भारत में अगले 15 सालों में 100 अरब डॉलर का निवेश यूरोप के चार देश करेंगे. हाल में ही भारत-यूरोपियन फ्री ट्रेड एसोसिएशन के बीच में एक व्यापार एवं आर्थिक साझीदारी समझौता हुआ है. लोकसभा चुनाव से ठीक पहले इएफटीए के साथ ट्रेड एंड इकोनामिक पार्टनरशिप एग्रीमेंट कर ली है. अगले 15 सालों में ट्रेड के निवेश करीब 100 अरब डॉलर किया जाएगा. इससे करीब 10 लाख नौकरियां प्रत्यक्ष रूप से मिलेगी. पहले 10 सालों में 50 अरब डॉलर इनवेस्ट किया जाएगा. उसके आगामी पांच साल में 50 अरब डॉलर इनवेस्ट होंगे. भारत ईएफटीए देशों जिनमें स्विट्जरलैंड, आइसलैंड, नॉर्वे और लिकटेंस्टीन आदि शामिल हैं. इसमें सबसे अधिक हिस्सेदारी स्विट्जरलैंड को लगभग 90 प्रतिशत हिस्सेदारी है, बाकी के तीन देश शामिल है. ईएफटीए अपने चार सदस्य देशों के लाभ के लिए मुक्त व्यापार एवं आर्थिक एकीकरण को बढ़ावा देने के लिए 1960 में गठित एक अंतर-सरकारी संगठन है.


दरअसल टीईपीए एक आधुनिक और महत्वाकांक्षी व्यापार समझौता है. पहली बार, भारत चार विकसित देशों जो यूरोप में एक महत्वपूर्ण आर्थिक ब्लॉक है, उनके साथ एफटीए पर हस्ताक्षर किया है. ये समझौता मेक इन इंडिया को बढ़ावा देने के साथ युवा और प्रतिभाशाली श्रमबल को अवसर प्रदान करेगा. एफटीए बड़े यूरोपीय और वैश्विक बाजारों तक भारतीय निर्यातकों को पहुंचने का रास्ता भी प्रदान करेगा. समझौते के अंतर्गत मुख्य फोकस वस्तुओं से संबंधित बाजार पहुंच, उद्भव के नियमों, व्यापार सुगमीकरण, व्यापार उपचारों, स्वच्छता एवं पादप स्वच्छता उपायों, व्यापार से संबंधित तकनीकी बाधाओं, निवेश संवर्धन, सेवाओं पर बाजार पहुंच, बौद्धिक संपदा अधिकारों, व्यापार एवं सतत विकास और अन्य संबंधित कानूनी प्रावधानों पर है. वस्तुओं और सेवाओं में अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में वृद्धि करने के लिए निरंतर अवसर बढ़ रहे हैं. ईएफटीए देशों में से स्विट्जरलैंड भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझीदार है जिसके बाद नॉर्वे का स्थान आता है.



क्या हैं समझौते के विशेषताएं
समझौते के अंतर्गत फार्मा और टेक्सटाइल जैसे सेक्टर के साथ सर्विस सेक्टर में भी इन चार बाजारों में भारत की पहुंच आसान होने वाली है. भारत भी इन देशों की विभिन्न वस्तुओं के लिए अपने आयात शुल्क कम करेगा. इस मामले में कृषि, डेयरी, सोया, कोयला सेक्टर को दूर रखा गया है. ईएफटीए के बाजार पहुंच के प्रस्ताव में 100 प्रतिशत गैर-कृषि उत्पाद और प्रसंस्कृत कृषि उत्पाद (पीएपी) पर टैरिफ रियायत को ही शामिल वर्तमान में किया गया है. भारत अपनी 82.7 प्रतिशत टैरिफ लाइनों की पेशकश कर रहा है. जिसमें 95.3 प्रतिशत ईएफटीए निर्यात शामिल है. जिसमें से 80 प्रतिशत से अधिक आयात सोना का है.


सोने पर प्रभावी शुल्क अछूता रहा है. ऑफर बढ़ाते समय फार्मा, चिकित्सा उपकरणों और प्रसंस्कृत खाद्य आदि क्षेत्रों में पीएलआई से संबंधित संवेदनशीलता को ध्यान में रखा गया है. टीईपीए भारत की रुचि के क्षेत्रों जैसे आईटी सेवाओं, व्यावसायिक सेवाओं, व्यक्तिगत, सांस्कृतिक, खेल और मनोरंजक सेवाओं, अन्य शिक्षा सेवाओं, ऑडियो- विजुअल सेवाओं आदि के सेवाओं के निर्यात को प्रोत्साहित करेगा. टीईपीए में नर्सिंग, चार्टर्ड अकाउंटेंट, आर्किटेक्ट आदि जैसी व्यावसायिक सेवाओं में पारस्परिक मान्यता समझौतों के प्रावधान किए गए हैं. भारत सतत विकास, समावेशी विकास, सामाजिक विकास और पर्यावरण संरक्षण के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को आगे रखकर काम करता है.


भारत के बाजार होंगे मजबूत 
टीईपीए निर्यातकों को विशेष इनपुट तक पहुंच को सशक्त बनाएगा और अनुकूल व्यापार और निवेश माहौल तैयार करेगा. इससे भारत में निर्मित वस्तुओं के निर्यात को बढ़ावा मिलेगा और साथ ही सेवा क्षेत्र को अधिक बाजारों तक पहुंचने के अवसर मिलेंगे. टीईपीए यूरोपीय संघ के बाजारों में एकीकृत होने का अवसर प्रदान करता है. स्विट्ज़रलैंड का 40 प्रतिशत से अधिक वैश्विक सेवा निर्यात यूरोपीय संघ को होता है. भारतीय कंपनियां यूरोपीय संघ तक अपनी बाजार पहुंच बढ़ाने के लिए स्विट्जरलैंड को आधार के रूप में देख सकती हैं.


टीईपीए बुनियादी ढांचे और कनेक्टिविटी, विनिर्माण, मशीनरी, फार्मास्यूटिकल्स, रसायन, खाद्य प्रसंस्करण, परिवहन और लॉजिस्ट्क्सि, बैंकिंग और वित्तीय सेवाओं और बीमा जैसे क्षेत्रों में घरेलू विनिर्माण को प्रोत्साहित करके "मेक इन इंडिया" और आत्मनिर्भर भारत को गति देगा. टीईपीए भारत में अगले 15 वर्षों में व्यावसायिक और तकनीकी प्रशिक्षण के लिए बेहतर सुविधाओं सहित भारत के युवा महत्वाकांक्षी कार्यबल के लिए बड़ी संख्या में प्रत्यक्ष रोजगारों के सृजन में तेजी लाएगा. टीईपीए सटीक इंजीनियरिंग, स्वास्थ्य विज्ञान, नवीकरणीय ऊर्जा, नवोन्मेषण और अनुसंधान एवं विकास में प्रौद्योगिकी सहयोग और विश्व की अग्रणी प्रौद्योगिकियों तक पहुंच की सुविधा भी प्रदान करता है.


कई वस्तुओं की कीमत होगी कम
समझौते के के बाद से कई वस्तुओं के कीमत में कमी आएगी. स्विट्जरलैंड के घड़ी, बिस्किट और चॉकलेट के दामों में पहले के अपेक्षा में कमी आएगी. समझौते के अंतर्गत भारत और स्विट्जरलैंड दोनों देश अपने यहां आयात शुल्क को कम करेंगे. इससे वस्तुओं के दाम में थोड़ा कमी आएगी. अभी स्विट्जरलैंड से आने वाले चॉकलेट पर 30 प्रतिशत और घड़ी पर 23 प्रतिशत आयात शुल्क लगते हैं. ऐसे में दोनों देश अगर वस्तुओं पर आयात शुल्क कम करते हैं तो एक ओर वस्तुओं के दाम कम होंगे तो दूसरी ओर कम दामों में सामान लोगों को उपलब्ध हो पाएंगे.