कोरोना वायरस के खिलाफ अब परंपरागत अफ्रीकी दवाओं से इलाज होगा. विश्व स्वास्थ्य संगठन के (WHO) विशेषज्ञों के एक पैनल ने जड़ी बूटियों पर परीक्षण शुरू करने की मंजूरी दे दी है. जिसके तहत हर्बल मेडिसीन के तीसरे चरण का परीक्षण करने के लिए प्रोटोकॉल भी तैयार कर लिया गया है. उम्मीद है कि परीक्षण का सिलसिला जल्द ही शुरू हो सकेगा.


अफ्रीकी जड़ी-बूटियों से होगा कोविड-19 का इलाज?


WHO ने कहा है कि नए नियमों का मकसद अफ्रीका में उचित क्लीनिकल परीक्षण करने के लिए वैज्ञानिकों को आत्मनिर्भर बनाने में मदद करना है. बयान में कहा गया है कि नए मेडिकल उत्पाद का पूरी तरह से सुरक्षा और असर का पता लगाने के लिए तीसरे चरण का परीक्षण जरूरी है. WHO के क्षेत्रीय डायरेक्टर प्रोरस्पर टुमुसिमे ने बताया, "अगर पारंपरिक दवा सुरक्षित, प्रभावकारी और गुणवत्तापूर्ण पाई जाती है WHO तेजी से बड़े पैमाने पर तैयार करने की सिफारिश करेगा."


मेडिकल पत्रिका लांसेट में प्रकाशित एक शोध में कहा गया, "कोविड-19 महामारी वर्तमान वैश्विक स्वास्थ्य चिंता का बहुत बड़ा कारण बन गया है. महामारी ने सरकारों और लोगों के लिए चुनौती पैदा कर दिया है. अब तक किसी प्रभावी वैक्सीन या दवा न होने की सूरत में शोधकर्ता और डॉक्टर कोविड-19 बीमारी का शिद्दत से इलाज तलाश कर रहे हैं. जब पारंपरिक दवा जैसे लोपिनाविर, रिटोनाविर, क्लोरोक्वाइन और हाइड्रोक्सीक्लोरक्वाइन उम्मीद के मुताबिक प्रभावी साबित नहीं हुईं तो पुरानी जड़ी बूटियों से संभावित सक्रिय तत्वों को खोजना मजबूत रणनीति हो सकता है. और इसे खारिज भी नहीं किया जाना चाहिए."


WHO विशेषज्ञों के पैनल ने परीक्षण की दी मंजूरी


महामारी के खिलाफ दुनिया भर में करीब 140 प्रभावी वैक्सीन के विकास पर काम चल रहा है. दर्जनों वैक्सीन इंसानों पर परीक्षण तक पहुंच चुकी हैं. इन प्रयासों के साथ ही तीसरे चरण के परीक्षण को हरी झंडी मिल गई है. जिसमें अफ्रीकन परंपरागत दवाइयों का इस्तेमाल किया गया है. WHO के विशेषज्ञों का पैनल, अफ्रीका सेंटर फोर डिजीज कंट्रोल एंड प्रीवेंशन और अफ्रीकन यूनियन कमिशन फोर सोशल अफेयर्स ने प्रोटोकॉल पर सहमति जताई है. गौरतलब है कि ये पहली बार नहीं है जब जड़ी-बूटियों का परीक्षण महामारी के दौरान किया जा रहा है. हर्बल मेडिसीन का इस्तेमाल बड़े पैमाने पर स्पैनिश फ्लू महामारी के दौरान भी किया जा चुका है.


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