भारत में कोरोना वायरस के खिलाफ 18 साल से ऊपर के लोगों का टीकाकरण जारी है. टीकाकरण में सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया की कोविड-19 वैक्सीन कोविशील्ड और भारत बायोटेक की कोवैक्सीन इस्तेमाल की जा रही है. टीकाकरण के तीसरे में अब तक कई लोगों ने पूरी डोज लगवा ली है. लेकिन सवाल ये पैदा हो रहा है कि क्या पूरा डोज लगवाने के बाद भी कोविड हो सकता है?
कई ऐसे मामले इन दिनों देखने को मिल रहे हैं जहां कोविड-19 वैक्सीन की पूरी डोज लगवाने के बाद लोगों की मौत हो जा रही है. इस पर एबीपी न्यूज़ से बातचीत करते हुए मेदांता अस्पताल, गुरुग्राम के डॉक्टर अरविंद कुमार कहते हैं, "वैक्सीन के तीसरे चरण के मानव परीक्षण के दौरान वॉलेंटियर के दो ग्रुप बनाए गए थे. एक ग्रुप को कोविड-19 वैक्सीन का डोज लगाया गया जबकि दूसरे को नहीं. नतीजे के बाद पता चला कि जिस ग्रुप में वैक्सीन का इस्तेमाल किया गया था, उसमें 70-80 फीसद लोगों को संक्रमण नहीं हुआ, मात्र 20-30 फीसद लोग संक्रमण की चपेट में आ सके थे और संक्रमित लोगों को हल्के लक्षण थे और उनमें से किसी को अस्पताल में नहीं जाना पड़ा था और न ही किसी की मौत हुई. लेकिन कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर में कुछ लोगों को टीकाकरण के बावजूद गंभीर लक्षण का सामना करना पड़ा और कुछ की मौत भी हुई."
डॉक्टर का जोर इस बात पर है कि वैक्सीन का पूरा डोज लगवाने के बाद भी अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत क्यों आई, इस सिलसिले में रिसर्च किए जाने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि टीकाकरण आज भी गंभीर बीमारी से बचने का सबसे प्रभावी तरीका है. उनकी सलाह है कि भले 100 फीसद सुरक्षा न मिलती हो, लेकिन नंबर आने पर अपना टीकाकरण जरूर कराएं.
सवाल- कोरोना वायरस के स्ट्रेन के खिलाफ क्या वैक्सीन असरदार है?जवाब- अभी तक के उपलब्ध डेटा को देखकर लगता है कि उपलब्ध कोविड-19 वैक्सीन स्ट्रेन के खिलाफ प्रभावी साबित हो रही हैं. लेकिन सटीक जवाब के बारे में अभी कह पाना जल्दबाजी होगी बल्कि रिसर्च की जरूरत है.
मानसिक और शारीरिक तौर पर होनेवाली परेशानी से कैसे बचें? जवाब- कोरोना संक्रमण का कोई भी लक्षण जैसे बदन दर्द, बुखार, नाक, गला खराब हो, डायरिया इत्यादि जाहिर होने पर आरटी-पीसीआर की जांच का इंतजार न करें बल्कि सबसे पहले खुद को आइसोलेट कर लें. संक्रमण को रोकने के लिए ये पहला कदम अत्यंत आवश्यक है. दूसरे नंबर पर जरूरी और बुनियादी दवाओं में है पैरासिटामोल. बुखार होने पर सबसे जरूरी है उसे काबू करना और इसके लिए 4-4 या 6-6 घंटे पर पैरासिटामोल की दवा लगातार लें. लक्षण के पहले चरण में एंटीवायरल या एंटीबायोटिक दवाओं को लेने का कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है. होम आइसोलेशन में रहते हुए तीसरे नंबर पर जरूरी है उच्च प्रोटीन वाली डाइट, पानी और फल का इस्तेमाल जरूर करें. वसा युक्त भोजन के इस्तेमाल से परहेज करें. लक्षण जाहिर होने के पहले हफ्ते में स्ट्रॉयड या ब्लड थिनर की कोई भूमिका नहीं है. अपनी दवाओं की पर्ची किसी दूसरे को आजमाने की सलाह न दें. घबराने की बजाए दिमाग को शांत रखें, आराम करें, योग करें और घर पर रहें. पांचवें नंबर पर है खुद की मॉनिटरिंग यानी अपने शरीर के तापमान और ऑक्सीजन को 4-4 घंटे पर नापते रहें.
सवाल- आपको अस्पताल जाने की कब जरूरत पड़ सकती है?जवाब- बुखार 104-105 डिग्री सेल्सियस से ऊपर लगातार रहे, ऑक्सीजन लेवल में गिरावट आए, छाती में दर्द, अत्यधिक खांसी होने पर आपको ऑक्सीजन की जरूरत पड़ेगी. ऑक्सीजन लेवल सुधारने के लिए हर घंटे पर छाती को फुलाते हुए गहरी सांस लें. अगर सांस रोकने की रफ्तार में रोजाना वृद्धि हो रही है, तब ये इस बात का संकेत है आपके लंग में कोई समस्या नहीं है.