आज के समय में कैंसर सबसे बड़ी जानलेवा बीमारी बन चुकी है. लेकिन अच्छी बात यह है कि अगर इसका पता शुरुआती दौर में चल जाए, तो इसका इलाज आसान और असरदार हो सकता है फिर भी भारत में सिर्फ लगभग 29 प्रतिशत लोग ही समय पर जांच करवाते हैं, यानी ज्यादातर मामलों में बीमारी तब पता चलती है जब वो बढ़ चुकी होती है. एक्सपर्ट्स का कहना है कि नियमित स्क्रीनिंग से कैंसर को जड़ से खत्म किया जा सकता है और जान बचाई जा सकती है. तो आइए जानते हैं क्यों जरूरी है कैंसर की जांच और कौन-कौन सी जांचें कब करवानी चाहिए.
कैंसर की जांच क्यों जरूरी है?
कैंसर का सबसे बड़ा खतरा यही है कि यह शुरू में लक्षण नहीं दिखता, जब तक बीमारी का असर दिखना शुरू होता है, तब तक यह अक्सर शरीर के अंदर फैल चुकी होती है.अगर कैंसर का पता पहले चरण में चल जाए, तो इलाज आसान होता है, खर्च कम आता है और ठीक होने की संभावना ज्यादा रहती है. यही वजह है कि डॉक्टर बार-बार कहते हैं समय पर जांच कराओ.
भारत में स्थिति क्या है?
हर साल भारत में करीब 14 लाख नए कैंसर के मामले सामने आते हैं. इनमें से ज्यादातर का पता देर से चलता है. कुल मिलाकर केवल 29 प्रतिशत कैंसर का ही शुरुआती दौर में पता चल पाता है. जिसमें स्तन कैंसर सिर्फ 15 प्रतिशत मामलों का समय पर पता चलता है. सर्विक्स कैंसर करीब 33 प्रतिशत का ही शुरुआती निदान होता है. वहीं ओरल और कोलोरेक्टल कैंसर 20 प्रतिशत से भी कम मामलों में जल्दी पकड़ में आते हैं. ये आंकड़े दिखाते हैं कि भारत को जागरूकता और नियमित जांच की बहुत जरूरत है.
कौन-सी जांचें कब करानी चाहिए?
सरकार और स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक कुछ खास उम्र के बाद हर व्यक्ति को कुछ जरूरी कैंसर जांचें करवानी चाहिए.
1. मुंह का कैंसर - 30 साल से ऊपर के सभी वयस्क, खासकर तंबाकू या शराब लेने वाले पुरुषों को साल में एक बार मुंह की जांच (VIA/VILI) करानी चाहिए.इसमें डॉक्टर मुंह के अंदर एसिटिक एसिड या लुगोल आयोडीन से जांच करते हैं.
2. सर्विक्स कैंसर - 21-29 वर्ष की महिलाओं को हर तीन साल में पैप टेस्ट कराना चाहिए.30-65 वर्ष की महिलाओं को हर पांच साल में पैप, एचपीवी टेस्ट, या सिर्फ पैप टेस्ट हर तीन साल में कराना चाहिए.
3. स्तन कैंसर - 30 वर्ष से ऊपर की महिलाओं को हर साल क्लिनिकल ब्रेस्ट एग्जामिनेशन कराना चाहिए. 40 वर्ष के बाद हर 1-2 साल में मैमोग्राफी या अल्ट्रासाउंड करवाना जरूरी है. अगर परिवार में किसी को ब्रेस्ट कैंसर रहा हो तो जांच जल्दी शुरू करनी चाहिए.
4. कोलोरेक्टल कैंसर - 45 साल से ऊपर के लोगों को कोलोनोस्कोपी या मल आधारित टेस्ट हर 5–10 साल में करवाने की सलाह दी जाती है.
5. फेफड़ों का कैंसर - 55-80 वर्ष के भारी धूम्रपान करने वालों को साल में एक बार लो-डोज सीटी स्कैन कराने की सलाह दी जाती है. आम लोगों के लिए यह जांच जरूरी नहीं है.
6. प्रोस्टेट कैंसर - 50 वर्ष से ऊपर के पुरुषों को PSA ब्लड टेस्ट और डिजिटल रेक्टल एग्जामिनेशन करवाने की सलाह दी जाती है. परिवार में अगर किसी को यह कैंसर रहा हो, तो जांच पहले से शुरू करनी चाहिए.
यह भी पढ़ें: मां बनने से लेकर मेनोपॉज तक... शरीर में किन-किन बदलावों से गुजरती हैं महिलाएं, ऐसी होती है जर्नी
Disclaimer: यह जानकारी रिसर्च स्टडीज और विशेषज्ञों की राय पर आधारित है. इसे मेडिकल सलाह का विकल्प न मानें. किसी भी नई गतिविधि या व्यायाम को अपनाने से पहले अपने डॉक्टर या संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.