दिल्ली-एनसीआर में रहना अब सिर्फ ट्रैफिक या महंगाई की वजह से मुश्किल नहीं रहा, बल्कि साफ हवा की कमी यहां के लोगों के लिए सबसे बड़ी परेशानी बन गई है. हर सर्दी के साथ प्रदूषण का कहर लौट आता है, लेकिन इस बार हालात पहले से कहीं ज्यादा डरावने नजर आ रहे हैं. हवा इतनी जहरीली हो चुकी है कि लोग सांस लेने से पहले मोबाइल पर AQI चेक करने को मजबूर हैं.
राजधानी और आसपास के इलाकों में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 450 से ऊपर पहुंचने के बाद हालात बेहद गंभीर हो गए हैं. इसी को देखते हुए सरकार ने GRAP-4 (ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान का चौथा चरण) लागू कर दिया है, जो प्रदूषण से निपटने के लिए सबसे सख्त कदम माना जाता है. इसके साथ ही कम्युनिटी प्लेटफॉर्म लोकल सर्कल्स के एक सर्वे में चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं. जिसमें पता चला है कि 8 फीसदी लोग दिल्ली छोड़ना चाहते हैं और 52 फीसदी किसी न किसी तरह से बीमार पड़े हैं.
GRAP-4 लागू, पाबंदियां और सख्त
वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) ने बताया कि AQI लगातार बढ़ रहा था. AQI 431 दर्ज किया गया, जो कुछ ही घंटों में बढ़कर 441 तक पहुंच गया. इसके बाद हालात को देखते हुए GRAP-4 को पूरे NCR में तुरंत लागू करने का फैसला लिया गया. GRAP-4 के तहत दिल्ली में ट्रक, लोडर और भारी वाहन (जरूरी सामान वाले वाहनों को छोड़कर) प्रवेश नहीं कर सकेंगे. निर्माण और तोड़फोड़ के सभी काम पूरी तरह बंद होगा. सरकारी और निजी दफ्तरों में 50 प्रतिशत कर्मचारी ही ऑफिस आएंगे, बाकी वर्क फ्रॉम होम करेंगे. कक्षा 9 और 11 तक के स्कूल हाइब्रिड मोड में चलेंगे. NCR के जिलाधिकारी अपने-अपने इलाकों में अतिरिक्त सख्ती लागू कर सकते हैं यह आदेश पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986 के तहत जारी किया गया है.
लोकल सर्कल्स सर्वे में 52 प्रतिशत लोग बीमार
कम्युनिटी प्लेटफॉर्म लोकलसर्कल्स के एक बड़े सर्वे में चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं. 52 प्रतिशत से ज्यादा लोगों ने बताया कि वे या उनके करीबी प्रदूषण से बीमार पड़े हैं. 82 प्रतिशत लोगों के परिवार, दोस्त या सहकर्मी किसी न किसी गंभीर बीमारी से जूझ रहे हैं. 28 प्रतिशत लोगों ने कहा कि उनके जानने वालों में 4 या उससे ज्यादा लोग प्रदूषण से बीमार हैं. इसके चलते अस्थमा, सांस की गंभीर बीमारी (COPD), फेफड़ों को नुकसान, हार्ट फेल्योर और स्ट्रोक बीमारियां बढ़ रही हैं. डॉक्टरों का कहना है कि लंबे समय तक जहरीली हवा में रहने से ये बीमारियां तेजी से बढ़ रही हैं, खासकर बच्चों और बुजुर्गों में,
8 फीसदी लोग दिल्ली छोड़ना चाहते हैं
सर्वे में यह भी सामने आया कि 8 फीसदी लोग दिल्ली-NCR छोड़ने की योजना बना रहे हैं. कई लोग पहले ही दूसरे शहरों में जा चुके हैं. पहाड़ी और छोटे शहर लोगों की पहली पसंद बनते जा रहे हैं. लोगों का कहना है कि वे ऐसे शहर में रहना चाहते हैं जहां सांस लेने के लिए मोबाइल ऐप देखने की जरूरत न पड़े.
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