Low Sperm Count Causes: पुरुषों में लगातार फर्टिलिटी रेट की कमी आ रही है. अब इसमें एक चौकाने वाला खुलासा हुआ है. दरअसल  नई रिसर्च के मुताबिक खेती में इस्तेमाल होने वाले आम कीटनाशक पुरुषों की प्रजनन क्षमता को नुकसान पहुंचा सकते हैं. अध्ययन में पाया गया है कि नीओनिकोटिनॉइड नामक कीटनाशक लैब में रखे नर जानवरों के स्पर्म काउंट को घटाते हैं और उनकी प्रजनन सिस्टम को कमजोर करते हैं. चूंकि ये रसायन खेती में सबसे ज़्यादा इस्तेमाल किए जाते हैं, इसलिए इनके जरिए इंसानों में भी इनके असर की संभावना बढ़ जाती है 

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क्या निकला रिसर्च में?

पिछले कुछ वर्षों में किए गए स्टडी  से यह साफ हो गया है कि खेती में इस्तेमाल होने वाले ये कीटनाशक पुरुषों में घटती प्रजनन क्षमता और स्पर्म की गुणवत्ता में गिरावट के पीछे एक बड़ा कारण हो सकते हैं. एनवायर्नमेंटल रिसर्च जर्नल में प्रकाशित नई समीक्षा में 2005 से 2025 के बीच किए गए 21 प्रयोगों का एनलिसिस किया गया. नतीजे बताते हैं कि नीओनिकोटिनॉइड रसायनों के संपर्क में आए नर चूहों में स्पर्म की संख्या, गतिशीलता और संरचना तीनों पर निगेटिव असर देखा गया, साथ ही टेस्टिस के डिश्यू में भी नुकसान पाया गया.

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एक्सपर्ट का क्या कहना है?

रिसर्च की प्रमुख राइटर सुमैया एस. इरफान, जो जॉर्ज मेसन यूनिवर्सिटी में एपिडेमियोलॉजिस्ट के अनुसार "हमने पाया कि इन रसायनों के संपर्क से स्पर्म क्वालिटी कम होती है, हार्मोन असंतुलित होते हैं और टेस्टिकुलर टिश्यू को नुकसान पहुंचता है." उनकी सहयोगी वेरोनिका जी. सांचेज, जो उसी यूनिवर्सिटी में रिसर्च असिस्टेंट का कहना है कि यह स्टडी आम लोगों के लिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि "खाने में मौजूद कीटनाशक अवशेष भी धीरे-धीरे फर्टिलिटी को प्रभावित कर सकते हैं."

चिंता की बात क्यों?

हालांकि यह रिसर्च जानवरों पर की गई थी, लेकिन वैज्ञानिकों का कहना है कि सभी स्तनधारियों में स्पर्म बनने की प्रक्रिया लगभग समान होती है, इसलिए जानवरों में पाया गया असर इंसानों के लिए भी चिंता का विषय है. अमेरिका में किए गए एक सर्वे में पाया गया कि तीन साल से ऊपर की लगभग आधी आबादी के शरीर में नीओनिकोटिनॉइड्स के रासायनिक निशान पाए गए और बच्चों में यह स्तर और भी ज़्यादा था. यह कीटनाशक पौधों में पूरी तरह समा जाते हैं, इसलिए फलों या सब्जियों को धोने के बाद भी इनके अंश रह जाते हैं.  रिसर्च के मुताबिक, ये रसायन शरीर में ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस बढ़ाते हैं, जिससे स्पर्म सेल्स और डीएनए को नुकसान होता है. साथ ही ये हार्मोन सिग्नलिंग को प्रभावित करते हैं और टेस्टिस के टिश्यू को भी नुकसान पहुंचाते हैं, जिससे स्पर्म बनने की प्रक्रिया बाधित होती है. यही वजह है कि स्पर्म की गतिशीलता घटती है और फर्टिलिटी की संभावना कम हो जाती है.

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Disclaimer: यह जानकारी रिसर्च स्टडीज और विशेषज्ञों की राय पर आधारित है. इसे मेडिकल सलाह का विकल्प न मानें. किसी भी नई गतिविधि या व्यायाम को अपनाने से पहले अपने डॉक्टर या संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.