INS Chilka, Odisha: "मैं खुद को बहुत सशक्त महसूस कर रही हूं. अब मुझे अपनी कीमत का पता चला है. मैं अग्निवीर योजना के लिए धन्यवाद कहना चाहती हूं. ये बातें उत्तर प्रदेश के बरेली की रहने वाली 21 वर्षीय सपना ने कहा. जो मंगलवार को भारतीय नौसेना के आईएनएस चिल्का बेस से 'अग्नीवीर' के रूप में पास आउट परेड में शामिल होने जा रही है. 16 हफ्तों के कठोर प्रशिक्षण के बाद, जो केवल अनुशासन, मानसिक क्षमता और शारीरिक फिटनेस पर केंद्रित था वह अब पूरी हो गई है. मंगलवार को आईएनएस चिल्का से 273 महिलाओं समेत करीब 2,600 अग्निवीर निकल गए. भारतीय नौसेना के अनुसार, देश के किसी भी प्रशिक्षण
संस्थान से अग्निवीरों का यह पहला पासिंग आउट है. एबीपी लाइव ने अग्निवीरों के पासिंग आउट से पहले उनके साथ एक दिन बिताने के लिए आईएनएस चिल्का का दौरा किया जहां पर अग्निवीरों ने अपनी ट्रेनिंग और योजना को लेकर खुल कर बात की. अपना अनुभव साझा किया.


उत्तर प्रदेश के बरेली की रहने वाली सपना जो अब एक अग्निवीर के रूप में देश की सेवा करेगी ने अपना अनुभव साझा करते हुए कहा कि अग्निवीर के लिए चयनित होने से पहले मैं कुछ नहीं जानती थी, ना मैं तैरना जानती थी नाही मुझे नाव खींचना और अन्य चीजें आती थी. लेकिन आज मैं यह सब जानती हूं. अब मैं इन सब का अभ्यास भी कर सकती हूं. नौसेना ने मुझे सब कुछ सिखाया है. अब मैं अपने शहर की अन्य महिलाओं की तुलना में खुद को सशक्त महसूस करती हूं." सपना ने एबीपी लाइव को बताया कि वह जिस अग्निवीर बैच से ट्रेनिंग खत्म करने के बाद वह पेशेवर प्रशिक्षण लेना शुरू करेगी. उसने बताया कि वह अग्निवीरों के पहले बैच है. लेकिन यह सिर्फ एक सपना की कहानी नहीं है. उसके जैसे अन्य युवा अग्निवीरों के लिए भी यह तो बस शुरुआत है.


आईएनएस चिल्का से पास आउट होने के बाद ये सभी युवा सैनिक मई से पेशेवर प्रशिक्षण लेना शुरू करेंगे. सफल प्रशिक्षुओं को उनके समुद्री प्रशिक्षण के लिए अग्रिम पंक्ति के युद्धपोतों पर तैनात किया जाएगा. बता दें कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और तीनों सेना प्रमुखों ने भारतीय सेना में भर्ती के लिए अग्निपथ योजना की शुरुआत 14 जून, 2022 को की थी. नवंबर के बाद से, भारतीय नौसेना ने देश भर से अग्निवीरों की भर्ती शुरू कर दी थी. नौसेना ने महिला अग्निवीरों को भी देश की सेवा करने के लिए चयन करने की पहल की थी. इस योजना के लिए कारगिल युद्ध कमेटी ने प्रस्ताव रखा था. लेकिन पूर्व की सरकारों ने इसे धरातल पर उतारने व पारंपरिक भर्ती प्रक्रिया में छेड़छाड़ करने पर होने वाले विरोध के चलते इसे अब तक लागू नहीं किया था.


इनडोर और आउटडोर दोनों तरह दिए गये प्रशिक्षण


सपना ने आगे एबीपी लाइव को बताया कि यह एक "सपना सच होने जैसा है, और उन्हें आईएनएस चिल्का में लड़कों के बराबर प्रशिक्षण लेने में कोई परेशानी महसूस नहीं हुई. प्रत्येक प्रशिक्षण सत्र पुरुषों और महिलाओं के लिए एक साथ था, सिर्फ उनके आवास स्थल अलग-अलग थे. आईएनएस चिल्का बेस के कमोडोर एनपी प्रदीप जोकि कमांडिंग ऑफिसर भी हैं ने एबीपी लाइव से विशेष बातचीत में बताया कि भारत सरकार द्वारा अग्निपथ योजना की घोषणा करने के बाद, भारतीय नौसेना ने सबसे पहले अग्निवीरों की भर्ती प्रक्रिया शुरू करने की पहल की. हमने अग्निवीरों को नवंबर-2022 के अंत में लेना शुरू कर दिया था और उनका प्रशिक्षण 1 दिसंबर से शुरू हो चुका था. इस दौरान अधिकांश ट्रेनिंग गतिविधियों में पीटी, ड्रिल, वाटरमैनशिप का प्रशिक्षण, फायरिंग अभ्यास का प्रशिक्षण दिया गया है. इसके अलावा कुछ इनडोर प्रशिक्षण भी दिए गए हैं जिसमें मूल रूप से शैक्षणिक कक्षाएं और कुछ सेवा के बारे में बताया गया है." उन्होंने बताया कि यह विशेष बैच हमारे लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि हमारे साथ महिला अग्निवीर भी हैं जिन्हें सशस्त्र बलों में पहली बार शामिल किया गया है. उनके समायोजन के लिए हमने एक विशेष आवास ब्लॉक तैयार किया है, जिसे खुद महिलाओं ने बनाया है.


INS चिल्का में महिलाओं के लिए आवासीय ब्लॉक की स्थापना पहली बार की गई है. उक्त आवासीय ब्लॉक को सीसीटीवी कैमरों से लैस किया गया है. इसमें शयनगृह के अंदर चेंजिंग रूम बनाए गए हैं जहां पर्दे भी लगाए गए हैं. सैनिटरी नैपकिन के लिए लॉकर की व्यवस्था है और सैनिटरी पैड के निस्तारण के लिए एक वेंडिंग मशीन भी लगाई गई है. महिला अग्निवीर के शौचालयों में गीज़र, वाशिंग मशीन भी लगाए गए हैं. उन्होंने कहा कि सामान्य पाठ्यक्रम की तुलना में अग्निवीरों के प्रशिक्षण मॉड्यूल में कोई बदलाव नहीं किया गया है. "जहां तक प्रशिक्षण की गुणवत्ता का संबंध है तो इसमें कोई गिरावट नहीं है और अग्निवर्स के प्रशिक्षण के लिए मानकों को ऊंचा रखा गया है. आईएनएस चिल्का में हमारे पास विश्व स्तरीय सुविधाएं हैं और
प्रशिक्षण मानकों से किसी तरह का कोई समझौता नहीं किया गया है.


इन अग्निवीरों के दिन की शुरुआत सुबह 6:30 बजे परेड के साथ होती है, जिसके बाद गन ड्रिल होता है. इसके बाद, वे तैराकी के लिए जाते हैं जबकि उनमें से कुछ शस्त्र प्रशिक्षण और अग्निशमन अभ्यास भी करते हैं. अग्निवीरों को इंसास, कार्बाइन और एलएमजी के साथ छोटे हथियारों को चलाने का प्रशिक्षण दिया जाता है. उन्हें जहाज, युद्धपोत, हेलीकॉप्टर और पनडुब्बी की बेसिक जानकारी दी जाती हैं. भारत के सैन्य इतिहास और रणनीतिक महत्वाकांक्षाओं पर अग्निवीरों को खरा उतारने के लिए गेस्ट लेक्चरर की व्यवस्था की गई है. भुवनेश्वर से लगभग 100 किमी की दूरी पर स्थित, आईएनएस चिल्का 1,530 एकड़ में फैला हुआ है, जहां से विशाल चिल्का झील भी दिखाई देती है, जो भारत में खारे पानी की सबसे बड़ी लैगून है. लगभग 1,500 प्रशिक्षु आईएनएस चिल्का से हर छह महीने में पेशेवर और नाविक पाठ्यक्रम के लिए अपना बुनियादी प्रशिक्षण पूरा करने के बाद पास आउट होते हैं.


'हम एक उज्जवल भविष्य की ओर देख रहे हैं'


अग्निपथ योजना के अनुसार, आवेदकों की आयु सीमा 17.5 वर्ष से 21 वर्ष के भीतर होनी चाहिए. चार साल की सेवा के बाद केवल 25 प्रतिशत अग्निवीरों को सेना में शामिल किया जाना है, जबकि शेष 75 प्रतिशत को अंतिम पैकेज जिसमें की 11.71 लाख रुपये के साथ घर भेज दिया जाएगा. प्रदीप ने कहा, "उन्हें इस योजना के बारे में कोई संदेह नहीं है कि चार साल बाद उनका क्या होगा और वे क्या करेंगे." अभी के लिए, आईएनएस चिल्का में अग्निवीर इस तथ्य से संतुष्ट हैं कि वे कुछ कौशल और तकनीकों प्रशिक्षण लेने के बाद सक्षम हैं, जो उनके लिए और अधिक रास्ते खुलेंगे.


पीजीडीएवी कॉलेज (दिल्ली विश्वविद्यालय) में कंप्यूटर साइंस के छात्र मनोज ने एबीपी लाइव को बताया कि "इस तकनीकी ज्ञान और शिक्षा के साथ जो हमने यहां प्राप्त किया है, मैं पीएसयू में काम कर सकता हूं जहां तकनीकी ज्ञान की आवश्यकता होती है. भारतीय रेलवे में हमारे पास अच्छे अवसर होंगे. इसके अलावा, हमारे पास अच्छे व्यक्तित्व और बेहतर संचार कौशल भी होंगे.


जनरल बिपिन रावत रोलिंग ट्रॉफी से महिला अग्निवीरों को किया सम्मानित


21 वर्षीय पांडा के मुताबिक, अग्निवीर के रूप में नौसेना में शामिल होकर उन्होंने अपने माता-पिता को गौरवान्वित किया है और अब वह देश की सेवा करना चाहते हैं. भले ही मैं नौसेना में नहीं रहूंगा, फिर भी मेरे पास एक उज्ज्वल भविष्य होगा. हम अपनी पढ़ाई पूरी कर सकते हैं और नेवी के तहत जो स्किल-सेट मैंने हासिल किया है, उससे मैं कोई भी नौकरी कर सकूंगा. मैंने अपने परिवार को गौरवान्वित किया है और अब मैं अपने देश की सेवा करना चाहता हूं. मंगलवार को पासिंग आउट परेड के दौरान अग्निवीरों को उनके प्रदर्शन के आधार पर विभिन्न पुरस्कारों से सम्मानित किया गया. भारतीय नौसेना ने 'योग्यता में प्रथम रहने वाली महिला अग्निवीर प्रशिक्षु' के लिए जनरल बिपिन रावत रोलिंग ट्रॉफी की स्थापना की है. यह ट्रॉफी दिवंगत जनरल रावत की बेटियों द्वारा योग्य महिला अग्निवीर को भेंट की जाएगी.