Human Papillomavirus Infection: सर्वाइकल कैंसर भारत में महिलाओं को चपेट में लेने वाला दूसरा सबसे खतरनाक कैंसर है. देश में इस कैंसर के सबसे ज्यादा मरीज हैं. हर साल करीब 1.25 लाख महिलाओं का सर्वाइकल कैंसर का इलाज किया जाता है. इतना ही नहीं, इस भयंकर बीमारी से भारत में 75 हजार से ज्यादा लोगों की मौत भी होती है.


सर्वाइकल कैंसर से पीड़ित होने वाले लोगों का एक बड़ा हिस्सा यानी लगभग 95 पर्सेंट से ज्यादा हिस्सा ह्यूमन पेपिलोमावायरस (Human Papillomavirus) की वजह से है. एक न्यूज चैनल के मुताबिक, मायलैब डिस्कवरी सॉल्यूशंस के मेडिकल अफेयर के डायरेक्टर डॉ. गौतम वानखेड़े ने ह्यूमन पेपिलोमा वायरस (HPV) के बारे में 10 फैक्ट्स बताएं हैं.


1. ह्यूमन पेपिलोमावायरस सबसे कॉमन सेक्सुअली ट्रांसमिटेड इन्फेक्शन (STI) है. HPV स्किन-टू-स्किन सेक्सुअली कॉन्टैक्ट बनाने से फैल सकता है. इसलिए ट्रांसमिशन यानी इसके फैलने के लिए यौन संबंध की जरूरत नहीं होती.


2. कई सेक्सुअली एक्टिव महिलाएं इस HPV की चपेट में आती हैं. हालांकि 10 में से 9 महिलाओं में ये संक्रमण अपने आप साफ हो जाता है, जिससे कैंसर होने की संभावना काफी हद तक कम हो जाती है.


3. 200 से ज्यादा टाइप्स के एचपीवी होते हैं, जिनमें से लगभग 14 टाइप्स को कैंसर पैदा करने के लिए सबसे ज्यादा खतरनाक माना जाता है.


4. HPV 16 या 18 इनवेसिव सर्वाइवल कैंसर के 83 प्रतिशत मामलों का कारण बनता है. संक्रमण के कॉन्टैक्ट में आने से लेकर कैंसर के विकास तक 15 से 20 साल का वक्त लग सकता है. भारत में दर्ज किए गए 5 सर्वाइकल कैंसर के मामलों में से 4 HPV टाइप 16 और 18 के इन्फेक्शन की वजह से होते हैं.


5. सर्वाइकल कैंसर के लिए सबसे इफेक्टिव प्रिवेंशन स्ट्रेटेजी, ट्रीटमेंट और HPV वैक्सीनेशन के साथ-साथ महिलाओं की सिस्टमैटिक स्क्रीनिंग है.


6. सर्वाइकल कैंसर का जल्द से जल्द पता लगाने और इसे रोकने के लिए पैप-स्मियर, एसिटिक एसिड के साथ विजुअल इंस्पेक्शन और HPV डीएनए टेस्टिंग जैसे कई स्क्रीनिंग मेथड का इस्तेमाल किया जाता है.


7. HPV के लिए डीएनए-बेस्ड टेस्टिंग आमतौर पर इस्तेमाल किए जाने वाले बाकी स्क्रीनिंग मेथड के मुकाबले ज्यादा इफेक्टिव माना जाता है. इस टेस्टिंग में एचपीवी डीएनए के टेस्ट के लिए वैजिनल और सर्वाइकल सेल्स का पोलीमरेज़ चेन रिएक्शन या पीसीआर टेस्ट का इस्तेमाल करके टेस्टिंग की जाती है. अगर रिजल्ट पॉजिटिव होता है तो सर्वाइकल कैंसर के लिए और इवैल्यूएशन की जरूरत होती है. लेकिन नेगेटिव होने पर सर्वाइकल कैंसर की संभावना लगभग जीरो है. इससे भी जरूरी बात ये है कि अगले 5 सालों में क्लिनिकल सर्वाइकल कैंसर होने की संभावना काफी नगण्य हो जाती है.


8. आज ऐसी वैक्सीन्स मौजूद हैं, जो HPV के खतरे को बहुत कम कर देती हैं. हालांकि ये पहले से संक्रमित लोगों में वायरस को बेअसर नहीं करते.


9. वैक्सीनेशन कैंसर स्क्रीनिंग की जगह नहीं ले सकता. भले ही आपको एचपीवी वैक्सीन मिली हो, लेकिन आपको सर्वाइकल कैंसर के लिए जांच कराने की जरूरत फिर भी होगी.


10. 21-65 साल के बीच की सभी महिलाओं को हर 3 साल में रेगुलर पैप-स्मीयर जरूर करवाना चाहिए. अगर किसी महिला का एचपीवी डीएनए टेस्ट किया जाता है तो जांच के गैप को 5 साल तक बढ़ाया जा सकता है. 


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