भारतीय रेलवे से यात्रा करने वाले यात्रियों के लिए देश में वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन की शुरुआत हुई और उसके बाद से कई शहरों से अब वंदे भारत ट्रेनें चलाई जा रही है. हाल में ही रेलवे मंत्री अश्विनी वैष्णव के एक बयान के अनुसार जुलाई महीने में देश को पहली वंदे मेट्रो मिलेगी. ये वंदे मेट्रो सामान्य मेट्रो और डेली पैसेंजरों की तर्ज पर चलाए जाएंगे. दो बड़े शहरों को जोड़ने की तर्ज पर चलाई जा रही इंटरसिटी एक्सप्रेस की तर्ज पर भी ये मेट्रो चलाई जाएगी. वंदे मेट्रो पर काम तेजी से चल रहा है.


मेट्रो रहेगी हाई स्पीड


उम्मीद लगाई जा रही है कि देश के उन इलाकों में ये मेट्रो चलाई जाएगी जिस क्षेत्र में काफी भीड़भाड़ में रहती है और यात्रा करने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. हर रोज यात्रा करने वाले यात्रियों की परेशानी को देखकर ही रेलवे की ओर से वंदे मेट्रो चलाने की प्लानिंग की जा रही है. देश की पहली वंदे मेट्रो ट्रेन जुलाई माह में पटरी पर दौड़ने लगेगी. शुरू में इसे परीक्षण के तौर 2 से 3 माह तक चलाया जाएगा, उसके बाद परीक्षण सफल रहा तो अन्य रूटों पर भी चलाने का निर्णय लिया जाएगा.


फिलहाल अभी वंदे मेट्रो ट्रेन के परीक्षण के लिए रूट का चयन नहीं हो सका है. अभी तक कुल 50 वंदे मेट्रो ट्रेन बनकर तैयार है. देश की पहली वंदे मेट्रो काफी हाईस्पीड में चलेगी. इसके लिए परीक्षण जल्द ही किया जाएगा. वर्तमान समय में वंदे मेट्रो के निर्माण कार्य तेजी से चल रहे हैं. वंदे मेट्रो ट्रेन पहले चरण में देश के 124 शहरों को जोड़ने का काम करेगी. रिपोर्ट की मानें तो अब तक करीब 50 ट्रेनें बनकर तैयार हो गई है.



परीक्षण सफल रहा तो 300 से अधिक मेट्रो का और आर्डर दिया जाएगा. आगामी कुछ वर्षों के अंदर पूरे देश में करीब 300 से अधिक वंदे मेट्रो चलाने की तैयारी हो रही है. इन मेट्रो में कोच की संख्या जरूरत के अनुसार तय किए जाएंगे. ये मेट्रो और इंटरसिटी एक्सप्रेस के मुकाबले हाईस्पीड में चलेगी. वंदे मेट्रो में चार, पांच , 12 और 16 कोच की होगी. जिस रूट में अधिक यात्री रहेंगे वहां पर 16 कोच की मेट्रो होगी. जहां पर कम यात्री होंगे वहां पर चार से पांच ट्रेन की कोच होगी.


वंदे मेट्रो के जरिए उन शहरों को जोड़ा जाएगा, जो अधिकतम ढाई सौ किलोमीटर के फासले पर स्थित होंगे. वंदे मेट्रो में सीटों के बीच चौड़े मार्ग से प्रत्येक कोच की क्षमता 280 यात्रियों की होगी, जिसमें 100 बैठने की जगह भी शामिल है. वंदे मेट्रो में स्वचालित दरवाजे, शौचालय, एयर कंडीशनिंग और प्रत्येक कोच में 14 सेंसर के साथ धुआं पहचान प्रणाली भी होगी. एक रिपोर्ट के अनुसार लखनऊ - कानपुर, आगरा - मथुरा, तिरुपति से चेन्नई आदि के बीच में वंदे मेट्रो चलाने की उम्मीद है.  


भारतीय रेलवे की बदलती तस्वीर


भारतीय रेलवे द्वारा ट्रेन को आधुनिक किया जा रहा है. इसी क्रम में वंदे भारत ट्रेन भी आई. उसके आने से यात्रा और भी सुगम हुआ है. इसके अलावा 2026 तक बुलेट ट्रेन के पहले फेज का भी शुभारंभ होने की उम्मीद है. ऐसे में भारतीय रेलवे में पहले के अपेक्षा काफी कुछ सुधार हो रहा है. सभी रेलवे ट्रैक के विद्युतीकरण का भी कार्य लगभग पूरा कर लिया गया है. ट्रेनों में इकोनॉमी कोच लगाकर भी यात्रा और यात्रियों के लिए सुगमता क लिए काम किया गया है. वर्तमान में कई रेलवे स्टेशनों का भी कायाकल्प किया गया है.


अभी एक वर्तमान में ट्रेनों में वेटिंग टिकट मिलना एक समस्या है. इसको खत्म करने के लिए भारतीय रेलवे की ओर से भी काम किया जा रहा है. अब पहले की अपेक्षा ट्रेन की गति में काफी बढ़ोतरी हुई है. ट्रेनों की अधिकतम गति 130 किलोमीटर प्रति घंटा के हिसाब से तय किया गया है. रेलवे मंत्री के अनुसार साल 2032 तक आते आते वेटिंग की समस्या पूरी तरह से खत्म हो जाएगी. अधिक संख्या में कोच, पटरियों और लोको के बनने के बाद वेटिंग की समस्या ना के बराबर रह जाएगी. उसके बाद सभी को कंफर्म टिकट ही मिलेंगे.