जीका वायरस और डेंगू जैसी बीमारियों को मच्छरों में वायरल रोधी इम्यूनिटी विकसित कर कम किया जा सकता है. वैज्ञानिकों ने मच्छरों में इन बीमारियों को फैलनानेवाले वायरस के खिलाफ इम्यूनिटी विकसित की है. स्विटजरलैंड एमआरसी यूनिवर्सिटी ऑफ ग्लासगो सेंटर फोर वायरस रिसर्च के वैज्ञानिकों ने रिसर्च किया है. उनका कहना है कि बीमारी फैलानेवाले मादा एडीज एजिप्टी मच्छर को शुगर खिलाने के बाद वायरस उनमें अपना संक्रमण फैलाने में असमर्थ होता है. इस तरह, ये इंसानों में वायरस का ट्रांसमिशन करने में सक्षम नहीं हो पाता और बीमारियों का जोखिम कम हो जाता है. 


डेंगू जैसी बीमारियां मच्छर क्यों फैलाते हैं- मच्छर अपनी ऊर्जा के लिए फूलों के पराग पर निर्भर करते हैं, लेकिन प्रजनन के लिए उनको ब्लड की जरूरत होती है. ब्लड की पूर्ति के लिए ये इंसानों को काटते हैं. जीका वायरस और डेंगू जैसी बीमारियों के वायरस उनमें मौजूद होते हैं जो काटने से इंसानों में पहुंचते हैं.   


शोधकर्ता डॉक्टर एमली पोनडेविले का कहना है कि शुगर खाने के बाद वायरस के खिलाफ मच्छरों में इम्यूनिटी में बढ़ जाती है, लेकिन ऐसा क्यों होता है, इसकी वजह साफ नहीं है. हालांकि, ये दुनिया भर में मच्छरों से होनेवाली बीमारियों के मामलों को कम कर सकता है. 


मच्छर कितने घातक साबित हो सकते हैं- विश्व मच्छर कार्यक्रम के मुताबिक, दुनिया भर में 700 मिलियन लोग मच्छरों के काटने से हर साल बीमार पड़ते हैं. उनमें से 10 लाख लोगों की मौत होती है. जीका वायरस, पीला बुखार, चिकनगुनिया, मलेरिया और डेंगू के मामले अधिक से अधिक मरीजों में दर्ज किए जाते हैं. प्रिवेंशन एट द यूरोपीयन सेंटर फोर डिजीज कंट्रोल के मुताबिक, पीले बुखार के मच्छरों की संख्या पिछले 20 से 30 वर्षों में बहुत ज्यादा बढ़ गयी है.


डेंगू के मामले 50 वर्षों में 30 गुना बढ़े हैं- विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, डेंगू वायरस हर साल 400 मिलियन लोगों को प्रभावित करता है और 25,000 लोगों की जान लेता है. डेंगू के मामले पिछले 50 वर्षों में 30 गुना बढ़ गए हैं. डेंगू वायरस के संक्रमण से बुखार और शरीर में दर्द हो सकता है. 
  
ग्लोबल वार्मिंग भी बीमारियों को काबू में कर सकता है- अमेरिकी वैज्ञानिकों ने अपनी रिसर्च में ग्लोबल वार्मिंग के फायदों को गिनाया है. उनका कहना है कि ग्लोबल वार्मिंग के कारण डेंगू के मामले देश और दुनिया भर में कम हो सकेत हैं. रिसर्च करनेवाले पेन्निसेलवानिया स्टेट यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता ने बताया कि जब मादा एडीज एजिप्टी मच्छर डेंगू वायरस का वाहक हो जाता है, तो उसकी गर्मी की संवेदनशीलता कम हो जाती है और ये संक्रमित करने लायक नहीं रहता. उसके अलावा, मच्छर में इस बीमारी को रोकनेवाला बैक्टीरिया Wolbachia भी बहुत सक्रिय हो जाता है. इसलिए, ग्लोबल वार्मिंग के कारण डेंगू के मामले कम हो सकते हैं.