Artificial Intelligence Investment: भारत में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के इंफ्रास्ट्रक्चर पर तेजी से काम हो रहा है और जिस तेजी के साथ इसमें निवेश किया जा रहा है, उसे देखते हुए यह कहना गलत नहीं होगा कि यह एआई का नया हब बनकर उभर रहा है.

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माइक्रोसॉफ्ट लगाने जा रहा बड़ा दांव

अब आप इस सिलसिले में अमेरिकी मल्टीनेशल टेक्नोलॉजी कंपनी माइक्रोसॉफ्ट (Microsoft) को ही ले लीजिए, जिसने हाल ही में 2026 और 2029 के बीच भारत में 17.5 बिलियन डॉलर के निवेश का ऐलान किया है.

माइक्रोसॉफ्ट के चेयरमैन और चीफ एग्जीक्यूटिव ऑफिसर सत्या नडेला ने इसे लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मुलाकात की थी. इसके बाद उन्होंने X पर पोस्ट करते हुए कहा, ''भारत में AI के अवसरों पर प्रेरणादायक बातचीत के लिए पीएम मोदी को धन्यवाद. देश की महत्वाकांक्षाओं को सपोर्ट करने के लिए माइक्रोसॉफ्ट 17.5 बिलियन डॉलर का निवेश करने जा रहा है - जो एशिया में हमारा अब तक का सबसे बड़ा निवेश है ताकि भारत के AI फर्स्ट भविष्य के लिए जरूरी इंफ्रास्ट्रक्चर, स्किल्स और सॉवरेन क्षमताओं को बनाने में मदद मिल सके.''

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अमेजन भी नहीं है पीछे 

बीते बुधवार को अमेजन ने भी बताया कि कंपनी 2030 तक भारत में निवेश को बढ़ाकर 3.15 लाख करोड़ रुपये (35 अरब डॉलर) से अधिक कर देगी. इसके अलावा, इसी महीने अमेजन ने तेलंगाना, महाराष्ट्र जैसे राज्यों में भी 1.14 लाख करोड़ रुपये की घोषणा कर चुकी है.

गूगल भी निवेश के मामले में कहीं पीछे नहीं है. इसने अक्टूबर के महीने में आंध्र प्रदेश के विशाखापत्तनम में डेटा सेंटर और एआई हब के डेवलपमेंट में अगले पांच सालों में 1.35 लाख करोड़ खर्च करने की बात कही है. मेटा भी रिलायंस इंडस्ट्रीज के साथ पार्टनरशिप में एआई सॉल्यूशंस के लिए 900 करोड़ रुपये (100 मिलियन डॉलर) के शुरुआती निवेश की घोषणा कर चुकी है. 

एआई के हैं कई फायदे भी

बेशक, एआई की वजह से पिछले कुछ समय से तमाम संस्थानों से छंटनी की खबरें लगातार आ रही हैं, लेकिन इन बड़ी कंपनियों के निवेश से बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार मिलने के भी आसार हैं.

चूंकि भारत दुनिया की तेजी से बढ़ती डिजिटल इकोनॉमी है, जहां टेक यूजर्स की संख्या 100 करोड़ का आंकड़ा पार कर चुकी है. ऐसे में इन विदेशी कंपनियों के निवेश से लोकल लेवल पर डेवलपमेंट को बढ़ावा मिलेगा, नए-नए जॉब क्रिएट होंगे, जिससे इकोनॉमी बूस्ट होगी, GDP को और मजबूती मिलेगी. इससे देश और तेजी से आगे बढ़ेगा.

अगर देश का AI और क्लॉउड इंफ्रास्ट्रक्चर मजबूत होगा, तो तमाम सेक्टर्स में तेजी आएगी, स्टार्टअप्स को भी बढ़ावा मिलेगा, नए निवेश में भी तेजी आएगी. एक्सपर्ट्स का अनुमान है कि आने वाले समय में हेल्थकेयर से लेकर एजुकेशन और एग्रीकल्चर हर कहीं एआई का इस्तेमाल बढ़ेगा. 

क्या है AI?

इस पर IIMC के प्रोफेसर और सामाजिक व राजनीतिक विषयों के जानकार शिवाजी सरकार कहते हैं, एआई कोई नई टेक्नोलॉजी नहीं है. यह एक मॉनीटरिंग सिस्टम है, जो आपके काम को तेजी से अपने सिस्टम में उतार लेता है जैसे कि आप चैटजीपीटी को ही ले लीजिए. दो साल पहले जब इसकी शुरुआत हुई थी, तब इससे पूछे गए सवालों का जवाब नहीं आता है, लेकिन आज वही चैटजीपीटी आपके हर सवाल का जवाब तुरंत दे देता है. यह आपके दिए गए इन्फॉर्मेशन को ही आप तक पहुंचाता है. वह आगे कहते हैं, एआई को आप ऑफिशियल प्लेगेरिज्म कह सकते हैं, जो आप ही की चीज को आपको परोसता है.  

एआई अपने आप में कोई खतरा नहीं है. जब आप कहीं भी किसी सिस्टम में किसी भी फॉर्मेट में कोई इनपुट डालते हैं, तो एआई उसे अडैप्ट कर एक नई इन्फॉर्मेशन क्रिएट करता है. यह सही है भी या नहीं इसकी कोई गारंटी नहीं है. ऐसे में एआई से आपकी प्राइवेसी को खतरा है, यह कहना गलत नहीं होगा.   

AI इंफ्रास्ट्रक्चर पर क्यों बढ़ रहा निवेश? 

एआई का सबसे बड़ा फायदा है समय की बचत क्योंकि यह सॉल्यूशंस तेजी से मुहैया कराता है. ऐसे में किसी काम को करने या रिजल्ट को प्रॉसेस करने में जो समय लगता है, उसमें एआई से काफी बचत होती है. जहां तक रही निवेश की बात, तो कंपनियां एआई के इस्तेमाल से मार्केट में तेजी से आगे बढ़ने और अपने जैसी दूसरी कंपनियों को पछाड़ने के लिए कर रही हैं इसलिए एआई इंफ्रास्ट्रक्चर में तेजी से निवेश बढ़ रहा है. 

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