आर्टिकल 370 खत्म किए जाने के बाद कश्मीर को मेनस्ट्रीम से जोड़ने का काम लगातार जारी है. इसके लिए सरकार लगातार कदम उठा रही है और अलग-अलग योजनाएं लाने की तैयारी की जा रही है. इसी बीच अब पूरे कश्मीर को कन्याकुमारी तक रेल लाइन से जोड़ने का रेलवे का सपना जल्द ही पूरा होने जा रहा है. जानकारी के अनुसार इस साल दिसंबर तक पूरे कश्मीर को कन्याकुमारी तक रेल के जरिए जोड़ दिया जाएगा. उधमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेल लिंक का 90 फीसदी काम पूरा हो गया है.


तेजी से चल रहा है काम
यूएसबीआरएल अधिकारीयों के अनुसार जम्मू और कश्मीर को जोड़ने वाली लाइन के लिए सभी जरूरी सुरंगें बनकर तैयार हो चुकी हैं और बाकी का काम भी तेजी से चल रहा है. कटरा-बनिहाल का 111 किमी लंबा रेल खंड बन रहा है. ये सबसे चुनौतीपूर्ण हिस्सा है, क्योंकि इस लाइन का 97.34 किमी हिस्सा सुरंगों से गुजरता है. इसमें जम्मू से बारामूला तक पहाड़ों, ढलानों और भूकंप वाला संवेदनशील इलाका हैं. इसी कारण इसमें 27 प्रमुख पुल और 10 छोटे पुल बनाने पड़े हैं. इसमें से प्रमुख 21 बनकर तैयार हैं. इसी खंड में चिनाब ब्रिज भी है.


दूरदराज के इलाकों में निर्माण स्थलों तक पहुंचने के लिए 203 किमी नई सड़कें बनानी पड़ी. एक अधिकारी ने कहा कि कटरा-बनिहाल खंड के तहत 163.88 किलोमीटर (सुरंगें मिलाकर) में से 162.6 किमी का काम पूरा हो चुका है. वहीं 117.7 किमी में से 31.3 किलोमीटर ट्रैक बनकर तैयार है. दिसंबर में भारत की सबसे लंबी एस्केप टनल, जो बनिहाल-कटरा रेलवे लाइन पर 12.89 किमी लंबी है, पूरी हो चुकी है.


कई दशकों से चल रही है परियोजना
बता दें कि साल 1905 में कश्मीर के तत्कालीन महाराजा ने मुगल रोड के रास्ते से श्रीनगर को जम्मू से जोड़ने वाली रेलवे लाइन बिछाने की घोषणा की थी. शुरुआती काम के बाद परियोजना का काम अटक गया. उसके बाद एक बार फिर मार्च 1995 में 2500 करोड़ रुपए की लागत से काम शुरू किया गया और फिर था साल 2002 में वाजपेयी सरकार ने इसे राष्ट्रीय परियोजना घोषित किया, तब इसकी लागत 6000 करोड़ रुपए हो गई. हालांकि आज इस परियोजना की लागत 27,949 करोड़ रुपए हो चुकी है.


कश्मीर की अर्थव्यवस्था में आएगा बड़ा बदलाव
लाइन बिछाने का काम भौगोलिक समस्याओं से भरा हुआ था. इन सबसे पार पाते हुए अब यह नेटवर्क तैयार होने की तरफ पहुंच गया है. ये प्रोजेक्ट 20 वर्षों की देरी से चल रही है. इस रेलवे लाइन के चालू होने से कश्मीर की अर्थव्यवस्था में क्रांतिकारी बदलाव आएगा. इस रेल के चलने से देश के पर्यटक ट्रेन से कश्मीर जा सकेंगे. इसके बाद कश्मीर के सेब जैसे फलों को आसानी से देश के बाकी हिस्सों में तेजी से पहुंचाया जाएगा. दक्षिण भारत को सीधे कश्मीर से जोड़ा जा सकेगा. यह स्थानीय अर्थव्यवस्था के आर्थिक उत्पादन में वृद्धि करेगा.


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