pollution And Mental Health: गुस्सा आना स्वभाविक है, ये एक तरह का इमोशन है लेकिन जरूरत से ज्यादा गुस्सा आना, हर वक्त चिड़चिड़ापन होना एक गंभीर समस्या है.दरअसल इसके पीछे हमारा पर्यावरण जिम्मेदार है. एक स्टडी के मुताबिक जिस राज्य और शहर में ज्यादा प्रदूषण है वहां के लोगों को हाई बीपी की समस्या सबसे ज्यादा होती है.प्रदूषण का इफ़ेक्ट सिर्फ इंसानों तक नहीं बल्कि जीव-जंतुओं पर भी हो रहा है. यह ना सिर्फ लंग्स हार्ट और स्किन को नुकसान पहुंचा रहे हैं बल्कि यह आपके मानसिक स्वास्थ्य को भी प्रभावित करता है जिससे कई तरह की समस्याएं होने लगी है. मनोचिकित्सक के मुताबिक शारीरिक स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाली कोई भी चीज मानसिक स्वस्थ्य को प्रभावित करती है. पर्यावरण में बढ़ते प्रदूषण के साथ ही कई अन्य अध्ययन किए गए हैं जो मानसिक स्वास्थ्य पर प्रदूषण के प्रभाव को दर्शाते हैं.अमेरिका के येल और चीन की पैकिंग यूनिवर्सिटी के द्वारा साल 2010 से 2014 के बीच लगभग 32000 लोगों पर स्टडी की गई और पाया गया कि वायु प्रदूषण से उनके शारीरिक और मानसिक दोनों तरह की सेहत प्रभावित हुई है.


पर्सनैलिटी डिसऑर्डर जैसे विकारों को बढ़ावा


एक्सपर्ट के मुताबिक सांस संबंधी समस्या, नींद में गड़बड़ी , हवा में नजर आने वाली धुंध जिसकी वजह से रोशनी की कमी होती है जो मस्तिष्क में न्यूरोट्रांसमीटर्स राव को प्रभावित करता है.यह नर्वस सिस्टम को भी प्रभावित करता है.इसी के साथ ही ये एंजाइटी, डिप्रेशन, पर्सनैलिटी डिसऑर्डर और कम सहनशीलता जैसे विकारों को बढ़ाता है.


प्रदूषण की वजह से हार्मोनल डिसबैलेंस की समस्या 


एक्सपर्ट के मुताबिक ज्यादा प्रदूषण होता है तो यह हमारी नींद को प्रभावित करता है और अगर सोते वक्त हमारे आसपास के माहौल में प्रदूषण का स्तर काफी अधिक होता है तो हमें सांस लेने में परेशानी होती है, जिसकी वजह से बॉडी में ऑक्सीजन लेवल डाउन होने लगता है और दिमाग एक्टिव हो जाता है. जब दिमाग सक्रिय होता है तो हमें नींद नहीं आती और यह बार-बार नींद टूटती रहती है. जब दिमाग में ऑक्सीजन का लेवल कम होता है तो आपके मूड को प्रभावित करता है, जिससे आप डिप्रेशन चिड़चिड़ापन गुस्सा महसूस करते हैं. नींद पूरी नहीं होने पर पूरे दिन नींद आती रहती है, जिसकी वजह से बॉडी में हार्मोनल डिसबैलेंस बना रहता है और अक्सर मूड स्विंग की समस्या होती है.


प्रदूषण और मानसिक स्वास्थ्य का सीधा संबंध


द गार्जियन की एक रिपोर्ट के मुताबिक ब्रिटेन में किए गए एक स्टडी के मुताबिक वायु प्रदूषण और मानसिक स्वास्थ्य का सीधा संबंध है. यह शोध 2021 में 13000 लोगों पर यूनिवर्सिटी ऑफ ब्रिस्टल के रिसर्चस द्वारा की गई थी. रिसर्च में पाया गया कि प्रदूषण हवा में मौजूद नाइट्रोजन डाइऑक्साइड के संपर्क में आने पर मानसिक स्वास्थ्य से ग्रस्त लोगों में लगभग 32% लोगों को इलाज की आवश्यकता पड़ी 18 फ़ीसदी लोगों को हॉस्पिटल में एडमिट होना पड़ा. प्रदूषण बढ़ने से डिप्रेशन और एंजाइटी के मामलों में बढ़ोतरी हो रही है. यह मेंटल हेल्थ को बहुत ज्यादा प्रभावित करता है, इसकी वजह से पॉल्यूशन डिमेंशिया जैसी खतरनाक बीमारी हो सकती है.


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