जौनपुर: उत्तर प्रदेश के जौनपुर के सिद्धार्थ हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर के सीनियर सर्जन डॉ. लाल बहादुर सिद्धार्थ ने हाल ही में 48 वर्षीय सूरजभान का काफी प्रयास के बाद सफल ऑपेरशन कर नई जिंदगी दी. सूरजभान तीन वर्षों से पथरी की समस्या से ग्रस्त था.


मर्ज पहचानने में हो गई देर-
नोकरा गांव के रहने वाला सूरजभान पेशाब की थैली (मूत्राशय) में हुई पथरी की समस्या से तीन साल से ग्रसित था. पीड़ित ने बताया कि जब उसे दर्द होता था, तो वह मेडिकल से दर्द की दवा लेकर खा लिया करता था. दवा लेने के कुछ समय बाद दर्द ठीक हो जाता था. इसी तरह समय बीतता गया. जब समस्या गंभीर हो गई तो बाहर कई डाक्टरों को दिखाया, लेकिन कुछ आराम नहीं मिला. उसके बाद डॉ. सिद्धार्थ के हॉस्पिटल में जांच के दौरान पता चला कि मूत्रालय में पथरी है जो एक बड़ी गांठ के रूप में है.


सीनियर सर्जन डॉ. सिद्धार्थ ने अपनी टीम के साथ सूरजभान का सफल ऑपरेशन कर पेशाब थैली में से 800 ग्राम की पथरी निकाला और उस व्यक्ति की जान बचाई.


जा सकती थी जान-
डॉ. सिद्धार्थ ने बताया कि यह पथरी 800 ग्राम की है. अगर समय रहते नहीं निकाला जाता तो उसकी जान भी जा सकती थी. मेडिकल की दवाई खाने से कुछ समय के लिए आराम मिल जाता था, जिससे बगल में कुछ जगह होने के कारण पेशाब आसानी से निकल जाता था. लेकिन ऐसा अगर लगातार चलता रहता तो आगे चलकर पथरी और बड़ी हो जाती और इसका प्रभाव किडनी पर पड़ता, जिससे व्यक्ति को और गंभीर समस्या हो सकती थी.