केंद्र की मोदी सरकार एक ऐसी योजना पर काम कर रही है, जिसके जमीन पर उतर जाने से भारत, अमेरिका और चीन जैसे देशों की कतार में खड़ा हो जाएगा. वहीं इस योजना के जरिए वो सभी अटके सरकारी काम और योजनाएं पूरी कर ली जाएंगी जो सालों से अधर में लटकी पड़ी हैं. इन अटकी योजनाओं को पीएम गति शक्ति मिशन के तहत किया जाएगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त 2021 को "पीएम शक्ति मिशन" की घोषणा की थी. इस योजना के तहत देश के इफ्रांस्ट्रक्चर पर काम करना है.
पीएम शक्ति मिशन के बारे में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि यह देश में इफ्रांस्ट्रक्चर की चुनौतियों से निपटने के लिए एक समग्र योजना है. बता दें कि पीएम मोदी से पहले वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एक फरवरी 2022 को अपने बजट भाषण में कई बार पीएम शक्ति मिशन का जिक्र किया था. सीतारमण ने खासतौर से अपने भाषण में हाइवे और रेलवे प्रोजेक्ट्स पर जोर दिया था. लेकिन क्या आप जानते हैं कि पीएम गति शक्ति मिशन क्या है? इसका उद्देश्य क्या है और इससे आपको क्या फायदा होगा? आइए पीएम गति शक्ति मिशन के बारे में जानते हैं.
100 लाख करोड़ की योजना
दरअसल, पीएम गति शक्ति मिशन भारत सरकार की 100 लाख करोड़ रुपए की योजना है. जिसका मकसद इफ्रांस्ट्रक्चर क्षेत्र में रिफॉर्म लाना है. इस योजना के तहत भारत सरकार के अलग-अलग मंत्रालयों के अंतर्गत चल रहे विभिन्न इफ्रांस्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स में तालमेल के साथ में उन्हें पूरा करना है. वहीं इस मिशन के तहत मोदी सरकार ने 16 मंत्रालयों को एक जगह लाया गया है, जो समन्वय के साथ काम करेंगे. इसमें रेलवे, सड़क एवं राजमार्ग, पेट्रोलियम एवं गैस, टेलीकॉम, पावर, एविएशन और शिपिंग जैसे महत्वपूर्ण मंत्रालय शामिल हैं.
भारत सरकार बुनियादी ढांचे को मजबूत करने पर काम कर रही है. इस कड़ी में भारत में सभी बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में से अधिकतर देरी से चल रही हैं और चार में से एक अपने अनुमानित बजट से अधिक खर्चे पर चल रही है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मानना है कि टेक्नॉलॉजी इन समस्याओं और बाधाओं को दूर सकती है. इसको देखते हुए भारत 100 खरब रुपये यानी 1.2 ट्रिलियन डॉलर की लागत से देश के इफ्रांस्ट्रक्चर क्षेत्र को मजबूती प्रदान करेगा.
इस बारे में बिजनेस स्टैंडर्ड से बातचीत करने हुए भारत के कॉमर्स और इंडस्ट्री मंत्रालय के स्पेशल सेक्रेटरी अमृत लाल मीणा का कहना है कि, 'हमारा उद्देश्य है कि ग्लोबल कंपनियां भारत को अपना मैन्युफैक्चरिंग केंद्र चुनें. पीएम गति शक्ति मिशन इसी के लिए काम करेगा. इसके तहत सभी प्रोजेक्ट्स को समय और बिना बजट बढ़ाए उनको लागू किया जा सके, हमारा पूरा फोकस इसी पर है.
इसलिए चीन को पछाड़ेगा भारत
वहीं, प्रोजेक्ट्स के जल्दी पूरा होने से भारत को फायदा मिलेगा. क्योंकि इस समय चीन बाहरी दुनिया या यूं कहें कि लगभग सभी देशों के लिए बंद है. लिहाजा मल्टीनेशनल कंपनियों ने चीन के साथ वन प्लस वन पॉलिसी के तहत व्यापार करने की नीति अपनाई है. इसके जरिए मल्टीनेशनल कंपनियां एक ऐसे देश में अवसर ढूंढ कर अपने कारोबार का विस्तार करना चाहती हैं जिसमें उनकी सप्लाई चेन और व्यापार दोनों हो सके.
भारत इन मल्टीनेशनल कंपनियों के लिए आदर्श देश हो सकता है क्योंकि भारत न सिर्फ एशिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, बल्कि यहां सस्ता लेबर और अंग्रेजी बोलने वाले टैलेंटड कर्मचारी भी भारी संख्या में मौजूद हैं.
योजना से मिलने वाले लाभ
- पीएम गति शक्ति मिशन के तहत मेड इन इंडिया के सभी प्रोडक्ट्स को ज्यादा बढ़ावा दिया जाएगा.
- पीएम गति शक्ति मिशन को शुरू करने के लिए 100 लाख करोड़ रुपए का बजट निर्धारित है.
- भारत के सभी लोकल मैन्युफैक्चरिंग को विश्व के स्तर पर प्रतियोगी बनाया जाएगा. वहीं विभिन्न प्रोडक्ट्स को आपस में जोड़ा जाएगा.
- पीएम गति शक्ति मिशन से ज्यादा लोगों को रोजगार देना और देश के विकास पर ध्यान केंद्रित है.
- पीएम गति शक्ति मिशन के जरिए देश के हर कोने में ट्रांसपोर्ट, 24 घंटे पानी और बिजली की सुविधा मुहैया करवाने का लक्ष्य है.
- योजना के जरिए देस के नागरिकों के जीवन के सरल बनाना है.
- पीएम गति शक्ति मिशन जरिए नए इकोनॉमिक जोन का विकास करना.
- देश की अर्थव्यवस्था को तेज गति देने का लक्ष्य.
गौरतलब है कि पीएम गति शक्ति मिशन की सबसे पहले चर्चा 15 अगस्त 2021 को पीएम मोदी ने लालकिले से की थी. इसके बाद 13 अक्टूबर 2021 को प्रधानमंत्र ने यह योजना लॉन्च की थी. वहीं इससे पहले भारत सरकार ने देश में बुनियादी सुविधाओं को बेहतर बनाने के लिए नेशनल, इंफ्रास्ट्रक्चर पाइपलाइन और नेशनल मॉनेटाइजेशन पाइपलाइन का एलान कर चुकी है. इस कड़ी में पीएम गति शक्ति मिशन सरकार की तीसरी योजना है.
मल्टी करेक्टिविटि पर ध्यान
इसके साथ ही पीएम गति शक्ति मिशन के अंतर्गत, सड़क एवं राजमार्ग जैसी महत्वपूर्ण परियोजनाओं के बीच तालमेल बैठाकर उनसे इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत बनाने में मदद मिलेगी. इस योजना से देशभर में कनेक्टिविटी बढ़ाई जा सकती है. इंफ्रास्ट्रक्चर मजबूत होने से देश में विदेशी कंपनियों को व्यापार करना आसान होगा और आम आदमी को फायदा होगा. इसके अलावा लॉजिस्टित कॉस्ट यानी समानों की ढुलाई पर आने वाली लागत में कमी आएगी. कम समय में एक समान को एक जगह से दूसरी जगह पहुंचाना आसान होगा.
जैसा स्थिती वैसा ट्रांसपोर्टेशन
इसी तरीके से जिस भी क्षेत्र में सड़क की कनेक्टिविटी को बेहतर बनाने की आवश्यकता है वहां सड़क प्रोजेक्ट्स पर ज्यादा ध्यान दिया जा रहा है. वहीं इसी तर्ज पर जहां रेलवे फायदेमंद विकल्प होगा, वहां रेलवे की सुविधाओं को बेहतर बनाने पर ध्यान दिया जा रहा है. इसके अलावा जहां समुद्र के रास्ते ट्रांसपोर्टेशन तेज करने की संभावना है, वहां पोर्ट बनाने पर ध्यान दिया जा रहा है.
स्मार्ट कनेक्टिविटी पर जोर
वहीं पीएम गति शक्ति मिशन के तहत मल्टी मॉडल कनेक्टिविटी पर खासतौर पर ध्यान दिया जा रहा है. जिससे एक जगह से दूसरे जगह जाने के लिए विभिन्न तरह के ट्रांसपोर्ट मिलेगें. इसके साथ ही संबंधित स्थान को ध्यान में रखते हुए मल्टी कनेक्टिविटी पर जोर दिया जाएगा, जिससे जहां मेट्रो रेल का इस्तेमाल व्यावहारिक हैं वहां उस पर ध्यान दिया जाएगा.
220 नए एयरपोर्ट बनाने का प्लान
बता दें कि केंद्र सरकार मे पीएम गति शक्ति मिशन के तहत दो डिफेंस कॉरिडोर और 11 इंडस्ट्रियल कॉरिडोर बनाने की योजना बनाई है, जिसके अंतर्गत हर गांव को 4जी नेटवर्क के दायरे में लाया जाएगा. वहीं एनएच यानी कि नेशनल हाईवे नेटवर्क का दो लाख किलोमीटर तक विस्तार, 220 नए एयरपोर्ट, वाटर एयरोड्रम और हेलीकॉप्टर्स बनाने की योजना है. इसके साथ ही सरकार का 17,000 किलोमीटर नई गैस पाइपलाइन का बड़ा नेटवर्क खड़ा करने की योजना है.
सेक्रटरी ने कहा, पीएम गति शक्ति मिशन 196 परियोजनाओं को प्राथमिकता दे रहा है, ताकि कोयले, स्टील और भोजन की आवाजाही के लिए लगने वाले समय को दूर किया जा सके. इसके अलावा सड़क परिवहन मंत्रालय इस पोर्टल का 11 ग्रीनफील्ड प्रोजेक्ट्स को डिजाइन करने के लिए इस्तेमाल कर रहा जिसके तहत 106 अरब डॉलर के भारतमाला प्लान को पूरा किया जा सके. सरकार के इस भारतमाला प्लान के अंतर्गत साल 2022 तक 83,677 किलोमीटर या 52,005 मील सड़कों का निर्माण कर लिया जाएगा.
देश में 1,568 परियोजनाएं
दरअसल, सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय की वेबसाइट पर डेटा , अधिक बजट वाली परियोजनाओं की तस्वीर पेश करता है, जो महामारी के बाद की दुनिया में देश की आर्थिक सुधार को नुकसान पहुंचा रहे हैं. मई में, भारत में कुल 1,568 परियोजनाएं चल रही थीं, जिनमें से 721 देरी से चल रही थीं, जबकि 423 परियोजनाएं अपनी मूल लागत से अधिक खर्चे पर चल रही थीं.
2014 में केंद्र की सत्ता में आने के बाद से, मोदी सरकार का नई नौकरियों के सृजन के लिए बुनियादी ढांचे पर खर्च बढ़ाने पर फोकस है. इसके साथ ही सरकार अर्थव्यवस्था को मजबूत करने का प्रयास कर रही है जो कोरोना महामारी की लहर से खासी प्रभावित हुई है.
दिग्गज कंपनियां भारत में आ रही हैं
वहीं एप्पल जैसी दुनिया की दिग्गज कंपनी ने चीन से से बाहर निकलने के लगभग दो महीने बाद ही भारत में आईफोन 14 का निर्माण शुरू करने जा रही है. जबकि सैमसंग इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनी ने 2018 में ही भारत में दुनिया की सबसे बड़ी मोबाइल फोन बनाने फैक्ट्री खोल चुकी है. वहीं, ओला इलेक्ट्रिक भी भारत में दुनिया की सबसे बड़ी इलेक्ट्रिक स्कूटर फैक्ट्री बनाने जा रही है.
योजना के मुताबिक सभी चीजें धरातल पर उतर जाती हैं तो ये चीन के लिए घातक साबित हो सकती हैं. क्योंकि भारत में सड़क, मैन्युफैक्चरिंग यूनिट, शिपिंग, बिजली, एयर, एमएनसी कंपनियों के मन मुताबिक माहैल चीन से कंपनियों को भारत अपनी मैन्युफैक्चरिंग यूनिट खोलने पर आकर्षित कर सकता है.
केंद्रीय मंत्रालय क्या कर रहा है?
टेक्नोलॉजी के जरिए लाल फीताशाही को कम करना भारत के लिए जरूरी है. अमृत लाल मीणा का कहना है कि गति शक्ति पोर्टल पर फिलहाल मौजूद 1300 प्रोजक्ट में से करीब 40 प्रतिशत जमीन लिए जाने, वन या पर्यावरण की मंजूरियों के अभाव में लटके हुए हैं और इसकी वजह से प्रोजेक्ट कॉस्ट बढ़ती है. कम से कम 422 प्रोजक्ट्स में कुछ ना कुछ दिक्कत थी और पोर्टल ने अब तक 200 प्रोजेक्ट्स की समस्याओं को दूर किया है.
मंत्रालय ते सेक्रेटरी अमृत लाल मीणा का कहना है कि सरकार गति शक्ति पोर्टल का इस्तेमाल शुरुआत से लेकर आखिरी छोर तक की कनेक्टिविटी के बीच आ रहे अंतर को पहचानने के लिए भी करेगा. इस गति शक्ति पोर्टल के जरिए 196 प्रोजेक्ट्स को वरीयता दी जा रही है जो कोयला, स्टील और खाद्य उत्पादों को पहुंचाने के लिए पोर्ट कनेक्टिविटी के बीच आ रहे अंतर को पाटेंगी. मीणा ने कहा, "मॉडर्न वेयरहाउसिंग, प्रक्रियाओं का डिजिटलीकरण, कुशल मैनपावर और लॉजिस्टिक्स लागत में कमी पर और ध्यान दिया जा रहा है."
सरकारी एजेंसी 'इंवेस्ट इंडिया' का कहना है कि गति शक्ति के तहत सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि तकनीक के जरिए यह देखा जाए कि नई बनी सड़कें फोन केबल या गैस पाइपलाइन के लिए दोबारा ना खोदी जाएं. दूसरे विश्व युद्ध के बाद जैसे यूरोप ने काम किया या साल 1980 से 2010 के बीच चीन ने जैसा मॉडल अपनाया कुछ उसी योजना की तरह से काम करने का विचार है.