कोविड-19 का इलाज कर रहे डॉक्टरों ने महामारी की दूसरी लहर के दौरान अलग प्रवृत्ति चिह्नित की है. कोरोना वायरस अब बच्चों को अधिक प्रभावित करता हुआ नजर आ रहा है. डॉक्टरों का कहना है कि पहली लहर के दौरान अपेक्षाकृत अप्रभावित, बच्चे और किशोर अब स्पष्ट लक्षण जैसे लंबे समय तक बुखार और गेस्ट्रोइंटेराइटिस जाहिर कर रहे हैं. आपको बता दें कि गेस्ट्रोइंटेराइटिस पेट से संबंधित एक ऐसी स्वास्थ्य समस्या है, जो पाचन तंत्र में संक्रमण और सूजन से पैदा होती है.


क्या कोरोना की दूसरी लहर बच्चों के लिए है ज्यादा खतरनाक?


मुंबई के घाटकोपर में बाल विशेषज्ञ डॉक्टर बाकुल पारेख कहते हैं, "पहली लहर के दौरान, ज्यादातर बच्चे एसिम्पटोमैटिक होते थे और बिना लक्षण के कारण उनकी बड़ी संख्या का जांच नहीं हो पाता था. हम सिर्फ उन्हीं बच्चों की जांच करते थे जिनके परिवार में किसी को कोविड-19 हुआ था. बहुत कम बच्चों को हल्का लक्षण होता था, जो मात्र एक या दो दिन तक रहता."


पहली लहर में डॉक्टर पारेख को याद नहीं आता है कि एक भी बच्चे को अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत पड़ी. पिछले कुछ दिनों में उन्होंने 1 और 7 वर्षीय छह बच्चों को अस्पताल में भर्ती किया है. उनका कहना है कि तीन बच्चे गंभीर गेस्ट्रोइंटेराइटिस संक्रमण और बुखार से पीड़ित रहे, जबकि अन्य को सांस फूलने और बुखार की समस्या थी. गेस्ट्रोइंटेराइटिस संक्रमण वाले बच्चों को नसों के जरिए तरल पदार्थ पर रखा गया था और सांस की शिकायत वाले बच्चों को ऑक्सीजन और स्टेरॉयड की जरूरत पड़ी.


डॉक्टर बच्चों पर ज्यादा प्रभाव का संबंध नए म्यूटेशन से जोड़ते हैं. उनका कहना है, "उपलब्ध मेडिकल डेटा से पता चलता है कि महाराष्ट्र में पाया गया B1.617 नामक 'डबल म्यूटेशन' उसके पीछे एक वजह हो सकती है." मुंबई में स्कूल मार्च से बंद हैं, लेकिन बच्चे घर के प्रांगण में बाहर खेलते और अभिभावकों के साथ निकलते हुए देखे जाते हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि ये संक्रमण फैलाने और संक्रमित होने का खतरा बढ़ा रहा है.


'पहली लहर के मुकाबले बच्चे ज्यादा सिम्टोमैटिक पाए जा रहे हैं'


कोकिलाबेन धीरूबाई अंबानी हॉस्पिटल में संक्रामक रोग विशेषज्ञ डॉक्टर तानु सिंघल कहती हैं, "बच्चे निश्चित रूप से पहली लहर के मुकाबले अब ज्यादा सिम्पटोमैटिक हो रहे हैं. उनकी बीमारी की गंभीरता बढ़ गई है." बीएमसी के कोविड-19 डैशबोर्ड के मुताबिक, मुंबई में 7 अप्रैल तक संक्रमण के 472,332 मामले दर्ज किए गए हैं, उनमें से वर्तमान में 77,495 एक्टिव हैं.


कुल मामलों में 27,233 संक्रमण बच्चों और किशोरों के बीच देखे गए, 7,675 मामले नौ साल से नीचे के बच्चों में और 10 और 19 साल की उम्र के बीच 19,558 मामले उजागर हुए. महाराष्ट्र के स्वास्थ्य विभाग की तरफ से जारी 7 अप्रैल को रिपोर्ट में बताया गया कि प्रदेश में बच्चों और किशोरों के बीच संक्रमण की कुल संख्या 299,185 है. उनमें से 95,272 मामले 10 साल से नीचे के हैं जबकि 11-20 आयु ग्रुप में 203,913 मामले हैं. मामलों की संख्या में वृद्धि के साथ बच्चों के बीच संक्रमण भी बढ़ गया है. लेकिन विशेषज्ञों को लक्षणों में बदलाव आश्चर्यचकित कर रहा है.


बाल रोग विशेषज्ञ डॉक्टर सोनू उडानी बताती हैं, "बच्चे पेट दर्द और गंभीर डायरिया के साथ आ रहे हैं, जो हमें पहली लहर में दिखाई नहीं दिया था. पहली लहर में ज्यादातर बच्चों को मामूली निरीक्षण में रखा जाता था और हल्के लक्षणों की सूरत में उनको बुनियादी इलाज जैसे पेरासिटामोल देकर काम चलाया जाता था. पिछले साल एसआरसीसी हॉस्पिटल में इलाज और अन्य प्रक्रियाओं के लिए आनेवाले बाल रोगी करीब 5 फीसद कोरोना वायरस पॉजिटिव पाए जाते थे. लेकिन इस बार हमारे पास बच्चों की 30 से 40 फीसद संख्या पॉजिटिव पाई जा रही है."


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