2025 अब अपने आखिरी पलों की तरफ बढ़ रहा है. यह बीतता साल भारत के साथ-साथ दुनिया के कई देशों के लिए भी बेहद उथल-पुथल भरा रहा. राजनीति में उठे तूफानों ने कई सरकारों को हिला दिया, कहीं चुनाव ने इतिहास बदल दिया तो कहीं जनता के गुस्से ने सत्ताधारियों को कुर्सी छोड़ने पर मजबूर कर दिया.

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भारत में 2025 वह साल रहा जिसने देश की राजनीति को कई बार झकझोरा, कभी चुनावों ने, कभी नए कानून ने, तो कभी आतंकी हमले और सैन्य जवाबी कार्रवाई ने. दूसरी ओर हमारे पड़ोसी मुल्क भी अशांति, प्रदर्शन और सत्ता संघर्ष से जूझते नजर आए. नेपाल, बांग्लादेश, पाकिस्तान और श्रीलंका जैसे देशों ने सरकार गिरने और सत्ता परिवर्तन का सामना किया. अफ्रीकी देश बेनिन में भी सेना ने सत्ता पर कब्जा कर लिया. तो आइए जानते हैं कि  साल 2025 में कहां-कहां सरकार गिरी और किस देश में क्यों तख्तापलट हुआ. 

2025 में कहां-कहां गिरी सरकारें? 1. नेपाल – नेपाल में सोशल मीडिया बैन ने युवाओं को भड़का दिया. Gen-Z ने इसे अपनी अभिव्यक्ति की आजादी पर हमला माना.प्रदर्शन इतना बढ़ा कि PM केपी शर्मा ओली और राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल दोनों को इस्तीफा देना पड़ा. राष्ट्रपति भवन में आग लगा दी गई और कई नेताओं को भीड़ ने घेर लिया. यह सीधा सत्ता परिवर्तन था.  2. बांग्लादेश – बांग्लादेश में 2024 में हुए विशाल छात्र आंदोलनों ने शेख हसीना की सरकार गिरा दी थी. 2025 में भी वहां अस्थिरता जारी रही. इंटरिम सरकार के दो बड़े सलाहकारों ने चुनाव से पहले इस्तीफा दे दिया, जिससे राजनीतिक संकट और गहरा गया। यह आंदोलन छात्र, सरकार के रूप में सामने आया. 3. सीरिया – 8 दिसंबर 2024 को सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल-असद देश छोड़कर भाग गए थे. यह घटना सीरिया के आधुनिक इतिहास का सबसे बड़ा राजनीतिक मोड़ बन गई. देश में लम्बे समय से चल रहे विरोध और विद्रोह ने असद सरकार को कमजोर कर दिया था. उत्तरी सीरिया के इदलिब क्षेत्र से उभरे मजबूत विद्रोही गुट तेज़ी से राजधानी दमिश्क की ओर बढ़ रहे थे. हालात पूरी तरह असद सरकार के कंट्रोल से बाहर हो गए. आखिरकार 8 दिसंबर 2024 को बशर अल-असद चुपचाप देश छोड़कर विदेश भाग गए. इसके बाद 2025 में अंतरिम सरकार बनी, मानवाधिकार सुधारों की कोशिशें हुई.  लेकिन हिंसा, अपहरण और हमले 2025 में भी जारी रहे. 

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4. पाकिस्तान – मई 2023 में इमरान खान की गिरफ्तारी से जो आग भड़की थी, उसकी लपटें 2025 तक दिखती रहीं. सरकारी इमारतें जलाई गईं, सेना के ठिकाने घिरे, इंटरनेट बंद और कर्फ्यू जैसे हालात. यह अशांति राजनीतिक अस्थिरता का कारण बनी और सरकार की पकड़ कमजोर हुई.  5. श्रीलंका – साल 2022 से ही श्रीलंका आर्थिक संकट में था। जनता के गुस्से ने सत्ता को हिला दिया था. राष्ट्रपति और PM को देश छोड़ना पड़ा. 2025 में भी वहां की राजनीति अशांत रही और पूर्व नेता भ्रष्टाचार के मामलों में जेल में हैं. 

6. म्यांमार – 2021 में हुए सैन्य तख्तापलट के बाद म्यांमार अब भी राजनीतिक हिंसा और अस्थिरता में डूबा हुआ है. लोकतांत्रिक ताकतें आज भी लड़ाई लड़ रही हैं, लेकिन सेना सत्ता पर काबिज है. 

7. अफगानिस्तान – 2021 में अमेरिका के जाने के बाद तालिबान ने कब्जा कर लिया था. 2025 तक वहां लोकतंत्र की कोई उम्मीद नहीं दिखी, और जनता दमन का सामना कर रही है. 

8. अफ्रीकी देश बेनिन – 2025 में बेनिन में भी सेना ने मिलिट्री कमिटी फॉर रीफाउंडेशन नाम से सत्ता पर कब्जा कर लिया. राष्ट्रपति को हटाया गया और चुनाव भी खटाई में पड़ गए. 

क्यों बढ़ रहे हैं तख्तापलट और सरकारें गिरने की घटनाएं?

साल 2025 में तख्तापलट और सरकारों के गिरने की घटनाएं इसलिए बढ़ीं क्योंकि कई देशों में आर्थिक संकट गहराता गया, बेरोजगारी और महंगाई ने लोगों का जीवन मुश्किल बना दिया, और भ्रष्टाचार व सत्ता के दुरुपयोग ने जनता का भरोसा तोड़ दिया. सोशल मीडिया ने भी बड़ी भूमिका निभाई, युवाओं की आवाज तेजी से फैलती गई, विरोध आंदोलनों को संगठित होने की ताकत मिली और सरकारों पर दबाव बढ़ा.कई जगह लोकतांत्रिक संस्थाएं कमजोर हुईं, विपक्ष को दबाया गया और अभिव्यक्ति की आजादी पर हमले हुए, जिसके चलते जनता का गुस्सा सड़कों पर फूट पड़ा.इन सभी कारणों से दुनिया के कई देशों में राजनीतिक अस्थिरता पैदा की और 2025 को उथल-पुथल भरा साल बना दिया. 

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