Brain Stroke: हैदराबाद के डॉक्टरों की एक टीम ने हाल ही में एक अध्ययन किया, जिसमें सामने आया कि कोरोना पॉजिटिव पाए गए ब्रेन स्ट्रोक के चार में से एक मरीज की हॉस्पिटल में मौत हो गई. रिसर्चर्स के मुताबिक, एक्यूट इस्केमिक स्ट्रोक (ब्रेन के एक हिस्से में ब्लड की सप्लाई में कमी के कारण) 85.5 प्रतिशत कोविड-19 मरीजों में देखा गया. हेमोरेजिक स्ट्रोक (ब्रेन में ब्लीडिंग के कारण) बाकी 14.5 प्रतिशत मरीजों में देखा गया. शोधकर्ताओं ने कहा कि इस स्टडी में 52.7 प्रतिशत मरीजों में खराब रिजल्ट्स देखा गया, जिसमें 24.5 प्रतिशत मृत्यु दर भी शामिल है. ये स्टडी शहर के निजाम इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (NIMS), यशोदा हॉस्पिटल और सिंगापुर के नेशनल यूनिवर्सिटी के डॉक्टरों द्वारा किया गया.


ये स्टडी साइंटिफिक जर्नल न्यूरोलॉजी इंडिया के जनवरी-फरवरी 2023 अंक में प्रकाशित हुई थी. शोधकर्ताओं ने कहा कि कोविड-19 संक्रमण एक्यूट स्ट्रोक सहित अलग-अलग न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर्स को जन्म दे सकता है. रिसर्च के दौरान 610 मरीजों को एक्यूट स्ट्रोक के लिए एडमिट किया गया था, जिनमें से 18 प्रतिशत मरीज जांच में कोरोना पॉजिटिव पाए गए. इनमें 72.7 प्रतिशत रोगी पुरुषों थे, जिनकी औसत उम्र 56.5 साल थी. उनमें लगभग सात दिनों तक कोरोना के लक्षण रहे. ब्रेन स्ट्रोक के साथ कोरोना संक्रमण वाले मरीजों की हालत ज्यादा खराब देखी गई.


कोरोना बढ़ाता है 'ब्रेन स्ट्रोक' का खतरा


अध्ययन में पाया गया कि भारतीयों में कोविड-19 संक्रमण ब्रेन स्ट्रोक को ट्रिगर करने का एक कारण हो सकता है और इसके परिणाम भी खराब हो सकते हैं. अध्ययन में कहा गया है कि इस्केमिक स्ट्रोक, इंट्रा-सेरेब्रल हेमरेज और सेरेब्रल वेनस थ्रॉम्बोसिस को कोविड संक्रमण में वेरिएबल फ्रीक्वेंसी के साथ रिपोर्ट किया गया था.


स्टडी के दौरान कुल 8960 मरीजों को कोविड-19 संक्रमण के साथ हॉस्पिटल में एडमिट किया गया था. इनमें से 1.22 प्रतिशत एक्यूट स्ट्रोक के साथ आए थे. अध्ययन से मालूम चलता है कि 53.6 प्रतिशत मरीजों में हाई ब्लड प्रेशर सबसे कॉमन वैस्कुलर रिस्क फैक्टर था. इसके बाद 37.2 प्रतिशत में डायबिटीज मेलिटस और 27.2 प्रतिशत में डिसलिपिडेमिया था.


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