Year Ender 2025: साल 2025 को भारत की अंतरिक्ष यात्रा में एक ऐतिहासिक अध्याय के रूप में याद किया जाए. ISRO ने ना सिर्फ बड़ी तकनीकी छलांग लगाई है बल्कि कुछ ऐसी उपलब्धियों को भी हासिल किया है जिसने भारत को ग्लोबल मैप पर भी जगह दी. आइए जानते हैं की 2025 में भारत ने स्पेस सेक्टर में किन बड़ी उपलब्धियों को हासिल किया.
भारत ने अपनी पहली इन स्पेस डॉकिंग की
इसरो ने साल की शुरुआत एक ऐसी सफलता के साथ की जिसने भारत के मानव अंतरिक्ष उड़ान रोडमैप को बदल दिया. 16 जनवरी 2025 को इसरो ने ऑर्बिट में दो सैटेलाइट SDX-01 और SDX-02 को डॉक करके SpaDeX को सफलतापूर्वक पूरा किया. इस उपलब्धि के बाद भारत दुनिया का चौथा ऐसा देश बन गया जिसे ऑटोनॉमस डॉकिंग क्षमता का प्रदर्शन किया. आपको बता दें कि यह टेक्नोलॉजी भविष्य के मिशनों के लिए काफी ज्यादा जरूरी है.
श्रीहरिकोटा ने GSLV-F15 के साथ 100 रॉकेट लॉन्च पूरे किए
इन स्पेस डॉकिंग के कुछ ही हफ्तों बाद 29 जनवरी 2025 को भारत ने एक और मील का पत्थर हासिल किया. दरअसल श्रीहरिकोटा स्पेसपोर्ट से इसरो ने 100वां लॉन्च किया . इस मिशन में GSLV-F15 पॉकेट से नेवीगेशन सेटेलाइट NVS-02 को ले जाया गया. हालांकि ऑर्बिट रेजिंग मोटर में खराबी की वजह से सैटेलाइट को उसकी तय ऑर्बिट में नहीं पहुंचाया जा सका.
नासा और इसरो ने NISAR लॉन्च किया
स्पेस सेक्टर में एक बड़ी उपलब्धि तब हासिल हुई जब नासा और इसरो ने मिलकर NISAR मिशन लॉन्च किया. यह दुनिया का पहला स्टार इमेजिंग सेटेलाइट है, जो डूअल फ्रीक्वेंसी सिंथेटिक एपर्चर रडार का इस्तेमाल करता है. NISAR पृथ्वी की सतह में होने वाले बदलावों को सटीकता के साथ ट्रैक करेगा, जिसमें ग्लेशियर, भूकंप, ज्वालामुखी और जलवायु से संबंधित गड़बड़ियों की निगरानी शामिल है.
आदित्य L1 ने दुनिया के साथ 15 टीबी सोलर साइंस डेटा शेयर किया
भारत की पहली सोलर ऑब्जर्वेटरी आदित्य L1, सूर्य पृथ्वी L1 पॉइंट पर पूरी तरह से साइंटिफिक ऑपरेशन में पहुंच गई. 2025 में इसरो ने दुनिया भर के रिसचर्स के लिए 15 टेराबाइट मिशन डेटा को जारी किया. इस डेटा में सोलर फ्लेयर्स, कोरोनल मास इजेक्शन, सोलर विंड्स और मैग्नेटिक तूफानों के हाई रिजॉल्यूशन ऑब्जरवेशन शामिल हैं.
इंजन टेक्नोलॉजी में सफलताएं
भारत ने उन इंजन में भी काफी प्रगति की है जो अगली पीढ़ी के रॉकेट्स को पावर देंगे. 28 मार्च 2025 को इसरो ने SE2000 सेमी क्रायोजेनिक इंजन का सफलतापूर्वक हॉट टेस्ट किया. यह पुराने इंजनों को काफी ज्यादा शक्तिशाली, क्लीनर और लागत-कुशल सिस्टम से बदलने की दिशा में एक बड़ा कदम है.
शुभांशु शुक्ला इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पहुंचने वाले पहले भारतीय
साल की सबसे बड़ी उपलब्धि तब मिली जब शुभांशु शुक्ला इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पहुंचने वाले पहले भारतीय एस्ट्रोनॉट बने. Axiom-4 मिशन के तहत उन्होंने यात्रा करते हुए इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पर लगभग 18 दिन बिताए, माइक्रोग्रेविटी एक्सपेरिमेंट किए और दुनिया की सबसे प्रसिद्ध स्पेस लेबोरेटरी में भारत को लीड किया.
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