प्रधानमंत्री मंत्री नरेंद्र मोदी और बांग्लादेश की पीएम शेख हसीना वर्चुअल माध्यम से अपने ऐतिहासिक संबंधों को और मजबूती देते हुए  शनिवार यानी कल पहली मैत्री पाइपलाइन का उद्घाटन करेंगे. दोनों देशों के बीच यह पहली सीमा पार उर्जा पाइपलाइन है. इसकी लागत तकरीबन 377 करोड़ रुपये आई है. बांग्लादेश के हिस्से में निर्मित पाइपलाइन में 285 करोड़ रुपये का अनुदान सहयोग भारत ने दिया है. इस पाइपलाइन से 10 लाख हाई स्पीड डीजल (HSD) के 10 लाख मीट्रिक टन प्रतिवर्ष परिवहन की क्षमता है. इस पाइपलाइन की लंबाई 130 किलोमीटर है और इसका अधिकतर हिस्सा लगभग 125 किमी बांग्लादेश में है. मात्र पांच किलोमीटर ही भारत के हिस्से में है. भारत ने कहा है कि इस पाइपलाइन के शुरू हो जाने से भारत से बांग्लादेश तक एचएसडी को ले जाने के लिए यह एक किफायती, विश्वसनीय, पर्यावरणीय अनुकूल है. दोनों देश आगे भी उर्जा के क्षेत्र में आगे बढ़ेंगे. अब तक बांग्लादेश भारत से ट्रेनों के माध्यम से डीजल का आयात करता था. बांग्लादेश ने डीजल के आयात के लिए साल 2017 में एक समझौता किया था. मौजूदा पाइपलाइन पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी से दिनाजपुर के पार्वतीपुर मेघना पेट्रोलियम डिपो तक है.


भारत की नेबरहुड फर्स्ट पॉलिसी में बांग्लादेश का महत्वपूर्ण स्थान


भारत और बांग्लादेश के बीच ऐतिहासिक संबंध रहें हैं. भारत पहला देश था जिसने बांग्लादेश को एक अलग और स्वतंत्र राज्य के रूप में मान्यता दी. दिसंबर 1971 में एक दोस्ताना दक्षिण एशियाई पड़ोसी के रूप में अपनी स्वतंत्रता के तुरंत बाद देश के साथ राजनयिक संबंध स्थापित किए थे.बांग्लादेश की सीमा के तीन तरफ से भारत के साथ लगते हैं और एक तरफ बंगाल की खाड़ी है. दोनों देशों के बीच 4096.7 किलोमीटर की सीमा रेखा है जोकि असम, त्रिपुरा, मिजोरम, मेघालय और पश्चिम बंगाल से लगते हैं. ये भारत का किसी भी अपने पड़ोसी देश के साथ सबसे लंबी सीमा है. इतना ही नहीं दोनों देशों के बीच कुल 54 नदियों के माध्यम से भी जुड़ाव है. भारत की नेबरहुड फर्स्ट पॉलिसी में बांग्लादेश का महत्वपूर्ण स्थान है. बांग्लादेश के साथ भारत के संबंध सभ्यतागत, सांस्कृतिक, सामाजिक और आर्थिक हैं. ऐसा बहुत कुछ है जो दोनों देशों को जोड़ता है.


इसमें साझा इतिहास और साझी विरासत, भाषाई और सांस्कृतिक संबंध, संगीत, साहित्य और कला शामिल है.  इसके अलावा, रवींद्रनाथ टैगोर ने भारत और बांग्लादेश दोनों के राष्ट्रगान बनाए. हालांकि, अभी भी भारत और बांग्लादेश के बीच नदी जल विवाद (तीस्ता नदी जल बंटवारे), अवैध अप्रवासियों की सहायता और नशीली दवाओं के व्यापार जैसे प्रमुख मुद्दे बने हुए हैं, जिन्हें सुलझाया जाना चाहिए. दोनों देश व्यापार, रक्षा और सुरक्षा, बिजली उत्पादन, स्किल डेवलपमेंट के क्षेत्र में भी आगे बढ़ रहे हैं.


सितंबर 2022 में आईं थी पीएम शेख हसीना


पिछले साल सितंबर में बांग्लादेश की पीएम शेख हसीना भारत के दौरे पर आईं थी. उस वक्त उन्होंने कहा था कि दोनों देशों को अपने द्विपक्षीय संबंधों के मुद्दों को सुलझाने की आवश्यकता है. तब दोनों देशों के बीच कुल सात समझौतों पर हस्ताक्षर हुआ था. जिसमें रेलवे, विज्ञान और प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष में सहयोग, मीडिया और जल बंटवारा शामिल है. उन्होंने कहा था कि भारत सबसे नजदीक व घनिष्ठ पड़ोसी मुल्क है. बता दें कि दोनों के बीच नदियों के जल बंटवारा का मुख्य मुद्दा है. हालांकि इस दिशा में पिछले 28 साल के बाद पहली बार दोनों देशों के बीच कुशियारा नदी के जल बंटवारे पर बात बन चुकी है. कुशियारा नदी असम के निचली भाग में और बांग्लादेश के सिलहट के लिए प्रमुख है. दोनों देशों के बीच 1996 में पहली बार गंगा नदी के जल बंटवारे को लेकर सहमति बनी थी.


दोनों देशों के बीच के व्यापारिक संबंध


बांग्लादेश भारत का छठा सबसे बड़ा व्यापार भागीदार है. भारत ने 2011 से दक्षिण एशियाई मुक्त व्यापार क्षेत्र (SAFTA) के तहत तंबाकू और शराब को छोड़कर सभी तरह के उत्पादों पर बांग्लादेश को टैरिफ मुक्त कोटा दे रखा है. दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार में भी वृद्धि हुई है. जोकि वर्ष 2020-21 में 10.8 बिलियन अमेरिकी डॉलर था वह 2021-22 में बढ़कर 18.2 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पुंच गया है. दोनों देशों ने 6 बॉर्डर हाट को अनुमोदित किया है जिसमें से की मेघालय में 4 और त्रिपुरा में 2 हैं. दोनों देशों के बीच अगरतला-अखौरा रेल-लिंक पूर्वोत्तर भारत और बांग्लादेश के बीच पहला रेल मार्ग होगा. दोनों देशों के बीच मैत्री एक्सप्रेस की शुरुआत हो चुकी है. यही नहीं भारत आने वाले विदेशी पर्यटकों में बांग्लादेश के यात्रियों की संख्या भी बहुत अधिक है. साल 2020 में विदेशों से भारत आने वालों नागरिकों में बांग्लादेश टॉप पर रहा था. बांग्लादेश से भारत आने वालों में सबसे अधिक चिकित्सा उपचार के लिए आते हैं.


वर्तमान में दोनों देशों के बीच क्या हैं प्रमुख मुद्दे


दोनों देशों के बीच तीस्ता नदी जल विवाद एक प्रमुख मुद्दा है. दरअसल, तीस्ता नदी भारत से होते हुए बांग्लादेश के माध्यम से बंगाल की खाड़ी में गिरती है. पश्चिम बंगाल में लगभग आधा दर्जन जिले तीस्ता नदी पर निर्भर हैं. यह बांग्लादेश के रंगपुर क्षेत्र में धान की सिंचाई का एक प्रमुख स्रोत है. बांग्लादेश की हमेशा से शिकायत रही है कि उसे तीस्ता नदी के पानी का जरूरत के मुताबिक हिस्सा नहीं मिल पाता है. चूंकि नदी जल का मुद्धा भारत में राज्य का विषय है. इसे लेकर बंगाल सरकार और केंद्र सरकार के बीच भी सहमति नहीं पाई है. इस कारण से दोनों देशों के बीच तीस्ता जल बंटवारे को लेकर किसी भी संधि पर हस्ताक्षर नहीं किए गए हैं.


NRC ने बढ़ा दी बांग्लादेश की चिंता


दोनों देशों के बीच दूसरा सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा अवैध प्रवास का है. बांग्लादेश से भारत में अवैध प्रवासी, जिसमें शरणार्थी और आर्थिक प्रवासी दोनों शामिल हैं का आना-जाना बेरोकटोक जारी है. बांग्लादेश से ऐसे प्रवासियों की संख्या काफी अधिक है और उत्तर-पूर्व के सीमा पर लगे भारतीय राज्यों के लोगों के लिए यह एक गंभीर सामाजिक-आर्थिक और राजनीतिक समस्या के रूप में सामने आया है. इस वजह से भारत में संसाधन और राष्ट्रीय सुरक्षा पर गंभीर प्रभाव पड़ा है. यह और गंभीर इसलिये हो गया जब म्यांमार के रोहिंग्या शरणार्थियों ने बांग्लादेश के रास्ते भारत में घुसपैठ शुरू कर दी. इससे निपटने के लिए भारत सरकार ने नेशनल रजिस्टर ऑफ़ सिटिज़न्स (NRC) लाया है, जो कि बांग्लादेशी प्रवासियों को अवैध रूप से भारत में प्रवेश करने पर रोक लगा देगी. इस पॉलिसी ने बांग्लादेश की चिंता बढ़ा दी है.


नशीली दवाओं की तस्करीः सीमा पार से नशीली दवाओं की तस्करी और तस्करी की कई घटनाएं हुई हैं. विशेष रूप से बच्चों और महिलाओं की तस्करी की जाती है और विभिन्न जानवरों और पक्षियों की प्रजातियों का अवैध शिकार का मुद्दा भी है.


आतंकवाद : दोनों देशों के बीच आतंकवाद का भी मुद्दा प्रमुख है. जमात-उल मुजाहिदीन बांग्लादेश (JMB) जैसे कई संगठन भारत में अपना जाल फैलाने की कोशिश करते रहे हैं. JMB को बांग्लादेश, भारत, मलेशिया और यूनाइटेड किंगडम द्वारा एक आतंकवादी समूह की मान्यता दे रखा है.


बांग्लादेश में बढ़ता चीनी प्रभाव : वर्तमान में, बांग्लादेश चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) में एक सक्रिय भागीदार है लेकिन भारत ने BRI का हिस्सा बनने से इनकार कर दिया था. इसके अलावा बांग्लादेश रक्षा क्षेत्र में पनडुब्बियों सहित चीनी सैन्य उपकरणों का आयात करता है, जो भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए प्रमुख चिंता का विषय है.