Child Care Tips : बच्चे काफी एनर्जेटिक होते हैं. दिनभर पढ़ाई-लिखाई और खेलकूद के बावजूद वे जल्दी थकान नहीं महसूस करते हैं. उनमें गजब की क्षमता होती है. लेकिन अगर आपका बच्चा खेलकूद में इंट्रेस्ट नहीं ले रहा है या दिनभर चुपचाप बैठा रहता है. कुछ करने पर उसे जल्दी थकान लगने लगती है और उदासी छाई रहती है, हो सकता है कि वह हेल्दी न हो. कई बार कमजोरी की वजह से भी बच्चे इस तरह का व्यवहार करते हैं. जब बच्चों की मांसपेशियां कमजोर होती हैं तो उसकी दिलचस्पी खेलकूद या किसी तरह की एक्टिविटीज में नहीं होती है। वह काफी सुस्त रहता है और कई बार तो वीकनेस इस कदर बढ़ जाती है, कि खुद के काम करने और चलने फिरने में भी उसे समस्या होने लगती है. आपका बच्चा शारीरिक तौर पर कमजोर है या नहीं, इसका पता बच्चों में दिखने वाले इन 5 संकेतों (Physical Weakness Symptoms in Kids) से चल सकता है...

सिरदर्द-थकान


अगर थोड़ी सी एक्टिविटीज के बाद ही आपका बच्चा ये कहने लगे कि उसे थकान लग रही है तो समझ जाइए कि वह अंदर से ठीक नहीं है. कई बार ऐसा भी होता है, जब खेलते वक्त बच्चे की हार्ट बीट बढ़ जाती है और उसे सांस लेने में समस्या होने लगती है.

पैरों में दर्द, चलने में परेशानी


सही खानपान की कमी की वजह से बच्चों में कमजोरी हो जाती है. उनके पैर वीक हो जाते हैं. अक्सर उनके पैरों में दर्द होता है और खड़े होने, दौड़ने और कूदने में प्रॉब्लम होती हैं. ऐसा कैल्शियम की कमी की वजह से हो सकता है.

बुखार आना 


अगर आपके बच्चे को बार-बार और जल्दी-जल्दी बुखार आता है, इसका मतलब उसकी इम्यूनिटी कमजोर है और वह फिजिकली कमजोर है.

हाथों में दर्द


कई बार बच्चे पैरेंटस् से शिकायत करते हैं कि उनके हाथ में दर्द है. जब भी वे कुछ लिखते हैं, खाना खाते हैं, खेलते हैं या बैग कैरी करते हैं तो उन्हें हाथ में दर्द होता है. ऐसा होने पर समझ जाना चाहिए कि बच्चे शारीरिक तौर पर कमजोर हैं.

चेहरे का सूख जाना


अगर आपका बच्चा कमजोर है तो उसका चेहरा सूखने लगता है, होंठ फटने लगता है और आंखों के नीचे काला घेरा बनने लगता है. उनके चेहरे पर रैशेज भी हो सकते हैं. इस वजह से बोलने, निगलने और चूसने में भी समस्या होती है.

बच्चों में कमजोरी क्यों होती है


बच्चे में कमजोरी कई वजह से हो सकती है. पोषण की कमी, मांसपेशियों में कमजोरी, पोलियो, एक्यूट फ्लेसिड मायलाइटिस और कई बीमारियों की वजह से बच्चे कमजोर हो जाते हैं. किसी काम में उनका मन नहीं लगता है और उनका विकास स्लो हो जाता है. इसकी वजह से बच्चे की लंबाई नहीं बढ़ती और कई तो अंडरवेट ही रह जाते हैं. 

बच्चों को कमजोरी से कैसे बचाएं


बच्चों में कमजोरी के लक्षण दिखाई दें तो सबसे पहले डॉक्टर को दिखाएं.

खाने में पौष्टिक आहार दें, प्रोटीन, आयरन, कैल्शियम, विटामिन और एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर चीजें ही खाने में दें.

बच्चे को हमेशा हाइड्रेट रखने की कोशिश करें.

बच्चे जब अपनी शारीरिक समस्याएं आपको बताएं तो उसे बहाना न माने और इग्नोर न करें.

 

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