भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने गुरुवार को अपने चीनी समकक्ष किन गैंग के साथ LAC पर जारी गतिरोध का मुद्दा उठाया. इधर, रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव के साथ "अंतरराज्यीय संबंधों की निष्पक्ष बहुध्रुवीय व्यवस्था" को बरकरार रखने की बात की. शुक्रवार को गोवा के बेनौलिम में शंघाई सहयोग संगठन परिषद की बैठक की पूर्व संध्या पर दोनों बैठकें अलग-अलग आयोजित की गईं. चीनी विदेश मंत्री के साथ अपनी विस्तृत चर्चा के दौरान, जयशंकर ने दो टूक कहा  कि जब तक चीन "लंबित मुद्दों को हल करने और सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति सुनिश्चित करने की दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाएगा तब तक दोनों देशों के बीच रिश्ते सामान्य होने की गुंजाइश कम है." जयशंकर ने कहा कि चीन पूर्वी लद्दाख में सीमा संबंधित मुद्दों को सुलझाया जाना चाहिए. वार्ता के लिए LAC पर शांति बहाल किया जाना जरूरी है. 


जयशंकर और किन ने आगामी जी-20 और ब्रिक्स बैठकों पर भी चर्चा की. दोनों मंत्रियों ने मार्च में भी द्विपक्षीय बैठक की थी जब किन भारत में जी-20 विदेश मंत्रियों की बैठक के लिए आए थे और भारत ने उन्हें तब बताया था कि सीमा पर स्थिति 'असामान्य' है. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने चीनी विदेश मंत्री ली शांगफू को बताया कि चीन ने सभी सीमा प्रोटोकॉल का उल्लंघन किया है और इससे द्विपक्षीय संबंध लगभग खत्म हो गए हैं. एससीओ के विदेश मंत्रियों की बैठक के लिए वे शुक्रवार को फिर आमने-सामने होंगे, जब मंत्रियों द्वारा कई मुद्दों पर व्यापक सहमति बनाई जाएगी. फिलहाल, दोनों पक्षों ने वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर भारी मात्रा में सैनिकों और तोपों की तैनाती कर रखी है. डिसइंगेजमेंट और डी-एस्केलेशन की प्रक्रिया के लिए बातचीत भी पिछले एक साल में धीमी हो गई है.


साल 2020 में शुरू हुआ था गतिरोध


पूर्वी लद्दाख में भारत-चीन के बीच एलएसी पर 5 मई 2020 को गतिरोध उत्पन्न हो गया था. इसमें दोनों देशों के सैनिकों के बीच हिंसक झड़प भी हुईं थी. इसके बाद से दोनों के बीच सैन्य और कूटनीतिक स्तर पर कई दौर की वार्ता हुई जिसके परिणामस्वरूप दोनों पक्षों में पैंगोंग झील के उत्तरी और दक्षिणी क्षेत्र में और गोगरा इलाके से अपने सैनिकों को पीछे हटाया. वहीं, बाकी के लंबित मुद्दों को सुलझाने के लिए दोनों देशों के बीच कमांडर स्तर की वार्ता समय-समय पर होते रही है. अब तक कुल 18 राउंड की वार्ता हुई है. लेकिन मसले का कोई ठोस हल नहीं निकल पाया है.  



'अंतरराज्यीय संबंधों की निष्पक्ष बहुध्रुवीय व्यवस्था'


किन के साथ अपनी वार्ता से पहले, जयशंकर ने रूसी विदेश मंत्री लावरोव से मुलाकात की. दोनों पक्षों ने रूस-यूक्रेन युद्ध के मद्देनजर अप्रत्यक्ष रूप से पश्चिमी आर्थिक प्रतिबंधों की ओर इशारा करते हुए "अंतरराज्यीय संबंधों की निष्पक्ष बहुध्रुवीय प्रणाली" का पालन करने पर सहमति व्यक्त की. जयशंकर ने लावरोव के साथ बैठक के बाद अपने एक ट्वीट में कहा, कि "रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव के साथ हमने द्विपक्षीय, वैश्विक और बहुपक्षीय सहयोग की व्यापक समीक्षा की. भारत के एससीओ अध्यक्ष पद के लिए रूस के समर्थन की भी सराहना की. जी-20 और ब्रिक्स से संबंधित मुद्दों पर भी चर्चा की."


"द्विपक्षीय संबंधों के मुख्य मुद्दों पर विश्वास आधारित विचारों का आदान-प्रदान किया. जिसमें आगामी संपर्कों की समय-सारणी, साथ ही वैश्विक और क्षेत्रीय एजेंडे पर सामयिक मुद्दे शामिल हैं. दोनों ने विशेष क्षेत्रों में सहयोग की गतिशीलता को बनाए रखने को लेकर एक-दूसरे की प्रशंसा की और वहीं, रूसी विदेश मंत्रालय द्वारा जारी एक बयान में कहा गया कि दोनों देश विशेषाधिकार प्राप्त रणनीतिक साझेदारी के क्षेत्र में आगे भी सहयोग करते रहेंगे. बयान में यह भी कहा गया कि 'एससीओ, ब्रिक्स, यूएन और जी-20 सहित सभी महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय मंचों पर बातचीत के ढांचे के भीतर आम दृष्टिकोण विकसित करने के लिए समन्वय को और मजबूत करने की मंशा की पुष्टि की' इसमें कहा गया कि " दोनों पक्षों ने अंतरराज्यीय संबंधों की एक निष्पक्ष बहुध्रुवीय प्रणाली के निर्माण की प्रक्रिया को जारी रखने पर सहमत हुए."