कोविड-19 महामारी ने शारीरिक और दिमागी सेहत को बुरी तरह प्रभावित किया है. डर चाहे वायरस के संक्रमण का हो या उससे जुड़े लक्षणों से निपटने का, लोगों में चिंता और तनाव का लेवल स्पष्ट महसूस किया सकता है. महामारी से हमारी नींद के चक्र पर असर पड़ा है, जिससे अनिद्रा के अधिक मामले देखे जा रहे हैं. इस स्थिति को 'कोरोना सोमनिया' का नाम दिया गया है. भाटिया अस्पताल मुंबई की डॉक्टर अनामिका राठौड़ कुछ फैक्टर को गिनाती हैं. 


तनाव- संक्रमित होने का डर, संक्रमण का फैलाव, बहुत ज्यादा खबरें देखना, असहाय महसूस करना, कोरोना संक्रमित परिवार के सदस्यों से न मिल पाना. ये सभी फैक्टर अनिद्रा में योगदान करते हैं.


दैनिक रूटीन में बदलाव- शारीरिक गतिविधि की कमी, ऑनलाइन वर्क, बिना ब्रेक के घर पर निरंतर काम, स्क्रीन के समय में वृद्धि, कभी-कभी दिन में बहुत ज्यादा नींद से अनिद्रा की समस्या हो सकती है.


आर्थिक दबाव- नौकरी का चले जाना, कम आय, कैरियर की असुरक्षा, बिना आमदनी के खर्चे का बढ़ना. उसके अलावा, बीमारी भी खुद अनिद्रा की वजह हो सकती है. 


अनिद्रा क्यों है चिंता का कारण?
अनिद्रा न सिर्फ थकान और नीद की कमी वजह बनती है, बल्कि ये किसी को हाइपरटेंशन, डायबिटीज और स्ट्रोक के प्रति संवेदनशील भी बनाती है. डॉक्टर राठौड़ बताती हैं, "बुखार और स्वाद की कमी भी किसी को जगाए रख सकती है."


कुल मिलाकर नींद की कमी इम्यूनिटी लेवल कम करती है, सूजन को बढ़ाती है जिसके नतीजे में अधिक लक्षण और अनिद्रा उसे दुष्चक्र बनाती है. नींद की कमी से होनेवाली कम इम्यूनिटी के साथ ये कोविड-19 के प्रति और अतिसंवेदनशील बनाते हैं. इससे अधिक चिंता और तनाव हो सकता है. 


समस्या से बचने के लिए क्या करें?
डॉक्टर राठौड़ के मुताबिक, सबसे बुनियादी सलाह खबर और बहुत ज्यादा ऑनलाइन अपडेट से दूर रहना है. व्यायाम के साथ दैनिक रूटीन का पालन करें, स्वस्थ डाइट खाएं और दिन में अतिरिक्त सोने से परहेज कर नींद का शेड्यूल पूरा करें, स्क्रीन के समय को कम करें और कुछ आदतों जैसे म्यूजिक, कला, रीडिंग को अपनाएं.


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