केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने ‘वाइब्रेंट गुजरात वैश्विक शिखर सम्मेलन’ को संबोधित करते हुए कहा कि वित्त वर्ष 2027-28 तक भारत 5 लाख करोड़ डॉलर से सबसे अधिक GDP के साथ दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाला वाला देश बन जाएगा. इसके साथ ही, 2047 तक भारत 30 लाख करोड़ की डॉलर की जीडीपी के साथ एक विकसित राष्ट्र होगा.


2014 में भारत की अर्थव्यवस्था 


दरअसल, साल 2014 में देश की अर्थव्यवस्था दसवें स्थान पर थी, लेकिन 2014 से लेकर 2023 तक भारत की अर्थव्यवस्था में 83% का इजाफा हुआ. वहीं इसी समय में चीन की जीडीपी में 84%, अमेरिका की जीडीपी में 54 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. नौ सालों में भारत ब्रिटेन, फ्रांस, रूस, इटली और ब्रजील को पीछे छोड़ 10वें स्थान से 5वें स्थान पर अपनी जगह बना चुका है. 2014 से 2023 के बीच ब्रिटेन की जीडीपी में 3 प्रतिशत, फ्रांस की जीडीपी में 2 प्रतिशत, रूस की जीडीपी में 1 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है. वहीं इटली की जीडीपी में कोई बढ़ोतरी नहीं हुई है. ब्रजील की जीडीपी में तो 15 प्रतिशत की गिरावट आई है. 



2047 तक भारत की GDP में कितने प्रतिशत बढ़ोतरी का अनुमान?


प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 2047 तक भारत को विकासशील देश से विकसित देश बनाने का लक्ष्य रखा है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बुधवार को ‘वाइब्रेंट गुजरात वैश्विक शिखर सम्मेलन’ को संबोधित करते हुए कहा कि वित्त वर्ष 2027-28 तक भारत पांच लाख करोड़ डॉलर के साथ सबसे अधिक जीडीपी के साथ दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाला वाला देश बन जाएगा और 2047 तक भारत 30 लाख करोड़ की डॉलर की जीडीपी के साथ एक विकसित राष्ट्र होगा. वर्तमान में भारत 3.4 लाख करोड़ डॉलर की जीडीपी के साथ 5वें स्थान पर है. अमेरिका, चीन, जापान और जर्मनी भारत से आगे है. 2047 में भारत को आजादी के 100 साल भी पूरे होने वाले है. इससे पहले नए एवं तेजी से उद्योगों को बढ़ाने पर ध्यान दिया जा रहा है. वित्त मंत्री ने कहा कि मोदी सरकार की एफडीआई नीति ने विदेशी निवेश को अपनी ओर आकर्षित करने का काम किया है. 


 भारत के सामने क्या है चुनौतियां?


आर्यभट्ट कॉलेज में एसोसिएट प्रोफेसर आस्था अहूजा ने एबीपी की डिजिटल टीम के साथ बात करते हुए कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था के सामने आने वाली चुनौतियों के बारे में बताया कि, ये सपना बहुत अच्छा है कि 2047 तक हम विकसित भारत हो जाएंगे. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा एक कैम्पेन भी चलाया जा रहा है ‘विकसित भारत 2047’. चुनौतियां बहुत है और सबसे बड़ी चुनौती देश में रोजगारी की है. देश में अभी भी असंगठित क्षेत्र 94 प्रतिशत लोग काम करते है. अगर हम जीडीपी बढ़ाने की बात करते है और हम देख रहे है कि हम विकसित हो रहे है.


उन्होंने आगे कहा कि यदि हम उसे जीडीपी के तरफ से देखे तो जीडीपी में सिर्फ संगठित क्षेत्र ही आते है. असंगठित क्षेत्र को हम जीडीपी में शामिल नहीं करते है. इस देश में महंगाई बहुत बड़ी समस्या है. लोगों की आय कैसे बढ़ाएंगे. अगर बेरोजगारी रहेगी और आय नहीं बढ़ेगी लोगों की तो चीजें कैसे खरीदी जाएंगी. चीजें नहीं खरीदी जाएंगी तो उसकी उत्पाद पर भी असर पडे़गा, निवेश नहीं होगा. फिर प्रोडक्शन ऑफ गुड्स सेंस सर्विसेस इकॉनमी के अंदर कम हो जाएगा. सबसे पहले हमें बेरोजगारी की समस्या पर गौर करना पड़ेगा, तभी जाकर समस्याएं कम होंगी


असंगठित श्रेत्र को संगठित क्षेत्र में लाने के लिए काम करने की आवश्यकता है. दूसरी सबसे बड़ी समस्या महंगाई की है. मंहगाई होगी तो लोगों की जेब पर असर पड़ेगा. जब जेब पर असर पड़ेगा तो चीजों का उत्पाद कैसे किया जाएगा. किसानों की आय भी दोगुनी करनी है, अभी देखा गया कि कैसे किसान कानून को कैसे वापस लिया गया. किसानों की आय दोगुनी नहीं हुई है. आरबीआई का डेटा भी आया है कि हमारा जो उपभोग व्यय भी नहीं बढ़ रहा है. सरकार जो खर्चा कर रही है वो बढ़ रहा है, इसलिए उससे हमारी मांग भी बढ़ जाती है. 


उपभोग व्यय नहीं बढ़ रहा है इसलिए सरकार को अपना उपभोग व्यय बढ़ाने चाहिए. तभी जाकर एक इकॉनमी ग्रो करती है. यहां हम सिर्फ जीडीपी की बात कर रहे है उसे ग्रो करने की. ह्यूमन डेवलेपमेंट इंडेक्स की बात करें तो उसमें एजुकेशन, हेल्थ आते है. एजुकेशन में भी देखे तो सरकार सिर्फ और सिर्फ 2.8 या 2.9 की जीडीपी खर्च करती है और यहां पर हायर एजुकेशन स्किल बहुत आवश्यक है.