How to Make Dark Chocolate:  डार्क चॉकलेट खाने के कई बेनिफिट हैं, जैसे ये तनाव कम करती है, मूड को हैप्पी बनाती है और स्वीट डिश की क्रेविंग भी कम करती है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि डार्क चॉकलेट कैसे बनती है, जिसकी वजह ये इतनी फायदेमंद है? वर्ल्ड चॉकलेट डे पर जानिये डार्क चॉकलेट और दूसरी चॉकलेट्स कैसे बनती हैं और इनमें कितनी कैलोरी होती हैं


चॉकलेट मेकिंग प्रोसेस: 
डार्क चॉकलेट, मिल्क या नॉर्मल कोई भी चॉकलेट कोको बीन्स से बनायी जाती है. दरअसल कोको का बड़ा फल होता है जिसके अंदर कोको बीज होते हैं. इनको निकालकर पहले फर्मंट किया जाता है फिर सुखाया जाता है और रोस्ट किया जाता है इसके बाद शैल से अलग किया जाता है. फाइनली इसे एक फाइन पाउडर में पीसा जाता है. इसमें काफी बटर भी होता है जिससे ये एक स्मूद ड्राई पल्प जैसा बन जाता है.


कैसे बनती है डार्क चॉकलेट? 
दरअसल डार्क चॉकलेट में कम से 50 और मैक्सिमस 90% तक कोको सीडस् होते है. यहां तक कि जो कोको सीड्स यूज होते हैं, उसमें से बटर भी निकाल लिया जाता है. इसीलिये डार्क चॉकलेट में थोड़ी ड्राई होती हैं. डार्क चॉकलेट में बहुत कम मात्रा में शुगर डाला जाता है और ज्यादातर ब्राउन शुगर डाला जाता है जिससे ये हेल्दी मानी जाती है और इसीलिये डार्क चॉकलेट थोड़ी कड़वी जैसी लगती है. डार्क चॉकलेट में मिल्क या मिल्क पाउडर भी एड नहीं किया जाता है. 


कैसे बनती हैं दूसरी चॉकलेट्?
नॉर्मल चॉकलेट में 50% तक कोको एक्सट्रैक्ट, बटर, शुगर और मिल्क पाउडर मिक्स किया जाता है. हालांकि अलग-अलग ब्रांड कोको एक्सट्रैक्ट का अलग अलग रेशियो लेते हैं. व्हाइट मिल्क चॉकलेट में कोको एक्सट्रैक्ट की बजाय जो कोको सीड्स से बटर निकलता है वो इस्तेमाल किया जाता है और साथ में मिल्क और शुगर डाला जाता है


डार्क चॉकलेट में कैलोरी
अगर एक पीस डार्क चॉकलेट खाया जाये तो उसमें सिर्फ 20 से 30 कैलोरी होती है, वहीं नॉर्मल चॉकलेट में 70 कैलोरीज तक होती है. दरअसल डॉर्क चॉकलेट में फैट, कार्बोहाइट्रेड और शुगर तीनों ही नॉर्मल चॉकलेट से बहुत कम होता है इसलिये इसको खाना फायदेमंद माना जाता है.


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