आत्मनिर्भर भारत और 'मेक इन इंडिया' का आज व्यापक असर देखने को मिल रहा है. आयात करने वाला देश भारत अब निर्यातक बन गया है. आत्मनिर्भर भारत अभियान की घोषणा कोरोना के समय मई 2020 को एक संकट को एक अवसर में परिवर्तित करने के उद्देश्य से की गई थी. हाल में ही देश का रक्षा निर्यात पहली बार बेतहाशा बढ़ा है. स्वतंत्र भारत के इतिहास में रक्षा निर्यात 21 हजार करोड़ रुपये के आंकड़े को पार कर गया है. देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने देश की इस बड़ी सफलता के बारे में बताया है. भारत ने 84 देशों को अपने रक्षा उत्पाद बेचकर यह रिकार्ड लक्ष्य हासिल किया है.


इस क्षेत्र में मात्र एक वित्त वर्ष में 32.5 प्रतिशत का उछाल आया है. यह लक्ष्य रक्षा मंत्रालय के दूरदर्शी नेतृत्व के साथ भारत के रक्षा विनिर्माण और निर्यात को बढ़ावा देने के लिए उठाए कई कदमों से हासिल हुआ है. इस सफलता तक पहुंचाने में देश की बड़ी 50 कंपनियों ने अहम योगदान दिया है. ये भारत के रक्षा क्षेत्र में एक बड़ी उपलब्धि के तौर पर देखा जा रहा है. रक्षा के क्षेत्र में बढ़ता निर्यात भारत देश की बढ़ती क्षमताओं के बारे में पूरे विश्व को अवगत भी कराने का भी एक मुफीद समय है.


एक वित्तीय वर्ष में बना रिकॉर्ड


भारत ने जो निर्यात का रिकार्ड बनाया है, ये वित्तीय वर्ष 2023-24 का है. इस वित्तीय वर्ष में भारत ने 21,083 करोड़ रुपए का रक्षा से संबंधित चीजों का निर्यात किया है. इससे पहले भारत एक बड़े रक्षा-उपकरण और हथियारों के आयातक देश के तौर पर देखा जाता था, लेकिन अब भारत इस क्षेत्र में एक बड़ा निर्यातक देश बनने की दिशा में बढ़ रहा है. इससे जाहिर होता है कि आने वाला समय भारत का होगा, और रक्षा के क्षेत्र में निर्यातक के तौर पर एक बेहतर स्थान प्राप्त करने के साथ पूरी दुनिया के देशों को वस्तुओं को निर्यात करने में काफी योगदान देगा भारत के इस बेहतरीन प्रदर्शन का देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी तारीफ की है. भारत का निर्यात बढ़ाने में सभी का योगदान है.



भारत के रक्षा निर्यात के इस सफलता में देश की करीब 50 भारतीय कंपनियों का महत्वपूर्ण योगदान है. इसमें भारत इलेक्ट्रॉनिक्स, एचएएल, भारत डायनेमिक्स सहित कई कंपनियां हैं, जिनके अहम योगदान के कारण भारत निर्यातक देश बना है. रक्षा क्षेत्र की बड़ी कंपनियों ने रक्षा निर्माण क्षेत्र में ना सिर्फ बेहतर चीजों का निर्माण किया है बल्कि तकनीकी रूप से आधुनिक भी बनाया है. कुल 50 कंपनियों की बेहतरीन प्रभावशीलता, गुणवत्ता के कारण ही भारत आज रक्षा उपकरणों और तकनीकों के विश्वसनीय आपूर्तिकर्ता के रूप में विश्व पटल पर स्थापित हो गया है. भारत के निर्यात किए रक्षा उपकरण और हथियार यूएई, पोलैंड, फिलीपींस, सऊदी अरब, मिस्र, इजरायल, इटली, मालदीव, श्रीलंका, रूस,  स्पेन, चिली सहित कई देशों तक पहुंचे हैं. देखा जाए तो पूरे विश्व स्तर पर भारतीय रक्षा उत्पादों की मांग बढ़ रही है.


मजबूत होती जा रही प्रतिरक्षा 


भारत की रक्षा प्रणाली दिन प्रतिदिन मजबूत होती जा रही है. हाल में ही एक रिपोर्ट के अनुसार ताकतवर देशों में भारत को चौथा स्थान मिला था. भारत ने आकाश और अग्नि 5 का मिसाइल का भी हाल में ही सफलतापूर्ण परीक्षण किया. वर्तमान में भारत की सैन्य और रक्षा प्रणाली काफी मजबूत हुई है. भारत ना सिर्फ अपने बल्कि पड़ोसी देशों का भी समुद्र में सहायता कर रहा है. पिछले कुछ वर्षों में, भारत ने अपनी रक्षा प्रणाली को मजबूत करने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं. इसका मुख्य उद्देश्य देश की सुरक्षा को मजबूत करना और उसकी प्रतिक्रियाओं को तेज करना है. भारतीय सुरक्षा प्रणाली विभिन्न क्षेत्रों में अपनी क्षमता को बढ़ा रही है, जिसमें सीमा सुरक्षा, नौसेना, वायु सेना, के अलावा अब साइबर सुरक्षा भी शामिल है.


सीमा सुरक्षा के क्षेत्र में, भारत ने सीमा पर नए सुरक्षा तंत्रों की शुरुआत की है, जिससे सीमावर्ती क्षेत्रों को और अधिक मजबूत बनाया जा सके. नौसेना में, भारत ने अपने बलों को नई तकनीकी उपकरणों और युद्धपोतों के माध्यम से खुद को मजबूत किया है. वायुसेना भी नए और उन्नत विमानों को शामिल कर रही है, जिससे वह आक्रमणों का मुंहतोड़ जवाब दे सके. हाल में ही नए अपाचे को भी शामिल किया गया है. साइबर सुरक्षा में, भारत ने अपनी साइबर रक्षा क्षमता को मजबूत करने के लिए नई प्रौद्योगिकी और सुरक्षा नीतियों को अपना रहा है. इन सभी पहल के साथ भारत ने अपनी संयुक्त रक्षा योजनाओं को भी मजबूत किया है. जिससे वह अपने सभी सेना बलों को एकजुट कर सके. वर्तमान में भारतीय रक्षा प्रणाली अब एक मजबूत, प्रभावी, और प्रगतिशील तंत्र है जो देश की सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है.