हैं. फिर चाहे वह दिल की बीमारी हो, डायबिटीज, मोटापा या डिप्रेशन. कई स्टडीज ने समय से पहले मौत के मामलों से भी इनका संबंध बताया.

 न्यूट्रिशन एक्सपर्ट कार्लोस मोंटेरो बताते हैं कि “सबूत साफ है कि इंसानी शरीर इन खाने की इन चीजों के लिए जैविक रूप से तैयार नहीं है. UPFs हर बड़े ऑर्गन सिस्टम को नुकसान पहुंचाते हैं.” रिसर्चर ने भोजन की प्रोसेसिंग के स्तर के अनुसार NOVA सिस्टम विकसित किया, जिसमें UPF सबसे उच्च (लेवल 4) श्रेणी में आते हैं. यानी वे खाने की चीजें जो इंडस्ट्रियल रूप से बनाए जाते हैं और जिनमें फ्लेवर, कलर, इमल्सीफायर जैसी आर्टिफिशियल चीजें मिलाई जाती हैं.

स्पष्ट लेबलिंग और कड़े नियम की मांग

रिसर्चर ने सिफारिश की है कि UPFs को पैक के फ्रंट पर साफ और बड़े अक्षरों में लिखा जाए, साथ ही चीनी, नमक और फैट की चेतावनियों के साथ. उनका कहना है कि लोग अक्सर “हेल्दी” दिखने वाले पैक के बहकावे में आ जाते हैं, जबकि उनमें UPFs की मात्रा बहुत ज्यादा होती है. रिसर्चर चेतावनी दे रहे हैं कि वैश्विक कंपनियां भारी मुनाफे के लिए इन उत्पादों को तेजी से बढ़ावा दे रही हैं. मार्केटिंग और राजनीतिक लॉबिंग के कारण सही पब्लिक-हेल्थ नीतियां आगे नहीं बढ़ पा रहीं.

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Disclaimer: यह जानकारी रिसर्च स्टडीज और विशेषज्ञों की राय पर आधारित है. इसे मेडिकल सलाह का विकल्प न मानें. किसी भी नई गतिविधि या व्यायाम को अपनाने से पहले अपने डॉक्टर या संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.