भारत ने इस वर्ष G -20 बैठक की मेजबानी की, और दिल्ली में हुई इस बैठक को अभी तक की सबसे सफल बैठकों में माना जा रहा है, जहां भारत ने सभी देशों को एक मंच पर इकठ्ठा किया, अभूतपूर्व संख्या में समझौते हुए, बैठक को अनावश्यक मतभेदों से दूर रखा. भारत ने एक बैठक को एक सुअवसर बना लिया और अपने तकनीकी कौशल का प्रदर्शन पूरी दुनिया के सामने किया. भारत मंडपम में एक अत्याधुनिक प्रदर्शनी भी लगाई गयी, जिसमें देश में विकसित किये गए डिजिटल बुनियादी ढांचे और तकनीकी क्षमताओं को विश्व मंच पर रखा गया. यहां कई उदाहरण थे, कि कैसे कोई देश टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करने चुनौतियों से उबार सकता है, कैसे डिजिटल सशक्तिकरण द्वारा सरकारी और प्राइवेट सेवाओं को जन-जन तक पहुंचाया जा सकता है, वहीं सेवाओं पर होने वाले खर्चों को कम किया जा सकता है. भारत की तकनीकी सफलता, खासकर यूपीआई के क्षेत्र में देखते हुए, आइएमएफ के शीर्ष अधिकारी भी इन सेवाओं को संचालित करनेवाली टीम से मिलने में उत्सुक दिखे. 


डिजिटल इंडिया एक्सपीरियंस जोन


प्रदर्शनी में विदेशों के नेता गण, मीडिया कर्मी, व्यवसायी, और सरकारी कर्मचारियों के लिए डिजिटल इंडिया एक्सपीरियंस ज़ोन बनाया गया, जहाँ वह 'भारतीय डिजिटल स्टैक' के अनुप्रयोगों को देख सकते थे, और उनका उपयोग कर यह समझ सकते थे कि उसे अपने देश में किसी ख़ास सेवा के लिए कैसे उपयोग किया जा सकता है. प्रदर्शनी में राष्ट्रीय बायोमेट्रिक डिजिटल पहचान कार्यक्रम ‘आधार’ जैसे प्रमुख प्रौद्योगिकी कार्यक्रमों को प्रदर्शित किया गया. 12 अंकों की व्यक्तिगत पहचान संख्या प्रणाली, आधार, केवाईसी प्रक्रिया, ग्राहक पहचान और प्रमाण के तरीकों को दर्शाया गया. यह ना सिर्फ बैंकिंग के लिए उत्तम है, बल्कि सरकारी वितरण प्रणाली को भी बेहतर बना सकता है.


दूसरी तरफ यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफ़ेस (UPI) भी दर्शाया गया, जो दुनिया की सबसे तेज और सबसे सस्ती डिजिटल भुगतान सुविधा है जो मोबाइल ऐप के माध्यम से इंटरबैंक, पीयर-टू-पीयर और व्यक्ति-से-व्यापारी लेनदेन को सक्षम करती है. भारत सरकार ने विदेशी प्रतिनिधियों के लिए अलग से UPI चलित एकाउंट्स बना कर उसमे कुछ रकम लोड कर के भी दी, ताकि वह इसे रियल टाइम में इस्तेमाल करके देख सकें. इसका बड़ा जबरदस्त प्रभाव पड़ा, क्योंकि कई नेताओं ने बाजारों में जा कर UPI को इस्तेमाल किया, और वह इससे बड़े प्रभावित भी हुए.



डिजिटल कॉमर्स में भारत की धमक


भारतीय टीम के द्वारा डिजिटल कॉमर्स के लिए ओपन नेटवर्क (ओएनडीसी) भी प्रस्तुत किया गया, जिसे डिजिटल नेटवर्क पर वस्तुओं और सेवाओं के आदान-प्रदान के लिए एक खुले नेटवर्क को प्रोत्साहित करने के लिए डिज़ाइन किया गया है. सरकार ने यहाँ दीक्षा, गीता, माई गवर्नमेंट और उमंग जैसे ऐप भी प्रदर्शित किये, जो ई-गवर्नेंस और नागरिक-केंद्रित सेवाओं में भारत की मजबूत पकड़ को दर्शाते हैं. इन सभी उल्लेखनीय ऐप्स में से एक है भाषिणी ऐप, जो स्थानीय भाषाओं में डिजिटल सेवाओं को उपलब्ध करवाती है. वहीं संजीवनी ऐप, जो टेलीमेडिसिन सुविधाओं के साथ मरीज के घर पर ही आउट पेशेंट विभाग (ओपीडी) सेवाओं को सक्षम बनाती है. डिजीलॉकर सेवा, जो विभिन्न व्यक्तिगत दस्तावेजों के डिजिटल संस्करणों तक पहुंच प्रदान करती है, लोगों में अत्यधिक लोकप्रिय पायी गयी थी. इस अवसर पर, भारत ने 'G20' नाम से एक अद्वितीय प्रतिनिधि-अनुकूल एप्लिकेशन भी विकसित किया है, जो शिखर सम्मेलन से संबंधित सभी जानकारी प्रदान करता है. एप्लिकेशन अंग्रेजी, जर्मन, जापानी, हिंदी और पुर्तगाली सहित पांच संयुक्त राष्ट्र-मान्यता प्राप्त भाषाओं की सुविधा प्रदान करता है.



दिल्ली घोषणापत्र से मिलेगी गति


G20 नेताओं की नई दिल्ली घोषणा को आधिकारिक तौर पर अपनाए जाने के साथ, डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे को वैश्विक रूप से अपनाने के लिए भारत के उपायों को बढ़ावा मिला है।  83-पैराग्राफ के इस दस्तावेज़ को देखा जाए तो टेक्नोलॉजी के मामले में तीन प्रमुख परिणाम थे. एक टेक्नोलॉजी के वैश्विक ढांचे को मान्यता देना, भविष्य में इन्हें अपनाने और वित्तपोषण करने के लिए एक वैश्विक गठबंधन का गठन करना, और भारत को डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे (DPI) को लागू करने में एक नेता के रूप मान्यता देना. भारत को इन तीनों ही लक्ष्य में सफलता मिली है. भारत लंबे समय से डीपीआई को व्यापक रूप से अपनाने पर जोर दे रहा है. भारत ने सूरीनाम, पापुआ न्यू गिनी, सिएरा लियोन, एंटीगुआ और बारबुडा, त्रिनिदाद और टोबैगो, आर्मेनिया, मॉरीशस और सऊदी अरब में इंडिया स्टैक के कुछ हिस्सों को अपनाने के लिए समझौते पर भी हस्ताक्षर किए हैं. वहीं G-20 बैठक के समय भारत और अमेरिका ने 6G टेक्नोलॉजी के संयुक्त विकास पर भी सहमति जताई है.


अमेरिका ने भारत के तकनीकी कौशल से प्रभावित होकर भविष्य में एआई, सेमीकंडक्टर, सुपरकंप्यूटिंग, उच्च-प्रदर्शन कंप्यूटिंग और क्वांटम कंप्यूटिंग जैसे क्षेत्रों में काम करने के लिए भारत को प्रमुख भागीदार के रूप में मान्यता दी है. यह कहना अतिश्योक्ति नहीं होगी, कि भारतीय सरकार अपने टेक्नोलॉजी विस्तार और उपलब्धियों की तरफ पूरे विश्व का ध्यान खींचने में सफल रही, और पश्चिमी देशो को मंत्रमुग्ध भी करने में सफल हुई. पहले जहां भारत पर तंज कसा जाता था कि हम एक सुई तक अपने देश में नहीं बनाते और हमें साइबर कुली से लेकर तमाम अपमानजनक शब्द कहे जाते थे, अब भारत अपनी तकनीकी दक्षता से दुनिया का ध्यान खींच रहा है और वैश्विक रंगमंच पर अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहा है.