भारत और ईरान ने मंगलवार को द्विपक्षीय और बहुपक्षीय तंत्र के तहत अधिक सहयोग के साथ एक "नई वैश्विक व्यवस्था" के तहत अपने रिश्तों को "नए स्तर" पर ले जाने के लिए प्रतिबद्धता जताई. दोनों देश ऐसे समय में अपने संबंधों को बढ़ाने पर जोर दे रहे हैं जब तेहरान शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) का पूर्ण सदस्य बन गया है और तालिबानी नेतृत्व वाले अफगानिस्तान में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है. तेहरान में ईरानी राष्ट्रपति सैय्यद इब्राहिम रायसी और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के बीच मंगलवार को एक बैठक हुई. इस दौरान दोनों ने अपने संबंधों को आगे बढ़ाते हुए नए स्तर पर ले जाने का निर्णय लिया. डोभाल के साथ ईरान में भारत के निवर्तमान राजदूत धर्मेंद्र गद्दाम के साथ-साथ नवनियुक्त दूत रुद्र गौरव श्रेष्ठ भी थे.

  


राष्ट्रपति रईसी ने भारतीय प्रतिनिधिमंडल को बताया, "क्षेत्र के दो प्रभावी देशों के रूप में, ईरान और भारत अपने सहयोग को एक नए स्तर तक विकसित कर सकते हैं, ताकि नई वैश्विक व्यवस्था बनने कारण होने वाले विकास पर प्रभाव पड़ सके. राष्ट्रपति ने कहा, "दुनिया में हो रहे बदलावों के  बीच, क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय संगठन, विशेष रूप से शंघाई और ब्रिक्स संगठन, अपनी शक्ति और संसाधनों के कारण बहुत प्रभावी हो सकते हैं." एक अलग वैश्विक व्यवस्था को आकार देते हुए बदलाव ला सकते हैं.


एनएसए डोभाल ने भारत और ईरान के बीच संबंधों को गहरा करने और विस्तार करने पर जोर दिया, जबकि उन्होंने रूस-यूक्रेन युद्ध और अफगानिस्तान की स्थिति से संबंधित मुद्दों पर ईरानी राष्ट्रपति के साथ चर्चा की. डोभाल ने अपने ईरानी समकक्ष अली शमखानी और विदेश मंत्री हुसैन अमीरबदोलहियान से मुलाकात की थी, जहां रुपया-रियाल व्यापार और कच्चे तेल की खरीद को फिर से शुरू करने से संबंधित मुद्दों पर चर्चा की गई थी. ईरान ने भारत से अमेरिकी प्रतिबंधों को दरकिनार करते हुए तेहरान से तेल खरीद फिर से शुरू करने के लिए कहा है, जैसा कि उसने रूस के कच्चे तेल के खरीदारी को लेकर किया था, जबकि मॉस्को संयुक्त राष्ट्र के नेतृत्व में और साथ ही यूक्रेन युद्ध के लिए पश्चिमी प्रतिबंधों के तहत आ गया है. भारत ने तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा उन पर लगाए गए प्रतिबंधों के कारण मई 2019 में ईरान से तेल आयात बंद कर दिया था.


4-5 मई को गोवा में होने वाली एससीओ विदेश मंत्रियों की बैठक के लिए अमीराबदोलहियान इस सप्ताह के अंत में भारत का दौरा करेंगे. भारत की अध्यक्षता में पहली बार एससीओ के पूर्ण सदस्य के रूप में ईरान बैठक में भाग लेगा. पिछले साल राष्ट्रपति रईसी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उज्बेकिस्तान के समरकंद में एससीओ के इतर मुलाकात की थी. ईरानी रक्षा मंत्री ब्रिगेडियर जनरल मोहम्मद रजा घराई अश्तियानी भी पिछले सप्ताह एससीओ रक्षा मंत्रियों के सम्मेलन के लिए भारत में थे, जहां उन्होंने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के साथ द्विपक्षीय बैठक की.


बैठक के दौरान ईरान ने भारत के साथ रक्षा और सुरक्षा संबंधों को बढ़ाने की मांग की, क्षेत्रीय सुरक्षा के मुद्दों पर विचारों का आदान-प्रदान किया. जिसमें अफगानिस्तान में शांति और स्थिरता के साथ-साथ अफगानिस्तान और मध्य एशिया के अन्य देशों में रसद समस्याओं को कम करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय उत्तर दक्षिण परिवहन गलियारे का विकास शामिल है.


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