डायबिटीज में देखभाल और ब्लड शुगर लेवल के उतार-चढ़ाव पर नियंत्रण बहुत जरूरी है. चाहे आपको हायपर ग्लाईसीमिया (ब्लड शुगर की अधिक मात्रा) हो या हाइपोग्लाइसीमिया (ब्लड शुगर की कम मात्रा), अपनी स्थिति से अवगत होने पर बेहतर इंतजाम, बीमारी को काबू और पेचीदगियों की रोकथाम का रास्ता मिल सकता है, विशेषकर कोरोना काल में. इसके लिए आपको छह नियम बताए जा रहे हैं. इन नियमों का पालन कर आप स्वस्थ रह सकते हैं और ब्लड शुगर लेवल को बेहतर तरीके से काबू भी कर सकते हैं. 


स्वस्थ भोजन खाएं- डायबिटीज में सबसे प्रमुख आपकी डाइट की भूमिका होती है. ब्लड शुगर लेवल को स्थिर करने का सबसे अच्छा तरीका अच्छी डाइट है. सुनिश्चित करें कि आपके अहम भोजन का अंतराल चार से पांच घंटे से ज्यादा न हो. हर दो या ढाई घंटे पर कुछ खाने की कोशिश करें. ये आपके ब्लड में ग्लूकोज लेवल को निर्धारित सीमा के भीतर बनाए रखेगा. रिफाइन अनाज के प्रोडट्स जैसे नूडल्स, सफेद चावल, व्हाइट ब्रेड ब्लड शुगर लेवल को बढ़ाते हैं, इसलिए उनको अपनी डाइट में शामिल करने से बचें. उसके बजाए, कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स वाले भोजन जैसे ओट्स, ब्राउन राइस, गेहूं को डाइट में शामिल करें. 


नियमित व्यायाम करें- शारीरिक व्यायाम भी ब्लड शुगर लेवल को स्थिर बनाए रखने में मदद करता है. इसलिए रोजाना व्यायाम कर थोड़ा कैलोरी बर्न करने की कोशिश करें. लेकिन व्यायाम से पहले और बाद में हमेशा ब्लड शुगर लेवल को चेक करें. इस दौरान अगर आप बहुत ज्यादा या बहुत कम लेवल पाते हैं, तो उस दिन अपने आप को व्यायाम से थोड़ा विराम दें. 


दवाइयों को न छोड़ें- अगर आप डायबिटीज के मरीज हैं, तो अपनी दवा के साथ नियमित रहना जरूरी है. अगर दवा छोड़ दिया, तो उसकी वजह से डायबिटीज संबंधित कई पेचीदगियां हो सकती हैं. काबू करने के लिए उपयुक्त शेड्यूल पर दवा को भी स्वस्थ खाने और व्यायाम के अलावा शामिल करें. 


अतिरिक्त वजन कम करें- डायबिटीज होने के नाते मोटापा उचित देखभाल न करने की सूरत में पेचीदगियां पैदा कर सकता है. ये कोलेस्ट्रोल लेवल को बहुत ज्यादा बढ़ा सकता है जो दिल की बीमारी का कारण बन सकता है. इसलिए ये आपके ऊपर है कि कैसे आप अपने वजन की देखभाल करते हैं. 


ब्लड शुगर लेवल को बराबर चेक करें- अगर आप डायबिटीज के रोगी हैं, तो ग्लूकोमीटर डिवाइस आपके पास होना चाहिए.  HbA1c यानी हीमोग्लोबिन A1c लैब में होने वाला एक ब्लड टेस्ट होता है. उसे कम से कम तीन महीनों के अंतराल पर कराया जाना चाहिए. इसके जरिए ब्लड में शुगर लेवल की औसत मात्रा का पता चलता है.


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