Covid Prevention: ओमिक्रोन, कोरोना वायरस का वो वैरिएंट है जो अब तक सामने आए सभी वैरिएंट्स में सबसे तेजी से फैल रहा है. हेल्थ एक्सपर्ट्स और रिसर्च फील्ड से जुड़े अलग-अलग विशेषज्ञों का कहना है कि यह वायरस एयर बोर्न है. यानी किसी संक्रमित व्यक्ति की सांस, छींक या खांसी से निकलने के बाद यह वायरस लंबे समय तक हवा में सर्वाइव कर रहा है और इस बीच यदि कोई स्वस्थ व्यक्ति ऐसी संक्रमित हवा के संपर्क में आता है तो यह वायरस उस सांस या मुंह के जरिए उसके शरीर में प्रवेश कर जाता है.


कोरोना के किसी भी वैरिएंट से बचने के लिए कपड़े से बने मास्क को सबसे अधिक प्रभावी माना जाता रहा है. ओमिक्रोन के मामले में भी अभी तक यही हो रहा है. हालांकि कुछ एक्सपर्ट्स इसकी जगह रेस्पिरेटर के उपयोग की सलाह देने लगे हैं. इनका कहना है कि कपड़े से बने मास्क ओमिक्रोन के प्रसार को रोकने में सफल नहीं हो पा रहे हैं. इस बारे में ऑस्ट्रिया का उदाहरण दिया जा रहा है. क्योंकि वहां कोरोना के समय से ही मास्क की जगह रेस्पिरेटर को प्राथमिकता दी गई.


सिर्फ ओमिक्रोन के समय पर ही नहीं बल्कि कोरोना महामारी के कुछ शुरुआती महीनों के बाद से ही ऑस्ट्रिया में सार्वजनिक स्थानों पर मास्क की जगह रेस्पिरेटर पहनने को प्राथमिकता दी गई. अब यही सुझाव अमेरिका के रोग नियंत्रण मंत्रालय यानी सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल ऐंड प्रिवेंशन (सीडीसी) की तरफ से दिया गया है. सीडीसी ने वायरस की रोकथाम के लिए कपड़े के मास्क की तुलना में रेस्पिरेटर को अधिक उपयोगी माना है. साथ ही वायरस के बदलते वैरिएंट्स को देखते हुए सीडीसी की तरफ से मास्क के मामले में कहा गया है कि अब समय है जब हमें मास्क को अपग्रेड करना चाहिए.


मास्क और रेस्पिरेटर में अंतर 


आमतौर पर रेस्पिरेटर्स को मास्क ही मान लिया जाता है. हालांकि रेस्पिरेटर मास्क नहीं होते बल्कि ये एक तरह के व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण होते हैं. जो हवा में मौजूद उन खतरनाक वायरस और बैक्टीरिया से 95 प्रतिशत तक सुरक्षा देता है, जो साधारण मास्क को पार कर जाते हैं. यानी रेस्पिरेटर मास्क की तुलना में वायरस लोड को 95 प्रतिशत तक कम कर देता है. हालांकि यह बात हर रेस्पिरटर पर लागू नहीं होती है. बल्कि उच्च गुणवत्ता युक्त एन95 मानक पर खरे रेस्पिरेटर्स ही इतने प्रभावी माने जाते हैं.


कितनी पड़ेगी कीमत?


मास्क की तुलना में रेस्पिरेटर सिर्फ महंगे नहीं बल्कि बहुत महंगे होते हैं. हालांकि आईसीयू में एक दिन में जितना खर्च आता है, उससे इनकी कीमत आधी होती है. हमारे देश में एक दिन का आईसीयू का खर्च बेहद कम होने पर भी 10 हजार रुपए प्रतिदिन तक होता है. जबकि एन95 गुणवत्ता वाले एक रेस्पिरेटर की कीमत करीब 5 हजार रुपए होती है. 


वैक्सीन की तरह बांटें रेस्पिरेटर्स 


यूनिवर्सिटी ऑफ अलबर्टा में रिसर्चर और संक्रामक रोग विशेषज्ञ डॉक्टर लेयला असदिक और किर्बी इंस्टीट्यूट में  ग्लोबल बायोसिक्यॉरिटी प्रफेसर सी रैना मैकइंटायर का सुझाव है कि सभी देशों की सरकारें रेस्पिरेटर्स को वैक्सीन की तरह ही बांटें. ताकि हर व्यक्ति इनका उपयोग कर सके. साथ ही इन रेस्पिरेटर्स को एक आम आदमी की पहुंच में लाया जाना जरूरी है.


 


Disclaimer: इस आर्टिकल में बताई विधि, तरीक़ों व दावों की एबीपी न्यूज़ पुष्टि नहीं करता है. इनको केवल सुझाव के रूप में लें. इस तरह के किसी भी उपचार/दवा/डाइट पर अमल करने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.


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