भारत में दुनिया की सबसे बड़ी जनजातीय आबादी है, जो इसकी कुल आबादी का 8.6 फीसदी है और कुल ग्रामीण जनसंख्या का 11.3 फीसदी है. साल 2011 की जनगणना के मुताबिक देश में अनुसूचित जनजाति (STs) की जनसंख्या 10.45 करोड़ है. देश के संविधान में भी अनुसूचित जनजाति (Scheduled Tribes -ST)) के लोगों के हितों की रक्षा के लिए खास कानूनी प्रावधान किए गए हैं.


इसी के तहत जनजातीय उप-योजना के लिए विशेष केंद्रीय सहायता (Special Central Assistance to Tribal Sub-Scheme -SCA to TSS) योजना लाई गई. ये योजना आदिवासी बहुल गांवों को 'आदर्श ग्राम' बनाने की परिकल्पना करती है. इसमें अनुसूचित जनजाति के लोगों को नेतृत्व करने लायक बनाने के लिए उनकी बुनियादी सेवाओं और सुविधाओं तक पहुंच बनाना है ताकि वो सम्मान का जीवन जी सकें और अपनी क्षमताओं का पूरा इस्तेमाल कर सकें. सरकार ने इसी एससीए-टीएसएस योजना में संशोधन किया है. अब साल 2021-22 से 2025-26 में इस योजना पर 'प्रधानमंत्री आदि आदर्श ग्राम योजना -पीएमएजीवाई' नाम के साथ काम किया जाएगा.


आदि आदर्श ग्राम योजना का लक्ष्य


'प्रधानमंत्री आदि आदर्श ग्राम योजना -पीएमएजीवाई' का मकसद में जनजाति वाले गांवों को आदर्श स्तर तक लाना है. जनजातीय कार्य मंत्रालय की 2021-22 से 2025-26 के दौरान इस योजना के तहत 4.22 करोड़ वाली जनजाति या आदीवासी आबादी वाले गांवों को मॉडल यानी आदर्शगांव बनाए जाने की योजना है. दरअसल इस योजना के तहत आने वाले गांवों की ये आबादी कुल जनजाति आबादी का 40 फीसदी है.


इस योजना में कम से कम 50 फीसदी अनुसूचित जनजाति आबादी  वाले 36,428 गांवों को मॉडल गांव बनाने की कवायद की जाएगी. इसके साथ ही राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में इस दौरान अधिसूचित 500 अनुसूचित जनजाति को भी इस योजना के दायरे में लिया जाएगा.


इस योजना का मुख्य उद्देश्य एक समझदारी वाला नजरिए अपनाते हुए चुने गए गांवों का पूरी तरह से सामाजिक-आर्थिक विकास करना है. इनमें की गांवों जरूरतों, क्षमताओं और आकांक्षाओं के आधार पर गांव के विकास की योजना तैयार करना. केंद्र और राज्य सरकारों की लाभ वाली योजनाओं का व्यक्ति विशेष और परिवारों को अधिक से अधिक फायदा पहुंचाना. स्वास्थ्य, शिक्षा, कनेक्टिविटी (संपर्क) व आजीविका जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों के बुनियादी ढांचे में सुधार करना भी शामिल है.


कमियां होंगी दूर


इस योजना का अहम मकसद गांवों के विकास में आने वाली बाधाओं को दूर करना है. इसके तहत विकास के 8 क्षेत्रों की बड़ी कमियों को दूर किया जाएगा. इन क्षेत्रों में सड़क, दूरसंचार, स्कूल, आंगनवाड़ी केंद्र, स्वास्थ्य उप-केंद्र, पेयजल, जल निकासी और ठोस ठोस अपशिष्ट प्रबंधन वाले क्षेत्र शामिल हैं. सड़क संपर्क की बात करें तो  इसके तहत गांव के अंदर, दूसरे गांवों से गांव को जोड़ने वाली और गांव से ब्लॉक की सड़कों को मजबूत किया जाना है.


वहीं दूरसंचार संपर्क के तहत मोबाइल और इंटरनेट की व्यवस्था को चाक- चौबंद करना है. इसके साथ ही स्कूल, आंगनबाड़ी केंद्रों, स्वास्थ्य उप-केंद्र, पेयजल सुविधा, जल निकासी और ठोस अपशिष्ट प्रबंधन का पुख्ता इंतजाम किया जाना शामिल है. पीएमएजीवाई के तहत प्रशासनिक खर्चों सहित स्वीकृत कामों के लिए हर गांव को 20.38 लाख रुपये की धनराशि मुहैया कराई जाएगी. इस रकम से आदिवासी गांवों में जिस तरह की सुविधाएं नहीं है या जिनकी कमी है वो पूरी की जाएगी. 


इसके अलावा पीएमएजीवाई के तहत चुने गए गांवों में बुनियादी ढांचे और सेवाओं को मुकम्मलकरने के लिए राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को बढ़ावा दिया जाता है. इसके लिए उन्हें केंद्रीय और राज्य अनुसूचित जनजाति मद वाले  (एसटीसी) फंड के साथ उनके पास मौजूद अन्य वित्तीय संसाधनों को सम्मिलित तौर पर इस्तेमाल में लाने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है.


2023 तक बदल जाएगी आदिवासी गांवों की तस्वीर


जनजातीय कार्य राज्य मंत्री रेणुका सिंह सरूता ने सोमवार 12 दिसंबर को लोकसभा में एक सवाल का जवाब देते हुए बताया कि  पीएमएजीवाई  के तहत वित्तीय वर्ष 2021-22 और 2022-23 के दौरान कुल 16,554 गांवों को शामिल किया गया है. उन्होंने बताया कि इस योजना के तहत अब तक राज्यों को 1927 करोड़ रुपये की रकम पहले ही जारी की जा चुकी है.


इसके साथ ही 6264 गांवों के संबंध में ग्राम विकास योजना को कार्यान्वयन के लिए मंजूरी दी जा चुकी है.  गुजरात में पीएमएजीवाई के तहत कुल 3764 गांवों को चुना गया है. इनमें से 1562 गांवों के लिए ग्राम विकास योजना को मंजूरी दी गई है. इस योजना के तहत गुजरात को कुल 35318.54 लाख रुपये जारी किए जा चुके हैं.