विशेषज्ञों के मुताबिक, बात जब पाचन की हो तो आयुर्वेद खाने के लिए बड़ा मार्गदर्शन देता है. आयुर्वेदिक चिकित्सक डॉक्टर दिक्षा भावसार का कहना है कि उसकी गाइडलाइन्स आपकी जीवनशैली को सुधारने में मदद कर सकती हैं. लिहाजा, आपको जानना चाहिए आयुर्वेदिक गाइडलाइन्स क्यों स्वीकार करना चाहिए और आपको कैसे फायदा पहुंचा सकता है?


आंत की सेहत सुधारने के लिए आयुर्वेद के फूड नियम


1. उसी वक्त आप खाएं जब आपको भूख लगी हो. कहने का मतलब ये हुआ कि आपका पूर्व का भोजन पूरी तरह पच चुका हो. कभी-कभी हमें लग सकता है कि हम भूखे हैं, लेकिन बस इतना ही हो सकता है हम डिहाइड्रेटेड होते हैं. अपने शरीर के अनुरूप रहें और फिर से खोजें वास्तव में भूखा होना कैसा लगता है. 


2. शांत और आरामदायक जगह पर खाएं. जब खाने की बारी आए तो बैठ जाएं और जितना संभव हो उतना कम व्याकुलता के साथ खाएं यानी टीवी नहीं, किताब नहीं, फोन नहीं, लैपटॉप नहीं. 


3. सही मात्रा खाएं- हम सभी अलग हैं, हमारी जरूरतें अलग और अलग पेट के आकार और मेटाबोलिक रफ्तार हैं. इसलिए, अपने शरीर की सुनें और केवल तभी खाएं जब आप संतुष्ट महसूस करें. 


4. गर्म भोजन खाएं. आदर्श रूप में ताजा पका भोजन लेकिन जहां तक हो सके आप फ्रिज से सीधे बाहर आने वाली किसी भी चीज से बचें, आप अपनी पाचन शक्ति को बनाए रखेंगे. ये आपके पाचन एंजाइमों को प्रभावी तरीके से काम करने की अनुमति देता है. 


5. जब आप खाएं तो हाजिर रहें. अपनी सभी पांच इंद्रियों का प्रयोग करें. अपने भोजन की खुशबू की सराहना करने के लिए समय लें, अपने प्लेट, अपने खाने की बनावट को देखें.


6. तेज न खाएं. अपने भोजन को सिर्फ निगलो मत, चबाने में थोड़ा समय लगाओ. चबाना पाचन का एक महत्वपूर्ण कदम है. 


7. नियमित समय पर खाएं. प्रकृति चक्र औऱ नियमितता को पसंद करती है, इसलिए आपको पालन करना चाहिए!


8. असंगत फूड सामग्री को एक साथ न खाएं. इससे पेट खराब हो सकता है. कुछ असंगत फूड्स फल और दूध, मछली और दूध हैं. 


9. गुणवत्तापूर्ण भोजन खाएं. सुनिश्चित करें कि आपका भोजन रसदार हो या थोड़ा ऑयली हो क्योंकि इससे पाचन में आसानी होगी और पोषक तत्वों के अवशोषण में सुधार होगा. बहुत ज्यादा शुष्क भोजन से परहेज करें.