Misconceptions About Breast Cancer: कई बार महिलाएं यह सोचकर परेशान हो जाती हैं कि कहीं ब्रा पहनने का तरीका या ब्रा का रंग ब्रेस्ट कैंसर का खतरा तो नहीं बढ़ा देता. खासकर सोशल मीडिया पर ऐसे दावे खूब चलते हैं. लेकिन साइंटिफिक रिसर्च बताते हैं कि ब्रा की टाइटनेस हो या उसका रंग इनका ब्रेस्ट कैंसर से कोई संबंध नहीं है. चलिए आपको बताते हैं कि इस अफवाह में कितनी सच्चाई है और कितनी मिथक है यह. 

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रिसर्च क्या कहती है?

Breastcancer ऑर्गेनाइजेशन के अनुसार, एक्सपर्ट का मानना है कि ब्रा और कैंसर के बीच कोई वैज्ञानिक कड़ी नहीं है, इसलिए इस पर ज्यादा शोध भी नहीं हुआ. फिर भी जितने अध्ययन उपलब्ध हैं, वे साफ बताते हैं कि ब्रा पहनने, ब्रा की टाइटनेस, ब्रा के रंग या अंडरवायर किसी भी चीज से कैंसर का खतरा नहीं बढ़ता. 2014 के एक बड़े स्टडी में 55 से 74 वर्ष की 1,513 महिलाओं की ब्रा पहनने की आदतों की जांच की गई. शोध में पाया गया कि कप साइज़, कितने घंटे ब्रा पहनी जाती है, ब्रा कितनी फिट है, ब्रा कब से पहनना शुरू किया इनमें से कोई भी फैक्टर ब्रेस्ट कैंसर से जुड़ा नहीं था.

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पुरानी स्टडी क्यों भ्रामक थी?

1991 की एक स्टडी में दावा किया गया था कि ब्रा न पहनने वाली महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर कम होता है. लेकिन डेटा इतना कमजोर था कि उस पर भरोसा नहीं किया जा सकता. यह फर्क ब्रा के कारण नहीं, बल्कि ब्रेस्ट साइज और वजन के कारण हो सकता है. ज्यादा वजन खुद कैंसर का बड़ा जोखिम है और बड़ी ब्रेस्ट वाली महिलाएं अक्सर सपोर्ट के लिए ब्रा पहनती हैं. इससे ऐसा लगता है कि "ब्रा" कारण है, जबकि असल कारण "वजन" है.

तो फिर मिथ कैसे फैला?

1995 में आई किताब “Dressed to Kill” ने यह दावा फैलाया कि ब्रा का दबाव लिंफैटिक सिस्टम को ब्लॉक करता है और इससे शरीर के टॉक्सिन बाहर नहीं निकलते, जो कैंसर का कारण बनते हैं. लेकिन इस दावे का कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है. लिंफैटिक सिस्टम को ब्रा जैसी कपड़े की चींजें ब्लॉक नहीं कर सकतीं.

क्या ब्रा की टाइटनेस से लिंफ फ्लो रुकता है?

इसका जवाब है नहीं. लिंफैटिक सिस्टम शरीर की गहराई में होता है. ब्रा स्किन के ऊपर रहती है और उसका दबाव उस स्तर तक नहीं पहुंच सकता जहां लिंफ फ्लो को रोक सके. टाइट ब्रा सिर्फ असहजता या दर्द पैदा कर सकती है कैंसर नहीं.

क्या ब्रा का रंग कैंसर की वजह हो सकता है?

इसका बिल्कुल नहीं. काली ब्रा हो, लाल हो या कोई भी डार्क शेड रंग का कैंसर से कोई संबंध नहीं है. फैब्रिक डाई त्वचा के अंदर इस तरह प्रवेश नहीं करती कि उससे कैंसर पैदा हो जाए.

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Disclaimer: यह जानकारी रिसर्च स्टडीज और विशेषज्ञों की राय पर आधारित है. इसे मेडिकल सलाह का विकल्प न मानें. किसी भी नई गतिविधि या व्यायाम को अपनाने से पहले अपने डॉक्टर या संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.