दिल्ली-एनसीआर की हवा लगातार जहरीली हो रही है. ऐसे में हवा में लगातार बढ़ते प्रदूषण से लोगों के फेफड़ों की हालत खराब हाे रही है. वहीं डॉक्टर का कहना है कि वायु प्रदूषण में मौजूद सूक्ष्म कण जैसे पीएम 2.5, पीएम 10 नाइट्रोजन डाइऑक्साइड और ओजोन फेफड़ों को धीरे-धीरे नुकसान पहुंचा रहे हैं. स्मोकिंग की आदत रखने वाले लोगों के लिए तो खतरा और भी ज्यादा बढ़ जाता है. ऐसे में सवाल उठता है कि अगर फेफड़े प्रदूषण या धूम्रपान से खराब हो जाए तो क्या ये दोबारा ठीक हो सकते हैं. चलिए तो आज हम आपको बताते हैं कि स्मोकिंग की आदत या प्रदूषण से अगर फेफड़े खराब हो जाए तो क्या वह दोबारा ठीक हो सकते हैं या नहीं और इसे लेकर एक्सपर्ट्स क्या कहते हैं. 

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प्रदूषण से फेफड़ों को कैसे पहुंचता है नुकसान?

डॉक्टरों के अनुसार हवा में मौजूद प्रदूषक तत्व सांस के जरिए फेफड़ों के गहरे हिस्से तक पहुंच जाते हैं. इससे जलन, सूजन और ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस होता है जो फेफड़ों की संरचना और क्षमता को कमजोर कर देता है. बच्चों, बुजुर्गों और दिल या अस्थमा जैसी बीमारियों से जूझ रहे लोगों के लिए यह खतरा सबसे ज्यादा होता है. वहीं फेफड़ों के खराब होने की शुरुआती संकेत में बार-बार सूखी खांसी या गले में जलन होना शामिल होता है. इसके अलावा हल्का सा काम करने पर भी सांस फूल जाती है. वहीं सीने में भारीपन या घरघराहट की आवाज भी खराब फेफड़े का शुरुआती संकेत होता है. बलगम बढ़ाना और थकान महसूस होना भी खराब फेफड़े के संकेत में आता है.

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क्या खराब होने के बाद फेफड़ों दोबारा ठीक हो सकते हैं?

एक्सपर्ट बताते हैं कि फेफड़ों में खुद को रिपेयर करने की क्षमता होती है. जब व्यक्ति साफ हवा में रहता है, प्रदूषण या स्मोकिंग से दूरी बनाता है तो धीरे-धीरे फेफड़ों की कार्य क्षमता बेहतर हो सकती है. वहीं फेफड़ों में कुछ महीनों से लेकर कुछ सालों में सुधार देखा जा सकता है. हालांकि अगर नुकसान बहुत गहरा या पुराना है जैसे कि COPD तो फेफड़ों का पूरी तरह ठीक होना मुश्किल होता है. लेकिन सही इलाज और सावधानी बरतने से इसका खतरा काफी हद तक कम किया जा सकता है. वहीं एक्सपर्ट्स के अनुसार अगर कोई व्यक्ति स्मोकिंग छोड़ देता है या प्रदूषण से बचने की कोशिश करता है तो दो हफ्तों से 3 महीने के भीतर फेफड़ों की क्षमता में सुधार दिखने लगता है. 

लंग हेल्थ के लिए क्या करें?

  • स्मोकिंग और सेकंड हैंड स्मोक से दूरी बनाएं. 
  • एन95 या केएन95 मास्क लगाकर बाहर निकलें.
  • घर में HEPA फिल्टर वाला एयर प्यूरीफायर इस्तेमाल करें. 
  • डीप ब्रीदिंग या डायाफ्रामेटिक ब्रीदिंग एक्सरसाइज करें.
  • दिनभर पर्याप्त पानी पिएं, ताकि फेफड़ों में जमा गंदगी साफ हो सके. 
  • प्रदूषण वाले दिनों में बाहर की एक्टिविटी कम करें. 

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Disclaimer: यह जानकारी रिसर्च स्टडीज और विशेषज्ञों की राय पर आधारित है. इसे मेडिकल सलाह का विकल्प न मानें. किसी भी नई गतिविधि या व्यायाम को अपनाने से पहले अपने डॉक्टर या संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.