सेमीकंडक्टर के क्षेत्र में भारत तेज़ी से क़दम बढ़ा रहा है. भारत 2026 तक सेमीकंडक्टर मार्केट हब बनने की राह पर है. इस दिशा में केंद्र सरकार लगातार ठोस क़दम उठा रही है. सेमीकंडक्टर से जुड़े प्रोजेक्ट में भारत भारी-भरकम निवेश कर रहा है.


हाल ही में केंद्रीय कैबिनेट से तीन और सेमीकंडक्टर इकाइयां लगाने को मंज़ूरी दी गयी है. यह इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन के लिए लंबी छलांग है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भी मानना है कि देश में ही स्थापित की जा रही सेमीकंडक्टर इकाइयों तकनीकी आत्मनिर्भरता की दिशा में मदद मिलेगी. इस दिशा में भारत की 'परिवर्तनकारी यात्रा' को और मज़बूती मिलेगी.


केंद्रीय कैबिनेट से तीन सेमीकंडक्टर इकाइयों को मंज़ूरी मिलने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया 'एक्स' पर पोस्ट में कहा कि इस क़दम से सुनिश्चित होगा कि भारत सेमीकंडक्टर विनिर्माण के क्षेत्र में वैश्विक केंद्र के रूप में उभरे.


तीन नयी सेमीकंडक्टर इकाई स्थापित होंगी


केंद्रीय कैबिनेट ने 29 फरवरी को तीन सेमीकंडक्टर इकाई स्थापित करने के प्रस्तावों को मंज़ूरी दी थी, जिसमें टाटा समूह द्वारा मेगा फैब भी शामिल था. इन सेमीकंडक्टर इकाइयों पर 1.26 लाख करोड़ रुपये का संचयी निवेश किया जाएगा. भारत में सेमीकंडक्टर्स और डिस्प्ले मैन्युफैक्चरिंग इकोसिस्टम के विकास प्रोजेक्ट के तहत इन तीन इकाइयों को बनाने की मंज़ूरी दी गयी है.


देश में अधिक से अधिक सेमीकंडक्टर इकाइयों की स्थापना से भारत को कई लाभ होने वाला है. भारत में चिप की ज़रूरत को पूरा करने के लिए आयात पर निर्भरता है. भविष्य में इस निर्भरता को कम करने की दिशा में यह पहल बेहद महत्वपूर्ण साबित होगा. इन इकाइयों का निर्माण कार्य अगले 100 दिन में शुरू हो जाएगा. इन इकाइयों में रक्षा, ऑटोमोबाइल और दूरसंचार जैसे क्षेत्रों के लिए चिप बनायी जाएगी.


केंद्र सरकार से स्वीकृत तीन सेमीकंडक्टर पर एक नज़र डालते हैं.


1. ताइवान की पावरचिप सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग कॉर्प के साथ साझेदारी में टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स प्राइवेट लिमिटेड एक सेमीकंडक्टर फैब बनाएगा. इसका निर्माण गुजरात के धोलेरा में किया जाएगा, जिस पर 91,000 करोड़ रुपये का निवेश होगा. ताइवान की कंपनी इसमें तकनीकी साझेदार है. इस कंपनी की ताइवान में 6 सेमीकंडक्टर फाउंड्री है. ताइवान की पीएसएमसी कंपनी पूरी दुनिया में लॉजिक और मेमोरी फाउंड्री सेगमेंट में अपनी विशेषज्ञता के मशहूर है. इस इकाई की क्षमता 50,000 प्रति माह वेफर स्टार्ट (WSPM)होगी. इस फैब में  28 एनएम टेकनोलॉजी समेत हाई परफॉर्मेंस कंप्यूट चिप्स बनाए जाएंगे. इलेक्ट्रिक वाहनों , दूरसंचार, रक्षा, ऑटोमोटिव, उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स, डिस्प्ले, पावर इलेक्ट्रॉनिक्स आदि के लिए पावर मैनेजमेंट चिप्स बनाए जाएंगे. पावर मैनेजमेंट चिप्स, हाई वोल्टेज, हाई करंट एप्लीकेशन्स हैं.


2. टाटा सेमीकंडक्टर असेंबली एंड टेस्ट प्राइवेट लिमिटेड (TSAT) असम के मोरीगांव में एक सेमीकंडक्टर इकाई बनाएगा. इसमें 27,000 करोड़ रुपये का निवेश होगा. टीएसएटी द्वारा सेमीकंडक्टर फ्लिप चिप और आईएसआईपी (पैकेज में एकीकृत प्रणाली) प्रौद्योगिकियों सहित स्वदेशी उन्नत सेमीकंडक्टर पैकेजिंग प्रौद्योगिकियों का विकास किया जा रहा है. इस इकाई की क्षमता प्रतिदिन 48 मिलियन होगी. इसके दायरे में ऑटोमोटिव, इलेक्ट्रिक वाहन, उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स, दूरसंचार, मोबाइल फोन आएंगे.


3. स्पेशलाइज़्ड या'नी विशिष्ट चिप्स के लिए एक सेमीकंडक्टर एटीएमपी इकाई बनायी जाएगी. यह इकाई गुजरात के साणंद में बनेगी. इस सेमीकंडक्टर इकाई की स्थापना जापान की रेनेसास इलेक्ट्रॉनिक्स कॉर्पोरेशन और थाईलैंड की स्टार्स माइक्रोइलेक्ट्रॉनिक्स के साथ साझेदारी में  सीजी पावर करेगा. इस पर कुल 7,600 हजार करोड़ रुपये का निवेश होगा. जापान की रेनेसास स्पेशलाइज़्ड चिप्स के लिए प्रसिद्ध है, जो 12 सेमीकंडक्टर सुविधाओं का संचालन करती है. इस इकाई की क्षमता प्रतिदिन 15 मिलियन होगी. इस इकाई में उपभोक्ता, औद्योगिक, ऑटोमोटिव और पावर एप्लीकेशन्स के लिए चिप्स का निर्माण किया जाएगा.


सेमीकंडक्टर इकाइयों का सामरिक महत्व


भारत में 76,000 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ सेमीकंडक्टर्स और डिस्प्ले मैन्युफैक्चरिंग इकोसिस्टम के विकास का कार्यक्रम 21 दिसंबर, 2021 को अधिसूचित किया गया था. सभी सेमीकंडक्टर इकाइयाँ सामरिक महत्व रखती हैं. इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन को नया आयाम मिलेगा. देश में सेमीकंडक्टर इकोसिस्टम स्थापित में ये इकाइयाँ मील का पत्थर साबित होंगी. चिप डिजाइन के मामले में देश में अपार संभावना है. इन इकाइयों से भारत चिप विनिर्माण या चिप फेब्रिकेशन में ऐसी क्षमता विकसित कर लेगा, जिससे भविष्य में सेमीकंडक्टर मार्केट हब बनने में काफ़ी मदद मिलेगी. इससे पहले केंद्रीय कैबिनेट ने  जून, 2023 में गुजरात के साणंद में सेमीकंडक्टर इकाई लगाने के लिए माइक्रोन के प्रस्ताव को मंज़ूरी दी थी. इस इकाई का निर्माण कार्य तेज़ी से प्रगति पर है. इससे इकाई के आस-पास मज़बूत सेमीकंडक्टर इकोसिस्टम बन रहा है.


रोज़गार के नज़रिये से भी काफ़ी महत्व


सेमीकंडक्टर का क्षेत्र रोज़गार के नज़रिये से भी काफ़ी महत्व रखता है. इन तीन नयी सेमीकंडक्टर इकाइयों की स्थापना से रोज़गार की संभावना को भी बल मिलेगा. इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय के मुताबिक़ इन तीन इकाइयों से 20 हज़ार प्रत्यक्ष रोज़गार के मौक़े बनेंगे, जो उन्नत प्रौद्योगिकी कार्यों से जुड़ी नौकरी होगी. इसके साथ ही तक़रीबन 60 हज़ार अप्रत्यक्ष रोज़गार का भी सृजन होगा. इन इकाइयों से डाउनस्ट्रीम ऑटोमोटिव, इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण, दूरसंचार विनिर्माण, औद्योगिक विनिर्माण और बाक़ी सेमीकंडक्टर उपभोक्ता उद्योगों में रोज़गार के अवसर तेज़ी से बढ़ेंगे.


भारत का पहला वाणिज्यिक सेमीकंडक्टर संयंत्र


गुजरात के धोलेरा में टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स प्राइवेट लिमिटेड जिस सेमीकंडक्टर फैब को बनाएगा, वो भारत का पहला वाणिज्यिक सेमीकंडक्टर संयंत्र होगा. यह संयंत्र वैश्विक सेमीकंडक्टर उद्योग में टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स के प्रवेश का भी ज़रिया बनेगा. टाटा समूह का कहना है कि या भारत का पहला आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सक्षम अत्याधुनिक संयंत्र होगा.


आयात निर्भरता को कम करने पर ज़ोर


अभी हम इलेक्ट्रॉनिक चिप के लिए ताइवान जैसे देशों पर बहुत हद तक निर्भर हैं. इस निर्भरता को कम करने के लिए ज़रूरी है कि भारत में चिप का बड़े पैमाने पर निर्माण होने लगे. केंद्र सरकार चाहती है कि निकट भविष्य में भारत चिप विनिर्माता के मामले में दुनिया में अग्रणी स्थान हासिल कर सके. इससे हम अपनी ज़रूरत तो पूरा करेंगे ही, साथ ही व्यापक पैमाने पर चिप का निर्यात करने की स्थिति में भी होंगे. यह तभी संभव होगा, जब भारत में वैश्विक बाज़ार को टक्कर देने वाला सेमीकंडक्टर परिवेश स्थापित हो. भविष्य में बढ़ती मांग को देखते हुए भारत को वाहन, कंप्यूटिंग और डेटा स्टोरेज, वायरलेस संचार और एआई जैसे बाजारों के लिए बड़े पैमाने पर चिप की ज़रूरत होगी. इनमें बिजली प्रबंधन आईसी, डिस्प्ले ड्राइवर, माइक्रोकंट्रोलर और उच्च-प्रदर्शन कंप्यूटिंग लॉजिक जैसे एप्लीकेशन के लिए चिप शामिल हैं.


सेमीकंडक्टर डिजाइन और नवाचार पर फोकस


भारत सेमीकंडक्टर डिजाइन और नवाचार पर फोकस कर रहा है. इस क्षेत्र में वैश्विक केंद्र बनने के मकसद से ही भारत 100 सेमीकंडक्टर डिजाइन स्टार्टअप बनाने का लक्ष्य लेकर भी क़दम उठा रहा है.  सेमीकंडक्टर चिप बनाने के लिए डिजाइन-लिंक्ड इंसेंटिव स्कीम का लाभ लेने के लिए स्टार्टअप को लगातार प्रोत्साहन दिया जा रहा है.


दिसंबर, 2021 में इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन की शुरूआत हुई. उसके बाद केंद्र सरकार की ओर से सितंबर, 2022 में सेमीकंडक्टर फैब्रिकेशन सुविधा की स्थापना के लिए प्रोजेक्ट लागत के 50% पर वित्तीय सहायता की घोषणा की गई थी. केंद्र सरकार चाहती है कि सेमीकंडक्टर सेक्टर में  घरेलू बाज़ार तेज़ी से विकसित हो. उसके बाद भारत की पहल से दुनिया के लिए भी सेमीकंडक्टर सेक्टर में नये डिजाइन विकसित हो. सेमीकंडक्टर क्षेत्र में कुशल पेशेवरों की टीम तैयार करने पर केंद्र सरकार काम कर रही है. इसके लिए क़ाबिल पेशेवरों का प्रतिभा पूल भी बन रहा है. इसके लिए सेमीकंडक्टर सेक्टर में नए पाठ्यक्रम बनाने पर भी फोकस किया गया है.


सेमीकंडक्टर क्षेत्र के लिए अगला दशक महत्वपूर्ण


दरअसल सेमीकंडक्टर के क्षेत्र में चीन को जो स्थान 30 वर्ष में हासिल हुआ है, भारत उसे एक दशक में पाना चाहता है. इस नज़रिये से भारत इलेक्ट्रॉनिक्स की ग्लोबल वैल्यू चेन में निटले पायदान से शीर्ष पर पहुंचने के लिहाज़ से नीतियाँ बना रहा है और उसी के मुताबिक़ ढाँचा तैयार करने की दिशा में क़दम बढ़ा रहा है. इस प्रक्रिया में केंद्र सरकार उपभोक्ताओं से लेकर कंपनियों तक, सभी संबंधित पक्षों से लगातार राय-मशवरा में जुटी है. सेमीकॉन इंडिया फ्यूचर डिजाइन कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है.


उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स, दूरसंचार और आईटी हार्डवेयर जैसे क्षेत्रों में सेमीकंडक्टर चिप की मांग तीव्र गति से बढ़ रही है. सेंसर, लॉजिक चिप्स और एनालॉग डिवाइस जैसे एप्लिकेशन से संबंधित घरेलू मांग में भी तेज़ी से इज़ाफ़ा हो रहा है. यह भारत में सेमीकंडक्टर बाज़ार को विस्तार देने के दृष्टकोण से बेहद महत्वपूर्ण है. भारत में सेमीकंडक्टर बाज़ार का आकार 2019 में लगभग 23 अरब डॉलर का था. एक अनुमान के मुताबिक़ 2026 तक भारत का सेमीकंडक्टर बाज़ार 64 अरब डॉलर तक पहुँच जाएगा.


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