भारत बहुत तेजी से जल, थल और नभ तीनों ही जगहों पर अपनी ताकत और प्रगति बढ़ाने में लगा है. खास तौर पर अंतरिक्ष में भारत एक बड़ी ताकत बन चुका है और वह 'ग्लोबल साउथ' के साथ ही विकसित देशों के भी रॉकेट न केवल भेज रहा है, बल्कि नए अनुसंधानों में भी महारत हासिल कर रहा है. इंडियन रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन यानी इसरो ने साल 2023 में 7 मिशन में सफलता हासिल की है और इस साल भी इसरो कई बड़े मिशन को सफलता दिलाने की तैयारी में है. इसरो सूरज के पास से लेकर मंगल तक और अंतरिक्ष में मानव-सहित यान तक भेजने की तैयारी कर रहा है. 


बहुतेरे मिशन हैं पंक्ति में 


इसरो INSAT-3DS सैटेलाइट मिशन फरवरी में लॉन्च करने की तैयारी कर रहा है. इस मिशन का लक्ष्य स्पेस में जाकर सैटेलाइट के माध्यम से मौसम के बारे में जानकारी देना है. INSAT-3DS सैटेलाइट अंतरिक्ष में रहकर गहराई से मौसम की जानकारी देने का काम करेगा. एक ही समय में भारत में अलग-अलग मौसम रहता है. भारत में कहीं सूखा पड़ रहा होता है तो कहीं भयंकर बारिश. जलवायु परिवर्तन की वजह से भारत को कई प्रकार के नुकसान झेलने पड़ते है. इसी को ध्यान में रखते हुए INSAT-3DS सैटेलाइट मिशन को तैयार किया गया है.


हिन्दुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट में बताया गया है कि इसरो के अधिकारी ने बताया है कि इसी महीने यानी जनवरी में इस मिशन को लॉन्च करने की योजना बनाई गई थी, लेकिन अब इस INSAT-3DS सैटेलाइट को फरवरी में लॉन्च करने की तैयारी है. भारतीय मौसम विभाग ने बदलते मौसम पर नजर रखने के लिए अंतरिक्ष में 'क्लाइमेट ऑब्जर्वेटरी सैटेलाइट्स' भेजने की तैयारी की गई है. INSAT-3DS मिशन के द्वारा मौसम की निगरानी के लिए सैटेलाइट्स की लॉन्चिंग की जाएगी. पृथ्वी के बदलती जलवायु पर नजर रखने के लिए INSAT-3D और INSAT-3DR को पहले से ही स्पेस में भेजा जा चुका है.



2024-2025 में मानवयुक्त अंतरिक्ष मिशन


साल 2025 भारत के लिए बेहद खास है. क्योंकि 2025 में भारत अपने पहले मानवयुक्त अंतरिक्ष मिशन की शुरुआत करने वाला है. इस बात की जानकारी कुछ समय पहले केन्द्रीय मंत्री जितेन्द्र कुमार ने दी थी. इस मिशन के दौरान तीन सदस्य के दलों को 400 किलोमीटर ऊपर पृथ्वी की कक्षा में भेजा जाएगा. और फिर उन्हें वहां से सुरक्षित वापस भी लाया जाएगा. गगनयान मिशन के बारे में पीएम मोदी ने 2018 में ही घोषणा कर दी थी. गगनयान मिशन के लिए 90.23 करोड़ का बजट रखा गया है. इस मिशन के पूरा होने के साथ ही ऐसा करने वाला भारत चौथा देश बन जाएगा. इससे पहले अमेरिका, रूस और चीन ही इस मिशन में सफलता पा चुके है. यह मिशन बेहद खास इसलिए है क्योंकि किसी मनुष्य को अंतरिक्ष में भेजने से ज्यादा मुश्किल उसे धरती पर वापस सुरक्षित और स्वस्थ तरीके से ले आना है. यह एक क्रू और ऑपरेशनल मॉड्यूल है. वास्तविक उड़ान से पहले अंतिम उड़ान में एक महिला रोबोट भी होगी, जिसका नाम व्योममित्रा रखा गया है. मानव अंतरिक्ष यात्री आखिरी उड़ान में जो भी गतिविधियां करेंगी वो व्योममित्रा भी करेगी.


मंगलयान- 2 और सूरज का एल-1 मिशन


मार्स ऑर्बिटर मिशन 2 को मंगलयान- 2 नाम दिया गया है. इसरो दूसरी बार मंगल ग्रह पर जाने की तैयारी कर रहा है. हिन्दुस्तान के मुताबिक, चन्द्रयान 3 की सफलता के बाद इसरो के अधिकारियों ने कहा है कि भारत मंगल ग्रह पर एक और अंतरिक्ष यान भेजने की तैयारी कर रहा है. इसरो द्वारा मंगल पर पहला रॉकेट 2013 में 5 नवंबर को भेजा गया था. यह मिशन अपने साथ चार पेलोड लेकर अंतरिक्ष में जाएगा और चन्द्रयान 2 की तरह ही मंगल ग्रह का अध्ययन करेगा. मंगल यान को सफल बनाने के लिए वैज्ञानिक विभिन्न पहुलओं पर अध्ययन कर रहे है. वैज्ञानिकों द्वारा मंगलयान का वातावरण, पर्यावरण और अंतरग्रहीय धूल पर अध्ययन किया जाना है.


इसके साथ ही भारत दुनिया के उन चुनिंदा देशों में शामिल हो गया है, जो सूरज के सबसे नजदीकी पॉइंट तक पहुँचने में कामयाब हो गया है. आदित्य एल1 के लैंग्रेज प्वॉइंट पर पहुंचने के साथ ही भारत ने अंतरिक्ष की दुनिया में एक नया इतिहास रच दिया है. छह जनवरी 2024 की शाम करीब चार बजे अंतरिक्ष यान अपनी मंजिल पर पहुंचा और अब आदित्य एल1 सूरज के तमाम राज खोलेगा. वैसे, लैंग्रेज पॉइंट पर पहुंचने के साथ ही इसरो कुछ और भी कदमों को उठाएगा. आदित्य एल1 करीबन 15 लाख किलोमीटर की यात्रा कर वहां पहुंचा है और इस दौरान उसके चार पेलोड काम आ चुके हैं और अब उसके तीन पेलोड ही उस पॉइंट तक पहुंचे हैं. उनकी पूरी जांच करने के बाद ही आदित्य एल1 सूरज के अध्ययन  के लिए पूरी तरह से तैयार हो जाएगा. इसरो ने 2 सितंबर 2023 को आदित्य एल-1 को लांच किया था. 


आगे की राह


यह तो तय है कि भारत अंतरक्षि में बहुत तेजी से अपनी छाप छोड़ रहा है. मंगल, चांद और अब सूरज के सबसे नजदीकी पॉइंट तक पहुंच कर भारत  दुनिया के उन चुनिंदा देशों में शुमार हो चुका है, जिसकी अंतरिक्ष पर भी उतनी ही पकड़ है. मौसम से लेकर पर्यावरण और जलवायु-परिवर्तन से लेकर प्राकृतिक आपदाओं के कारण समझने तक और उनकी करीबी भविष्यवाणी करने तक में भारत धीरे-धीरे सक्षम हो रहा है. हमारी सामरिक ताकत भी इनसे जुड़ी है और जासूसी का भी हम मुंहतोड़ जवाब दे भी सकते हैं और कर भी सकते हैं. भारत की अंतरिक्ष में धमक की गूंज बहुत दूर तक सुनाई दे रही है.