Sleep Talk Therapy: आजकल जॉइंट फैमिली की कमी, पैरेंट्स के साथ बच्चों का न रहने कका नतीजा है कि बच्चों में काफी कुछ बदलाव हो रहा है. बच्चे सेल्फ सेंटरिक बनते जा रहे हैं और उनका इमोशनली अटैचमेंट भी कम हो रहा है. ऐसे में बच्चे परिवार से कटने लगते हैं. अगर आप भी अपने बच्चों को भावनात्मक तौर पर खुद से जुड़े रखना चाहते हैं तो उन्हें वैल्यूज सिखाना चाहते हैं तो इसमें स्लीप टॉक थेरेपी (Sleep Talk Therapy) की हेल्प ले सकते हैं. आइए जानते हैं इस थेरेपी के बारें में...

 

स्लीप टॉक थेरेपी क्या है

एक्सपर्ट्स के मुताबिक, स्लीप टॉक थेरेपी 2 से 12 साल तक के बच्चों के लिए ही बनाया गया है. इस थेरेपी में पैरेंट्स सोते हुए बच्चे से अपनी बात कर सकते हैं. सोने के थोड़े समय तक बच्चा सब कांशियस माइंड में ही बना रहता है. वह आधा सोया और आधा जगा रहता है. ऐसे में आपकी बातें सुनने और समझने के लायक होता है. ऐसे समय जब आप अपनी बात कहेंगे तो बिना किसी इंटरफेरेंस के आपकी बातें सुनता है और उस पर रिएक्ट भी करता है. ये वो समय होता है, जब आप उससे अपनी फीलिंग्स शेयर कर उसे खुद से भावनात्मक तौर पर जोड़ सकते हैं.

 

स्लीप टॉक थेरेपी कितनी कारगर

पीडियाट्रिशियन के मुताबिक, स्लीप टॉक थेरेपी बच्चों पर बेहद कारगर होती है, क्योंकि इस समय बच्चे का दिमाग पूरी तरह एक्टिव होता है. जो भी बातें आप उससे करते हैं, वो उसे बेहतर तरीके से सुनता है और सही तरह रिएक्ट भी करता है. सोने के थोड़ी देर बाद तक आप उससे बात करके अपना प्यार जता सकते हैं. इस थेरेपी को बच्चों की मेंटल हेल्थ के लिए भी अच्छा माना जाता है.

 

स्लीप टॉक थेरेपी से क्या-क्या फायदे

1. बच्चा भावनात्मक तौर पर मजबूत बनता है और व्यवहार में भी बदलाव होता है.

2. बच्चों की एकाग्रता बढ़ती है, पढ़ाई में अच्छा परफॉर्म करते हैं.

3. बच्चे मानसिक तौर पर मजबूत होते हैं.

4. बिना डर के बच्चे अपने फैसले खुद और बेहतर तरीके से लेते हैं.

5. बच्चे भावनात्मक तौर पर पैरेंट्स से जुड़ते हैं और प्यार, सम्मान देते हैं. इससे रिश्ता भी मजबूत होता है.

 


Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.


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