देश में चुनावी सीजन चल रहा है. आरोप-प्रत्यारोप की बौछार चल रही है. इनमें एक चुनावी मुद्दा बेरोजगारी भी है. देश में रोजगार की कमी को लेकर अक्सर ही हो-हल्ला मचा रहता है, जबकि सरकार के आंकड़े कुछ और ही रोचक कहानी बयां करते हुए दिख रहे हैं. श्रम और रोजगार मंत्रालय के नेशनल करियर सर्विस यानी एनसीएस पोर्टल के मुताबिक, वित्तीय वर्ष 2023-24 में एक करोड़ से अधिक नौकरियों के लिए वैकेंसी निकाली गई. पोर्टल के मुताबिक जितनी नौकरियां थी उस हिसाब से कैंडिडेट का सलेक्शन भी नहीं हुआ.


एनसीएस पोर्टल के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2023-2024 में 87,27,900 लाख लोगों ने नौकरी के लिए पोर्टल पर आवेदन दिया था, जबकि जॉब वैकेंसी 1,09,24,161 करोड़ की थी. ये आंकड़ा पिछले साल की अपेक्षा काफी बढ़ा हुआ था. वित्तीय वर्ष 2022-23 में एक्टिव 8,28,002 कर्मचारी रहे. 34,81,944 वैकेंसी कंपनियों की ओर से मांगा गया, जबकि मांग के अपेक्षा 57,20,748 लोगों को कंपनियों ने आवेदन में से शार्टलिस्ट किया.


उसके सापेक्ष वित्तीय वर्ष 2023-2024 में 214 प्रतिशत बढ़ोतरी के साथ 1,09,24,161 नौकरियां हुई. उसकी अपेक्षा में मात्र  87,27,900 को ही शॉर्टलिस्ट किए गए. यानी, जितनी नौकरी रही उसकी आपेक्षा में आवेदन कम आए, जिस वजह से नौकरी की पूरा सीट नहीं भर सकी. एनसीएस पोर्टल के अनुसार, इस साल पिछले साल की तुलना में 214 फीसद ज्यादा नौकरियां सृजित किया गया. पिछले वित्तीय वर्ष की अपेक्षा इसी अवधि में नौकरियां लेने वालों का आंकड़ा में करीब 53 फीसदी तक उछाल आया है.


सरकारी की बजाए प्राइवेट में नौकरी 


सरकारी क्षेत्रों में नौकरियां तो नहीं आ रही है. इसके चलते युवाओं में थोड़ी नाराजगी है, लेकिन प्राइवेट कंपनियां दिल खोलकर वैकेंसी दे रही है. उसका एक उदाहरण वित्तीय वर्ष 2023- 2024 रहा है. ये चुनावी साल है. चुनाव का समय बीतने के बाद प्राइवेट कंपनियों में नौकरी के लिए वैकेंसी आने की उम्मीद और ज्यादा है. वित्तीय वर्ष 2024-25 की शुरुआत हो चुकी है. नौकरियों की संख्या में ये तेजी इकोनॉमी में आ रहे उछाल के चलते भी दिखने की उम्मीद लगाई जा सकती है.



इस वित्तीय वर्ष भी ऐसी तेजी जारी रहने की पूरी उम्मीद लगाई जा रही है. सबसे अधिक फाइनेंस और इंश्योरेंस सेक्टर में 46,68,845 नौकरियों की वैकेंसी आयी. मैन्युफैक्चरिंग में 6,89,446, आईटी एंड कम्युनिकेशन में 4,93,750, ऑपरेशंस और सपोर्टस में 14,46,404 सहित अन्य क्षेत्रों के लिए वैकेंसी लाई गई थी. जबकि वित्तीय वर्ष 2022-23 में फाइनेंस और इंश्योरेंस सेक्टर में 19,98,196 वैकेंसी आई थी.


कम एजुकेशन वालों को ज्यादा नौकरी 


बड़ी बात है कि कम एजुकेशन वालों को ज्यादा नौकरी आयी. वित्तीय वर्ष 2023-24 में 12वीं पास के लिए 68,77,532, दसवीं पास या उससे कम शिक्षा वालों के लिए 27,04,280, आईटी और डिप्लोमा धारकों के लिए 4,02,192, ग्रेजुएट के लिए 7,33,277 और पोस्ट ग्रेजुएशन, पीएचडी और पीजी डिप्लोमा धारकों के लिए  60,531 सीटों पर युवाओं के लिए नौकरी आई थी. इतनी सीटों पर वैकेंसी आने के बाद ये साफ हो जाता है कि सरकारी नौकरियों के लिए भले ही कम आवेदन मांगें जा रहे हैं, लेकिन निजी सेक्टर में युवाओं के लिए भरपूर अवसर दिख रहे हैं.


हालांकि, एनसीएस पोर्टल पर ये डाटा उपलब्ध नहीं हो पाता कि रिक्त नौकरियों में से कितनी नौकरियां भरी गई हैं. माना जाता है कि कई बार जिन युवाओं को रोजगार मिल जाता है, वे भी अपने बायोडाटा को एनसीएस पोर्टल से नहीं हटाते हैं, वो अगली अच्छी नौकरी की तलाश में रहते हैं. जिस कारण नौकरी मिलने वालों की संख्या का सटीक आकलन नहीं हो पाता है.


कौशल होना जरूरी 


सरकारी नौकरी के कम होने के बाद प्राईवेट क्षेत्र में नौकरी करने से पहले युवाओं को अपने अंदर कौशल लाना होगा यानी की अपने अंदर प्रोग्राम सहित कंप्यूटर सहित अन्य प्रोग्राम के बारे में जानकारी रखनी होगी. इसके साथ ही जिस क्षेत्र में जाना चाहते हैं उस क्षेत्र की जानकारी के साथ कौशलता भी जरूरी है. इसके साथ ही आज के समय में नये तकनीक से अवगत होते हुए काम करने की जानकारी अपने पास रखनी होगी. सरकार की ओर से कुशलता के लिए भी कई कार्यक्रम चलाए गए, जिसमें प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना, नई शिक्षा नीति, कुशल युला कार्यक्रम, शोध एवं नवाचार जैसे बहुतेरे कार्यक्रम कुशलता सिखाने में कारगर सिद्ध हो रहे हैं.


भारत युवाओं का देश है जिसमें सबसे अधिक संख्या भारत में युवाओं की है, तो उनके नियोजन से लेकर उनके रोजगार तक के लिए सरकार को  भी चिंता है. इसको ध्यान में रखकर कौशल सिखाने के लिए कई कार्यक्रमों की शुरूआत हुई. अब उनके कारण बहुत से युवाओं को जॉब मिलने में आसानी हो गई है. अब के समय में शिक्षा के साथ-साथ स्किल भी सीखने की बहुत ही जरूरत है. शिक्षा, कौशल विकास, रोजगार से जुड़ी पहल के लिहाज से देखें तो पिछले सात से आठ सालों में इस पर खूब काम हुआ है. अनुमान है कि साल 2030 तक देश के 50 फीसद से अधिक युवाओं को किसी न किसी कौशल से जोड़ा जाएगा ताकि उनको रोजगार मिलने में आसानी हो सके.