ड्यूक और डचेस ऑफ कैम्ब्रिज रॉयल फाउंडेशन के शोध के अनुसार, कोविड -19 महामारी और उसके बाद के लॉकडाउन ने पेरेंट्स में अकेलेपन की भावनाओं को बढ़ावा दिया है. कुछ 63 प्रतिशत पेरेंट्स महामारी शुरू होने के बाद अपने परिवार से कटा महसूस करते हैं, जिसमें 38 प्रतिशत पेरेंट्स की ऐसी दशा कोविड-19 महामारी के पहले से थी.


पेरेंट्स के इस अनुपात में भी वृद्धि देखी गई है जो मदद मांगने में असहज महसूस करते हैं, 18 प्रतिशत इस तरह के लोग कोविड -19 के फैलने से पहले ऐसा महसूस करते थे जबकि 34 प्रतिशत इस महामारी के आने के बाद जरूरत में मदद मांगने में असहज महसूस करते हैं.


चैरिटी ने ब्रिटेन में अपने शोध के हिस्से के रूप में पांच लाख लोगों से बात की और इस संबंध में जानकारी जुटाई है.


केट मिडिटन ने इस सप्ताह के शुरू में जारी एक वीडियो में कहा, "यह साल हम सभी के लिए बेहद चुनौतीपूर्ण समय रहा है और परिवारों के बारे में बात करने के लिए अधिक महत्वपूर्ण समय रहा है." 


यह भी पाया गया कि वंचित क्षेत्रों में रहने वाले पेरेंट्स में 'अक्सर' या 'हमेशा' अकेले महसूस करने की संभावना से दोगुना अधिक बढ़ोतरी हुई है.


अध्ययन में इन पेरेंट्स के लिए समुदायों की भूमिका को भी देखा गया है, जिसमें यह पाया गया कि 40 प्रतिशत पेरेंट्स ने महसूस किया कि उनके आसपास के लोगों से उन्हें सपोर्ट बढ़ा है. हालांकि, वंचित क्षेत्रों के माता-पिता को सपोर्ट में वृद्धि की संभावना कम थी.



कुछ 10 फीसदी माता-पिता ऐसे हैं जिन्होंने खुद के मानसिक स्वास्थ्य और देखभाल के लिए समय निकाला. शोध में आगे पाया गया कि 70 प्रतिशत माता-पिता महसूस करते हैं कि वे दूसरों के साथ न्याय करते हैं और इन माता-पिता में से लगभग आधे ने महसूस किया कि यह उनके मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डालता है.