Chhath Puja 2023: हिंदू धर्म में छठ पूजा का विशेष महत्व होता है. खासकर यूपी, बिहार, झारखंड में यह व्रत सुहागन महिलाएं जरूर करती हैं. इसकी शुरुआत नहाए खाए से होती है, जो इस बार 17 नवंबर को मनाया जाएगा. इसके बाद खरना होगा और उसके बाद 36 घंटे का निर्जला व्रत रखा जाएगा. ऐसे में जो महिलाएं शादी के बाद पहली बार यह व्रत करने जा रही है, उनके लिए इस व्रत को करने के क्या नियम होते हैं और उन्हें किन बातों का ध्यान रखना चाहिए इस आर्टिकल में हम आपको बताते हैं.

 

36 घंटे का निर्जला व्रत रखती हैं महिलाएं 

छठ पूजा की शुरुआत नहाए खाए से होती है, जिसमें महिलाएं सुबह सबसे पहले नहाकर पूजा पाठ करके सात्विक भोजन करती हैं, उसके बाद अगले दिन खरना होता है, जिसमें गुड़ की खीर बनाई जाती है. इसे खाने के बाद 36 घंटे का निर्जला व्रत रखा जाता है, ऐसे में जो महिलाएं पहली बार यह व्रत रख रही है उन्हें शुद्धता और पवित्रता का पूरा ध्यान रखना चाहिए और इसके बाद 36 घंटे का व्रत शुरू करना चाहिए.

 

घाट पर मनाया जाता है छठ पर्व 

छठ पर्व को घर से दूर घाट पर मनाया जाता है, खासकर गंगा नदी में दीप जलाकर महिलाएं गीत गाती हैं और एक साथ इकट्ठा होकर छठ का पर्व मानती हैं. इतना ही नहीं छठ पर्व पर एक खास प्रसाद भी बनता है जिसे ठेकुआ कहा जाता है, ठेकुआ के साथ छठ की टोकरी में फल जैसे- केला, नारियल, गन्ना, बड़ा नींबू, सिंघाड़ा, सुपारी, सुथानी, हल्दी, अदरक, पान का पत्ता आदि चीज डाली जाती है.

 

सूर्य की पूजा करने का है विशेष महत्व 

छठ पर्व पर सूर्य की आराधना करने का विशेष महत्व होता है उगते सूरज के साथ ही ढलते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है और विधि विधान से सूर्य देव की पूजा अर्चना की जाती है. सूर्य को अर्घ्य देने के बाद ही व्रती महिलाएं अपने व्रत का पारण करती हैं.

 

छठ में कोसी भरने का है खास महत्व 

जो महिलाएं पहली बार छठ का व्रत करती है, वह उसकी शुरुआत अपने मायके से करती हैं और छठ करते समय कोसी भी भरती है. मनोकामना पूरी होने पर कोसी भरकर छठी मैया को आभार व्यक्त किया जाता हैं.

 

Disclaimer: इस आर्टिकल में बताई विधि, तरीक़ों और सुझाव पर अमल करने से पहले डॉक्टर या संबंधित एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें.

 

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