No Packaged Food For Babies: छोटे बच्चों के लिए मां के दूध से बढ़कर कोई भी आहार नहीं होता लेकिन जब बच्चे 6 महीने के हो जाते हैं तो उन्हें दूध के साथ ही सॉलिड फूड भी देना होता है. इस उम्र के बच्चे के खाने में चार मील शामिल होनी चाहिए. इन चार मील में दो बड़ी और दो छोटी मील हों तो बेहतर है. वे खाएंगे दो से तीन चम्मच ही या इससे भी कम लेकिन दिन में चार बार खाना देना जरूरी है. इसके लिए बाजार में आने वाले पैकेज्ड फूड का चुनाव बहुत से पैरेंट्स करते हैं. जानते हैं पैकेज्ड फूड बच्चों को क्यों नहीं देना चाहिए.


न्यूट्रीएंट्स की हो सकती है कमी


बाजार में मिलने वाले पैकेज्ड फूड यूं तो सब तरह के न्यूट्रीएंट्स होने का दावा करते हैं लेकिन इससे बच्चों की आदत बिगड़ती है. ऐसा खाना देने पर वे किसी और प्रकार का खाना नहीं खाना चाहते. नतीजा ये होता है कि उन्हें वे सारे न्यूट्रीएंट्स नहीं मिल पाते जो नेचुरल फूड से मिल सकते हैं. डिब्बे में बंद खाने में कितना भी पोषक तत्व डाल दो इसमें वो बात नहीं आती जो नेचुरल फूड में आती है. इनकी सेल्फ लाइफ होती है यानी पोषक तत्व समय के साथ कम ही होते जाते हैं.


बच्चों को दें फूड की वैरायटी


बच्चों को सभी न्यूट्रीएंट्स मिलें और उन्हें हर तरह का खाना खाने की आदत पड़े इसलिए जरूरी है कि उन्हें बदल-बदलकर फूड आइटम दिए जाएं. इस बारे में एक्सपर्ट्स का मानना है कि 6 महीने का होने पर बच्चे को हलवे के फॉर्म में कोई भी भोजन दें यानी मैश करके खिलाएं. उसे केला, सादी दाल, खिचड़ी, दलिया, आटे का हलवा जैसी चीजें खिला सकते हैं. इन सभी को अच्छे से गला लें और नमक और शक्कर के अलावा कोई और मसाला इसमें न डालें.


किस उम्र में दें कैसा भोजन


बच्चे को थोड़ा-थोड़ा खाना दिन में कई बार दें. उसे मसले हुए फल दें और धीरे-धीरे भोजन की मात्रा बढ़ाएं. शुरुआत एक चम्मच से कर सकती हैं. 6 से 8 महीने तक बच्चे को पेस्ट जैसा खाना देना चाहिए. 9 से 11 महीने तक उसे सलाद जैसा खाना चबाने के लिए देना चाहिए क्योंकि इस समय दांत निकलने लगते हैं. उसके एक साल तक होने तक घर में बना हर तरह का सादा खाना खिलाएं ताकि उसकी आदत पड़े. बच्चों का खाना हो सके तो घी में बनाएं. घी से विटामिन डी एब्जॉर्ब होता है.


यह भी पढ़ें: सनफ्लावर ऑयल है स्किन के लिए वरदान