भारत और फ्रांस के बीच में संयुक्त सैन्य अभ्यास शक्ति के 7वें संस्करण की शुरूआत हो गई है. ये संयुक्त सैन्य अभ्यास मेघालय के उमरोई में पूर्ण रूप से विकसित और आधुनिक विदेशी प्रशिक्षण मोड में आयोजित हो रही है. भारत और फ्रांस के बीच में संयुक्त सैन्य अभ्यास शक्ति 13 से 26 मई 2024 तक के बीच में चलेगा. भारत और फ्रांस के बीच में संयुक्त सैन्य अभ्यास के शुरूआत में भारत में फ्रांस के राजदूत महामहिम थियरी मथोउ और 51 सब एरिया के जनरल ऑफिसर कमांडिंग मेजर जनरल प्रसन्ना सुधाकर जोशी भी शामिल हुए. भारत और फ्रांस के बीच में संयुक्त सैन्य अभ्यास और युद्धाभ्‍यास शक्ति एक द्विवार्षिक प्रशिक्षण कार्यक्रम है जो बारी-बारी से भारत और फ्रांस दोनों देशों में आयोजित किया जाता है.


इससे पहले संयुक्त सैन्य अभ्यास नवंबर 2021 में फ्रांस में आयोजित किया गया था. भारत की ओर से 90 कर्मियों वाली सैन्य टुकड़ी का प्रतिनिधित्व मुख्य रूप से राजपूत रेजिमेंट की एक बटालियन के अलावा अन्य सैन्य टुकडि़यों और सेवाओं के कर्मियों द्वारा किया जा रहा है. भारतीय नौ सेना और भारतीय वायु सेना के पर्यवेक्षक भी इस अभ्यास का एक हिस्सा बनेंगे.


90 कर्मियों वाली फ्रांसीसी सैन्य टुकड़ी का प्रतिनिधित्व मुख्य रूप से 13वीं फॉरन लिजन हाफ-ब्रिगेड के कर्मियों द्वारा किया जा रहा है. संयुक्त सैन्य अभ्यास शक्ति का मुख्‍य उद्देश्य संयुक्त राष्ट्र जनादेश के अध्याय VII के तहत उप-पारंपरिक परिदृश्य में विविध क्षेत्र संचालनों के लिए दोनों पक्षों की संयुक्त सैन्य क्षमता आपस में बढ़ाना है. संयुक्त अभ्यास में अर्ध-शहरी और पहाड़ी इलाकों में संचालनों पर ध्‍यान केंद्रित  करने का काम होगा. संयुक्त प्रशिक्षण से अर्जित किए जाने वाले उद्देश्यों में उच्च स्तर की शारीरिक फिटनेस, सामरिक स्तर पर संचालनों के लिए अभ्यास और परिष्कृत अभ्यास तथा सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करना आदि शामिल है. 



संयुक्त सैन्य अभ्यास से रक्षा से द्विपक्षीय संबंध तक विस्तार 


संयुक्त सैन्य अभ्यास के दौरान अभ्यास कराई जाने वाली सामरिक ड्रील में एक निर्धारित क्षेत्र पर कब्जा करने, आतंकी कार्रवाई से निपटने, एक संयुक्त कमांड पोस्ट की स्थापना करने, एक खुफिया और निगरानी केंद्र की स्थापना करने, एक हेलीपैड और लैंडिंग साइट की सुरक्षा करने, छोटे दल की प्रविष्टि करना और निष्कर्षण करने, विशेष हेलिबॉर्न ऑपरेशन, घेरा और तलाशी अभियान के साथ-साथ ड्रोन तथा काउंटर ड्रोन सिस्टम का उपयोग करने के बारे में अवगत कराना भी शामिल है.


भारत और फ्रांस के बीच में संयुक्त सैन्य अभ्यास शक्ति दोनों पक्षों को संयुक्त अभियान चलाने की रणनीति, तकनीक और प्रक्रियाओं में सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करने में काफी सक्षम और भविष्य के लिए बेहतर रणनीति बनाने में मदद करेगा. संयुक्त अभ्यास से दोनों देशों के सशस्त्र बलों के कर्मियों के बीच अंतर-संचालन, सौहार्द और सौजन्‍यता को बढ़ावा देने में काफी मदद मिलेगी. इस अभ्‍यास से दोनों मित्र देशों के बीच में ना केवल रक्षा से सहयोग का स्तर बढ़ेगा बल्कि द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ावा भी मिलेगा.    


कई देशों के साथ भारत का संयुक्त सैन्य अभ्यास


भारत ने हाल में ही कई देशों के साथ संयुक्त सैन्य अभ्यास किया है. अभी हाल में ही मार्च महीने में अमेरिका और भारत समुद्री इलाके में युद्ध का संयुक्ताभ्यास किया. चीन को रोकने के लिए भारत और अमेरिका दोनों देश ही सोच एक जैसी ही रखते हैं. यकीनन भारत की सैन्य व्यवस्था पहले से काफी मजबूत भी हुई है.


भारत सुरक्षा को ध्यान में रखकर अपने  थल, जल और वायु तीनों जगहों पर सैन्य-बल को काफी मजबूत किया है. बीते कुछ सालों में भारत और अमेरिका दोनों देश मिलिट्री ट्रेनिंग पार्टनर बनते हुए बहुत बार युद्ध का संयुक्त अभ्यास किया है. हाल में ही भारत ने बांग्लादेश, श्रीलंका, थाईलैंड, संयुक्त राज्य अमेरिका, मंगोलिया, इंडोनेशिया, फ्रांस, दक्षिण कोरिया और जापान सहित कई देशों के साथ संयुक्त सैन्य अभ्यास कर चुका है. भारत ने किसी भी अन्य देश की तुलना में अमेरिका के साथ सबसे अधिक बार संयुक्त सैन्य अभ्यास किया है.


अमेरिकी और भारतीय विशेष बल के सैनिकों के द्वारा 2010 से अब तक करीब 14 बार से अधिक बार संयुक्त अभ्यास किए जा चुके हैं. भारत और फ्रांस के बीच सैन्य और रक्षा क्षेत्र में साथ बढ़ाने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है. इसके तहत, दोनों देशों के सैन्य तत्परता को बढ़ावा देने के लिए संयुक्त सैन्य अभ्यासों का आयोजन किया जा रहा है. 


इस संयुक्त अभ्यास के माध्यम से, भारत और फ्रांस दोनों देश अपने सैन्य ताकत को एक साथ मिलाकर मजबूत करने का प्रयास करेंगे. इसके अलावा, इस अभ्यास के माध्यम से दोनों देशों के सैनिक एक-दूसरे के तकनीकी, टैक्टिकल और ताकत के साथ अवगत भी हो पाएंगे. इस संयुक्त अभ्यास का आयोजन संयुक्त रक्षा उत्पादन और विकास में एकता और साझेदारी को बढ़ावा देगा. दोनों देशों के बीच इस प्रकार के संयुक्त अभ्यासों से रक्षा संबंधों के क्षेत्र में विस्तार होगा, जो सुरक्षा और स्थिरता को बढ़ावा देगा. यह साझेदारी और सहयोग दोनों देशों के लिए रक्षा क्षेत्र में नए और मजबूत संबंधों की नींव रखेगा.