Indian Currency In Nepal: 2016 में भारत में नोटबंदी के बाद नेपाली मुद्रा नोट अचानक नेपाल में एक बड़ा मुद्दा बन गए. एक दशक तक ₹500 जैसे ऊंचे मूल्य के भारतीय नोट नेपाल में बैन थे. हालांकि हाल ही में नेपाल सरकार ने इस लंबे समय से चले आ रहे बैन को हटा दिया है. इसी बीच आइए जानते हैं कि इस बैन को क्यों लगाया गया था. 

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नोटबंदी ने नेपाल में बैन को कैसे ट्रिगर किया?

बैन के पीछे सबसे बड़ी वजह नवंबर 2016 में भारत की नोटबंदी थी. जब भारत ने पुराने नोट वापस ले लिए तो इन नोटों की बड़ी मात्रा पहले से ही नेपाल में चल रही थी. नेपाली बैंक और नागरिकों के पास करोड़ों रुपये थे. लेकिन भारतीय अधिकारियों या फिर भारतीय रिजर्व बैंक के जरिए से उन्हें बदलने का कोई तरीका नहीं था. भविष्य में इसी तरह के नुकसान से बचने के लिए नेपाल ने ऊंचे मूल्य के भारतीय नोटों पर पूरी तरह से बैन लगाने का फैसला किया. 

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सुरक्षा और मनी लॉन्ड्रिंग की चिंताएं

नोटबंदी के अलावा नेपाल ने सुरक्षा चिंताओं का भी हवाला दिया. ज्यादा मूल्य के भारतीय नोटों को सीमा पार तस्करी, नकली मुद्रा का सरकुलेशन और मनी लॉन्ड्रिंग में गलत इस्तेमाल के लिए असुरक्षित माना जाता था. अब क्योंकि नेपाल भारत के साथ एक खुली सीमा बांटता है इसलिए नकदी की आवाजाही को नियंत्रित करना काफी मुश्किल हो गया था. 

नेपाल में भारतीय रुपये का क्या मूल्य है?

नेपाली रुपया आधिकारिक तौर पर एक निश्चित दर पर भारतीय रुपये से जुड़ा हुआ है. एक भारतीय रुपया 1.60 नेपाली रुपये के बराबर है. अब बैन हटाने के बाद नेपाल ने भारतीय और नेपाली नागरिकों को बॉर्डर पार करते समय प्रति व्यक्ति 25000 रुपये की लिमिट तक भारतीय ₹200 और ₹500 के नोट ले जाने की मंजूरी दे दी है. इस बदलाव से पर्यटकों, भारत में इलाज करने वाले मरीजों, छात्रों और प्रवासी मजदूरों को होने वाली परेशानी काफी कम हो गई है.

उम्मीद है इस फैसले से नेपाल की टूरिज्म, हॉस्पिटैलिटी और रिटेल सेक्टर को काफी बढ़ावा मिलेगा क्योंकि यह काफी हद तक भारतीय पर्यटकों पर निर्भर है. पहले पर्यटकों को कम कीमत वाले नोटों पर निर्भर रहना पड़ता था लेकिन अब ज्यादा कीमत वाले नोटों के फिर से चलत में आने के बाद कैश से होने वाला खर्च बढ़ाने की उम्मीद है.

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