Child Health Tips : मां के जेनेटिक थायराइड से बच्चे को बचाने के लिए अधिकतर महिलाओं के दिमाग में कई तरह के सवाल होते हैं. इसके लिए थायराइड हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी का इस्तेमाल किया जाता है. थायराइड हार्मोन अगर शरीर में कम हो जाए तो यह प्रजनन क्षमता पर भी बुरा असर डाल सकता है. प्रेग्नेंसी में थायराइड का लेवल बच्चे के लिए नुकसानदायक हो सकता है. आजकल ज्यादातर मरीजों में हार्मोन की कमी तो होती है लेकिन उनमें किसी तरह का कोई लक्षण नजर नहीं आता है. अंडरएक्टिव थायरॉयड की समस्या का इलाज एक सिंपल ब्लड टेस्ट से ही हो सकता है. हर दिन एक गोली खाकर भी आप इस समस्या से छुटकारा पा सकती हैं. 

थायराइड हार्मोन क्या होता है


थायरॉयड ग्रंथि गर्दन के पास होती है. यह थायराइड हार्मोन T3, T4 भी पैदा करता है. इससे मेटाबॉल्जिम प्रभावित हो सकता है. यह आपकी बॉडी एनर्जी कैसे स्टोर करती है, उसका भी इस्तेमाल करता है. जब इसका लेवल कम होता है, तो ज्यादा थायराइड हार्मोन बनाने के लिए TSH जारी होने लगता है. इसलिए जब कोई महिला प्रेग्नेंसी की प्लानिंग करती है तो उसे पहले से जो बीमारियां है, उसके इलाज की सलाह दी जाती है.

हाइपरथायरायडिज्म का इलाज


प्रेग्नेंसी के दौरान हाइपरथायरायडिज्म का इलाज (Hyperthyroidism Treatment) की जरूरत नहीं होती है। हालांकि, अगर हाइपोथायरायडिज्म ज्यादा गंभीर है तो डॉक्टर एंटीथायरॉइड दवाईयां देते हैं. रोजाना गोली खाकर थायराइड हार्मोन का लेवल कम हो सकता है. आपके ज्यादा थायराइड हार्मोन को आपके बच्चे के सर्कुलेशन से बाहर रखा जाता है. इसलिए समय-समय पर बच्चे की निगरानी करें और एंडोक्रिनोलॉजिस्ट या मातृ-भ्रूण एक्सपर्ट से सलाह लेनी चाहिए.

थायराइड हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी क्या है 


मां का इलाज करने के लिए थायराइड हार्मोन रिप्लेसमेंट (Thyroid Hormone Replacement Therapy) का इस्तेमाल किया जाता है. इसमें थेरेपी की खुराक मां के थायराइड हार्मोन के लेवल से तय होती है. प्रेग्नेंसी के दौरान थायराइड हार्मोन का लेवल बदल सकता है. थायराइड रिप्लेसमेंट थेरेपी की खुराक अलग-अलग हो सकती है. मां और भ्रूण दोनों को सेफ रखने लिए सही इलाज मिलना चाहिए. थायराइड हार्मोन के स्तर का टेस्ट सभी नवजात बच्चों में नियमित की जाती है.

क्या बच्चे को नुकसान पहुंचा सकती हैं ये दवाईयां


 प्रेग्नेंसी में थायराइड डिसऑर्डर का इलाज जिन दवाईयों से किया जाता है, उनमें से अधिकांश बच्चे को नुकसान नहीं पहुंचाती हैं. थायराइड दवाएं यह बताती हैं कि शरीर में थायराइड हार्मोन की सही मात्रा रहे. इसलिए जब भी कोई महिला प्रेग्नेंट होती है, तब TSH, FT3 और FT4 लेवल की जांच करने के लिए ब्लड टेस्ट किया जाता है. जिससे पता चल सके कि दवा की खुराक सही है या नहीं.

हाइपोथायरायडिज्म का कारण


हाइपोथायरायडिज्म ऑटोइम्यून की वजह से होता है. हर मरीज को एक बार एंटी थायराइड एंटीबॉडी के लिए टेस्ट करनी चाहिए. हार्मोन को पूरा करने के लिए प्रेग्नेंसी में 25% की बढ़ोतरी की जाती है. इसलिए जब भी प्रेग्नेंसी की सोचें, तब डॉक्टर से अपनी थायरॉयड के बारे में बात करें. यदि आप प्रेग्नेंट हैं तो अपनी थायराइड का लेवल चेक करें. अगर आप थायराइड की दवाईयां खाती हैं तो एक्सपर्ट की सलाह लें.

 

Disclaimer: इस आर्टिकल में बताई विधि, तरीक़ों और सुझाव पर अमल करने से पहले डॉक्टर या संबंधित एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें.

 

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