डायबिटीज पैंक्रियाज के काफी इंसुलिन पैदा न कर पाने की वजह से होती है या उस वक्त होती है जब पैंक्रियाज इंसुलिन का प्रभावी तरीके से इस्तेनाल नहीं कर पाए. इंसुलिन ब्लड शुगर को नियंत्रित करनेवाला हार्मोन है. डायबिटीज को बेकाबू या बिना इलाज के छोड़ देने का नतीजा हाई ब्लड शुगर या हायपर ग्लाईसीमिया है, जिससे शरीर के कई अंगों को नुकसान पहुंचता है, विशेषकर रक्त धमनियों और नर्वस को. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने डायबिटीज को संक्रामक रोग नहीं माना है बल्कि ये क्रोनिक बीमारी है.


डायबिटीज रोगियों की संख्या दुनिया भर में तेजी से बढ़ रही है. हार्वर्ड टीएच चेन स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ के विशेषज्ञों ने नोट किया है कि बचपन में मोटापा की दर बढ़ने से ये युवाओं में आम हो गई है. उन्होंने स्पष्ट किया है कि प्रीडायबिटीज और टाइप 2 डायबिटीज को लाइफाइस्टाइल में बदलाव लाकर बड़ी हद तक रोका जा सकता है, इस तरह दिल की बीमारी और कुछ कैंसर के होने की संभावना कम हो जाती है. हार्वर्ड टीएच चेन स्कूल ऑफ मेडिसीन का रोकने के लिए साधारण मंत्र है: दुबले रहें और सक्रिय रहें. ये तब भी लागू होता है जब ब्लड शुगर की पहचान हुई हो. विशेषज्ञों का कहना है कि टाइप 2 डायबिटीज के जोखिम को कम करने या रोकथाम करने के लिए गाइडलाइन्स भी उपयुक्त हैं अगर आपको वर्तमान में डायबिटीज का पता चला है. डायबिटीज के जोखिम को कम करने के लिए कुछ महत्वपूर्ण उपाय उन्होंने सुझाए हैं. 


डायबिटीज के जोखिम को कम करने की टिप्स


अल्कोहल सेवन को काबू में रखें- हार्वर्ड की वेबसाइड के मुताबिक अगर आप पहले से ही ड्रिंक करते हैं, तो सेवन को मध्यम दर्जे में रखना बुनियाद है क्योंकि अल्कोहल की अधिक मात्रा डायबिटीज के जोखिम को बढ़ा सकती है. अगर आप अल्कोहल का सेवन नहीं करते हैं, तो शुरू करने की जरूरत नहीं है. ठीक उसी तरह सिगरेट को कम करने से भी फायदा हासिल कर सकते हैं. 


सक्रिय रहें- काम के टेबल पर बहुत देर तक बैठना या टीवी देखना छोड़ें. निष्क्रिय रहने से टाइप 2 डायबिटीज को बढ़ावा मिलता है. मसल्स के अधिक मेहनत करने से उनकी इंसुलिन इस्तेमाल और ग्लूकोज को अवशोषित करने की क्षमता में सुधार आता है. इससे इंसुलिन बनानेवाली सेल्स पर कम दबाव पड़ता है. 


स्मोकिंग छोड़ें- स्वास्थ्य की समस्याओं की लंबी लिस्ट में स्मोकिंग से डायबिटीज जुड़ती है. स्मोकर को 50 फीसद ज्यादा गैर स्मोकर के मुकाबले डायबिटीज होने का जोखिम होता है. अमेरिकी एजेंसी एफडीए के मुताबिक स्मोकिंग बीमारी की रोकथाम करना और इंसुलिन लेवल को नियंत्रत करना और भी दुश्वार बना सकती है क्योंकि निकोटिन का ज्यादा लेवल इंसुलिन की प्रभावकारिता को घटा सकता है. 


वजन पर ध्यान दें- ज्यादा वजन या मोटा होने से किसी शख्स के लिए टाइप 2 डायबिटीज होने का जोखिम बढ़ जाता है. पेट पर ज्यादा फैट का होना पेट का मोटापा जाना जाता है, जो खास तौर पर मोटपा का जोखिम कारक है. 


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