विशेषज्ञ बताते हैं कि देशों के बीच के डिप्लोमैटिक संबंध एक दोधारी तलवार की तरह होते हैं, कब धार किसकी तरफ हो जाए, कहा नहीं जा सकता है. भारत और अमेरिका के बीच संबंध भी कुछ ऐसे ही हैं. कभी नरम, तो कभी गरम. हालांकि, अंकल सैम को भी चीनी चुनौती साधने के लिए भारत की सख्त जरूरत है, क्योंकि एशिया में तो भारत इकलौता देश ही है, जो अमेरिका के काम आ सकता है. वह भारत की भौगोलिक स्थिति के साथ आर्थिक और सामरिक मजबूती की वजह से भी है. भारत को भी अमेरिका की जरूरत है, क्योंकि वह दो ऐसे दुश्मन मुल्कों से घिरा है, जिनको उसकी प्रगति और बढ़ती ताकत से सबसे अधिक समस्या है. इसलिए ही यह रिश्ता कुछ ऐसा ही है, जैसा अमेरिकी राजदूत एरिक गार्सेटी ने कहा भी है कि भारत और अमेरिका के बीच 'डेटिंग' चल रही है. 


सतवंत पन्नून के मामले से आए हिचकोले


दरअसल, पिछले सप्ताह अमेरिकी जस्टिस डिपार्टमेंट ने आरोप लगाया था कि एक भारतीय सरकार के अधिकारी निखिल गुप्ता ने खालिस्तानी आतंकी सतवंतसिंह पन्नून की हत्या का प्रयास किया था, जो एक अमेरिकी नागरिक है. निखिल गुप्ता को 'मर्डर फॉर हायर' का दोषी बताते हुए जस्टिस डिपार्टमेंट ने यह भी कहा कि उसके साथ एक और व्यक्ति था, जो 'अंडरकवर एजेंट' था. भारत सरकार ने इस मामले को बेहद गंभीरता से लिया है और इसे बेहद 'उच्चस्तर' पर देखा जा रहा है. यहां तक कि दोनों देशों के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों के स्तर पर भी बातचीत हो रही है.



इसके अलावा अगले सप्ताह अमेरिकी खुफिया एजेंसी एफबीआई के प्रमुख क्रिस्टोफर रे भी अगले सप्ताह भारत आ रहे हैं. भारत ने इसे दोनों देशों के बीच आ रही रिश्तों की गरमाहट को डिरेल करनेवाला बताया है. हालांकि, इसके पहले भारत और अमेरिका के संबंधों में अच्छी-खासी गरमाहट आ रही थी और जी-20 के दौरान यह सर्वाधिक देखने को मिली. यह भी देखने को मिला था कि अमेरिकी वित्तमंत्री जेनेट येलेन इस बार चार बार भारत आ चुकी हैं, अमेरिकी गृहमंत्री एंटनी ब्लिंकन तीन बार आ चुके हैं और अमेरिकी रक्षामंत्री दो बार आ चुके हैं. भारतीय प्रधानमंत्री मोदी को अमेरिका ने राजकीय अतिथि बनाया था, तो जो बाइडेन की भारत यात्रा में भी वही गर्मजोशी देखने को मिली थी. भारत ने इसी कारण इस मामले को देश की छवि धूमिल करने का षडयंत्र बताया है और उच्चस्तरीय जांच के आदेश दिए हैं. 


चीन है साझा कारण कंसर्न का


भारत और अमेरिका के बीच चीन एक ऐसा मसला है, जिसमें दोनों देशों की बराबर की दिलचस्पी है. अभी आज ही, यानी गुरुवार 7 अक्टूबर को 83 दिनों से हिंद महासागर में तैनात चीनी खुफिया जहाज शी यान-6, अपने बेस की तरफ वापस लौटा है. भारत ने इससे राहत की सांस ली है, क्योंकि विशेषज्ञ इसे जासूसी करनेवाला मान रहे थे और भारतीय सुरक्षा के लिहाज से बड़ा खतरा भी मान रहे थे. यह यान पूर्वी हिंद महासागर में 83 दिनों से तैनात था. इसने करीब 25,300 किलोमीटर की समुद्री यात्रा की. इस पर 37 वैज्ञानिक थे, जो एक साथ बहुत सारे प्रोजेक्ट्स पर काम कर रहे थे. 


10 सितंबर को यह हिंद महासागर में पहुंचा था, और इसकी यही टाइमिंग भारत को खटक रही थी, क्योंकि भारत अक्टूबर में लंबी दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल का टेस्ट करने वाला था. उसके लिए हिंद महासागर में ही फ्लाई जोन बनाया गया. 10 सितंबर को चीन ने जासूसी जहाज उतार दिया. अगर भारत परीक्षण करता भारतीय मिसाइल की खुफिया जानकारी चीन को पता चल सकती थी. 


इससे पहले भी एक बार चीन ने यही हरकत की थी, जब भारत पहले भी मिसाइल का परीक्षण करनेवाला था. पहले जुलाई महीने में यान को नवंबर तक श्रीलंका के जलक्षेत्र में रहने की अनुमति देने की बात कही गई थी, जिसे भारत की दखल के बाद श्रीलंका ने निरस्त किया था. अमेरिका के भी चीन को लेकर अपने कंसर्न हैं. वह भी नहीं चाहता कि चीन पूरी दुनिया में अमेरिकी वर्चस्व को चुनौती दे, इसलिए एशिया में उभरती आर्थिक और सामरिक ताकत भारत को साधना उसे पड़ेगा ही. 


भारत और अमेरिका की डेटिंग


भारत और अमेरिका के रिश्ते खासकर पिछले 10 वर्षों में बहुत मजबूत हुए हैं. रक्षा, व्यापार से लेकर हर तरह के सामरिक सहयोग तक दोनों देश एक-दूसरे के करीब हुए हैं. अभी हमास-इजरायल मामले में तो भारत पर यह भी आरोप लग गया कि वह पूरी तरह अमेरिका के खेमे में चला गया है. संबंधों के बारे में अमेरिका कई बार यही बात दोहराता है और हाल ही में भारत में अमेरिका के राजदूत एरिक गार्सेटी ने कहा है कि भारत-अमेरिका संबंध दुनिया के लिए अच्छाई की ताकत हैं. 


कार्नेगी के ग्लोबल टेक समिट 2023 में बोलते हुए, गार्सेटी ने कहा कि  'भारत-अमेरिका के बीच रिश्ते लंबे समय तक हमारे फेसबुक स्टेटस की तरह था, जिसमें हम 'इट्स कॉम्पलिकेटेड (जटिल) लिखते थे. मगर अब ये 'दे आर डेटिंग' (डेट कर रहे हैं) हो चुके हैं.' भारत भी अमेरिका के अंतरिक्ष सहयोग से लेकर उसकी अगुआई वाले सैन्य गठबंधन तक में शामिल हो रहा है. जाहिर है, दोनों देशों को एक-दूसरे की जरूरत है और इसीलिए हिचकोलों के साथ, लेकिन यह रिश्ता मजबूत हो रहा है.