भारत के साथ 3 बिलियन यूएस डॉलर में 30 एमक्यू-9बी प्रिडेटर ड्रोन की डील अमेरिकी समूह के जनरल एटॉमिक डिफेंस कंपनी के बीच चल रही है, जिसमें अब तेजी आने लगी है. इसके जरिए कंपनी भारत के साथ एक लंबे समय के लिए संबंधों को स्थापित करना चाहती है. इस डील के साथ वह सरकार के रक्षा क्षेत्र में भारत को आत्मनिर्भर बनाने के सपनों का समर्थन करना चाहती है. ये बातें फर्म के मुख्य कार्यकारी विवेक लाल ने कही.



एयरो इंडिया-2023 (Aero India 2020) के आयोजन से ठीक पहले एबीपी लाइव के साथ एक एक्सक्लूसिव साक्षात्कार में जनरल एटॉमिक ग्लोबल कॉर्पोरेशन के मुख्य कार्यकारी ने कहा कि हम समझते हैं कि MQ-9B की अधिग्रहण प्रक्रिया दोनों देशों के बीच एडवांस स्टेज में पहुंच गया है. जनरल एटॉमिक भारत को समर्थन देने के लिए तैयार है और हम अपने लंबे समय के संबंधों की महता को समझते हैं.



पिछले साल, भारत ने तीन सेनाओं थल, जल और नभ के लिए मानव रहित एरियल व्हीकल को खरीदने के लिए अपना नजरिया स्पष्ट किया था. ताकि वह चीन के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के संवेदनशील क्षेत्रों में अपनी उपस्थिति को और मजबूत व निगरानी को उन्नत बना सके. इसके साथ-साथ हिंद महासागर के समुद्री क्षेत्र में अपनी सेना की उपस्थिति को बढ़ा सके.



MQ-9B ड्रोन भारतीय सैन्य उपयोगकर्ताओं को इस श्रेणी में किसी दूसरे विमान की तुलना में अधिक दूर तक उड़ान भरने में सक्षम बनाएगा. साथ ही, किसी भी तरह के मिशन के लिए हवा में अधिक समय तक विविधता के साथ काम करने के लिए सक्षम बनाएगा. लाल ने आगे कहा कि जो मॉडल भारतीय बाजार के लिए चुना गया है वो अब तक का "सर्वश्रेष्ठ" संस्करण है.


जो डील विदेश मंत्रालय के अंतर्गत यूएस के साथ वार्ता में है उसमें तेजी आई है. हालांकि, रक्षा अधिग्रहण काउंसिल (DAC) में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस प्रोजेक्ट को अब तक ग्रिन सिग्नल नहीं दिया है. इस डील को लेकर अप्रैल-2022 में वाशिंगटन में हुए भारत और यूएस के टू प्लस टू की बैठक में विस्तृत रूप से चर्चा की जा चुकी है.


भारत को जो मॉडल प्रस्तुत किया गया है वह MQ-9B है, जो कि दूर से संचालित होने वालों विमानों सें सबसे उतकृष्ट कैटेगरी का है और यह हर तरह के मौसम में अपना काम करने में सक्षम है. साथ ही साथ यह बिना किसी दिक्कत के किसी तरह के हवाई क्षेत्र में उड़ान भरने में सक्षम है. लाल ने यह बात एक ईमेल के जरिए अपना जवाब देते हुए कहा है.


उन्होंने आगे कहा कि एमक्यू-9बी के दोनों वेरिएंट 'स्काईगार्डियन' और 'सीगार्डियन' किसी भी परिस्थित में चाहे  दिन हो या रात में अपनी पूरी क्षमता के साथ प्रदर्शन करने में सक्षम है. इसके साथ-साथ ये ऑनबोर्ड सिस्टम के साथ अन्य प्रकार के विस्तृत सेंसिंग करने में भी सक्षम हैं.


उन्होंने कहा कि एक 'स्काईगार्डियन' एक 'सीगार्डियन' जब अपने साथ 360-डिग्री समुद्री खोज रडार को संचालित करता है तब यह अपने उपयोगकर्ताओं को एक क्वालिटि समुद्री डोमेन के बारे में जागरूक करता है.


 
उन्होंने कहा कि अगर इन विमानों को किसी एक विशेष मिशन के लिए चुना जाता है तो ये अपने साथ कई विशेष प्रकार के पेलोड को भी ले जा सकते हैं जैसे इन विमानों की कृत्रिम बुद्धिमत्ता, मशीन लर्निंग और अन्य परिष्कृत प्रौद्योगिकियां एक समृद्ध इनसाइट देने में सहायक सिद्ध होती हैं और इसका सटीक विश्लेषण करती हैं जो कि उन लोगों के साथ साझा किया जा सकता है जिन्हें मिशन के टारगेट के लिए तुरंत निर्णय लेना होता है.


भारतीय नौसेना ने सबसे पहले दो प्रिडेटर ड्रोन का उपयोग करना नवंबर 2020 में शुरू किया था. यह जनरल एटॉमिक्स के साथ लीज समझौते के आधार पर हुआ था.


लाल ने इस बात पर भी जोर दिया कि खुफिया, निगरानी या सैन्य प्रणालियों के अलावा, ये ड्रोन अन्य प्रकार के पेलोड को अपने साथ ले जाने में सक्षम हैं जैसे कम्यूनिकेशन रिलेज जोकि इसे एक ही समय में जमीन और समुद्र में सक्रिय नोड कनेक्टिंग के रूप में कार्य करने के लिए सक्षम बनाता है.



ये विमान खोज और बचाव दोनों को करने के लिए सक्षम हैं ये जंगल में लगी आग को बुझानें, सीमा शुल्क अधिकारियों के लिए निगरानी करने में मददगार हैं,  नौसैनिक बलों को और मजबूती देने के साथ-साथ कई अन्य कार्यों को सुगमता से कर सकते हैं… 


उन्होंने आगे कहा कि MQ-9B ड्रोन आज दुनिया में एक साथ बहुत से कार्यों और लंबे समय तक काम को अंजाम देने वाला एक उन्नत विमान है. इसकी मांग भी बहुत है. उन्होंने कहा कि जापान, बेल्जियम, ग्रेट ब्रिटेन सहित कई अन्य देश इस विमान को उड़ा रहे हैं या वे इसको उड़ाने के लिए तैयारी कर रहे हैं.


उन्होंने कहा कि कंपनी भारत में ही भारत फोर्ज के साथ एक रणनीतिक साझेदारी के तहत इन मानव रहित विमानों को बनाने के लिए साझेदारी की है.