महामारी के एक साल से ज्यादा होने पर हम कोरोना वायरस संक्रमण के प्रमुख लक्षणों से वाकिफ हो चुके हैं. राहत की एक संक्षिप्त अवधि के बाद कोरोना वायरस की दूसरी लहर ने भारत को प्रभावित किया है. दूसरी लहर में संक्रमण के उछाल और मामलों की बढ़ोतरी को देखा जा रहा है. शोधकर्ता सावधान कर रहे हैं कि कोरोना वायरस महामारी की दूसरी लहर संक्रमण के तरीके में बदलाव से लक्षण बढ़ा रही है.


उन्होंने लिस्ट में नए अप्रत्याशित लक्षणों को जोड़ते हुए चौकन्ना रहने को कहा है. कोविड-19 के आम लक्षणों में बुखार, बदन दर्द, स्वाद और गंध का क्षरण, ठंड लगना, सांस फूलना शामिल हैं. अब, कई रिसर्च में सुझाया जा रहा है कि पिंक आई, सुनने में परेशानी जैसे लक्षण सामने आ रहे हैं. संदेह ये भी जताया जा रहा है कि एक बार वायरस की चपेट में आने पर गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल की जटिलताओं से जूझना पड़ सकता है.


पिंक आई या  कंजक्टिवाइटिसपिंक- चीन में किए गए एक रिसर्च के मुताबिक, गुलाबी आंख या कंजक्टिवाइटिसपिंक कोविड-19 संक्रमण का भी एक संकेत हो सकता है. आंख से संबंधित समस्या पिंक आई या कंजक्टिवाइटिस में आंख लाल, सूजनयुक्त और पानी वाली हो जाती है. 12 प्रतिभागी जो कोरोना वायरस के नए स्ट्रेस संक्रमित हुए थे, उन्होंने इस लक्षण की बात कही.


बहरापन या सुनने में परेशानी- बहरापन या कान का बजना भी कोरोना वायरस के गंभीर संक्रमण का एक संकेत हो सकता है. इंटरनेशल जर्नल ऑफ ऑडियोलॉजी में प्रकाशित रिसर्च के मुताबिक, कोविड-19 का संक्रमण सुनने की समस्या के लिए नेतृत्व कर सकता है. एक या दोनों कानों में लगातार आवाज या गुंजन के अनुभव का संदर्भ टिन्निटस के तौर पर होता है. रिसर्च से पता चला कि कोविड-19 से प्रभावित 7.6 फीसद लोगों ने कुछ प्रकार सुनने के मुद्दे का सामना किया.


गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल के लक्षण- शोधकर्ता कह रहे हैं कि गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल की कई शिकायतें भी सुनने को मिल रही है. कोरोना वायरस ऊपरी श्वसन प्रणाली में संक्रमण की वजह बनता है. इसलिए लोग अपनी गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल असुविधा को कोरोना वायरस संक्रमण से नहीं जोड़ते हैं. ये एक आश्चर्य के रूप में आ सकता है, लेकिन कई मामलों में देखा गया है कि डायरिया और उल्टी कोरोना वायरस के संकेत हो सकते हैं.


विशेषज्ञों ने वर्तमान परिस्थिति में लोगों को डायरिया या उल्टी के लक्षण हल्के में नहीं लेने की सलाह दी है. रिसर्च के मुताबिक, कोविड-19 मुख्य रूप से श्वसन तंत्र को प्रभावित करती है, लेकिन उसका प्रभाव अन्य अंगों जैसे किडनी, लीवर और आंत पर भी हो सकता है. गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल के लक्षणों में पेट की ऐंठन, मतली, दर्द, डायरिया और उल्टी शामिल हैं. अगर आपको पाचन की कोई गड़बड़ी है, तब आपको अपना जांच जरूर करवाना चाहिए.


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